परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कार्य के विषय में मान्यवरों द्वारा निकाले गए उद्गार !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को आद्य शंकराचार्य
अथवा समर्थ रामदासजी के अवतार ही कहना होगा !

आज जानबूझकर, आस्था के साथ एवं ईश्‍वरीय प्रेरणा से जागृति करनेवाली व्यक्ति यदि कोई होगा, तो वे हैं डॉ. जयंत आठवलेजी ! उनको आद्य शंकराचार्यजी अथवा समर्थ रामदासजी का अवतार ही कहना होगा । आज की भाषा में डॉ. आठवलेजी को केवल संत कहना अनुचित होगा । मुझे तुलना नहीं करनी है; किंतु सांप्रदायिक संतों में उनकी स्वयं की आरती होती है । इस प्रकार का चालकानुवर्तापन सनातन में नहीं है । डॉ. आठवलेजी निरिच्छ हैं !

– ज्योतिर्विद्यावाचस्पति श्री. श्री. भट, डोंबिवली, जनपद ठाणे (मासिक धनुर्धारी, जून २०११)

 

श्रीरामजी, श्रीकृष्णजी एवं कुछ वर्ष पश्‍चात जो
शंकराचार्यजी ने किया, उसी कार्य को आज डॉ. आठवलेजी कर रहे हैं !

युग में एक ही बार ईश्‍वर का अवतार होता है; किंतु अंशावतार बार-बार होते हैं । प.पू. डॉ. आठवलेजी को परमेश्‍वर के अंशावतार हैं । इस प्रकार का अंशावतार होनेपर उनमें व्याप्त विवेकशक्ति उनको शांत बैठने नहीं देती । ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज से युक्त जो कार्य श्रीरामजी, श्रीकृष्णजी तथा कुछ वर्ष पहले शंकराचार्यजी ने किया, उसी कार्य को आज डॉ. आठवलेजी कर रहे हैं । कलियुग में इस पृथ्वीपर ईश्‍वर ने २ महान विभूतियों के माध्यम से जन्म लिया है । उनमें से एक पू. रामदेवबाबा एवं दूसरे हैं प.पू. डॉ. जयंत आठवलेजी !

– भारताचार्य सु.ग. शेवडे, डोंबिवली, जनपद ठाणे

 

मैने अभीतक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के समान तेजस्वी व्यक्ति को कभी देखा नहीं है !

प.पू. डॉक्टरजी के साथ पहली भेंट के समय उनके स्थानपर मुझे केवल पीला एवं श्‍वेत प्रकाश दिखाई दिया । उस अत्यंत तेजस्वी प्रकाश को देखकर मैं आकर्षित हो गया । उनकी कांति तेजोमय दिख रही थी । उनके शब्दों को देखते ही रहूं, ऐसा लग रहा था । उनकी बातें सुनकर मन प्रसन्न हुआ । उनके शब्द अत्यंत समर्पक एवं मन को आनंद देनेवाले थे । मैने अभीतक इस प्रकार का तेजस्वी व्यक्ति को कभी देखा नहीं है । उनके मार्गदर्शन के अनुसार मैं आगे का मार्गक्रमण करूंगा ।

– अधिवक्ता श्री. विवेक सदाशिव भावे, लोणावळा, (जनपद पुणे)

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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