परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी
परम आदरणीय,
परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के श्रीचरणों में नमस्कार !
मैं परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी तथा आदरणीय पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे के चरणों में नमस्कार करते हुए आभार व्यक्त करती हूं । उन्होंने मुझे इस हिन्दु राष्ट्र की नींव खडी करनेवाले महाकुंभ में डासना के देवी का मंदिर तथा मेरे परम पूज्य गुरुजी यति नरसिंहानंद सरस्वतीजी की व्यथा तथा मेरा मनोगत देश-विदेश से आए हिन्दुओं के सामने प्रस्तुत करने की संधी प्रदान की । आदरणीय परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने यहां के साधकों में समर्पण भाव, सेवाभाव, सहजता का संस्कार तथा निष्ठा निर्माण की है । ये सभी बातें हिन्दुओं के लिए अनुकरणीय है ।
सिद्धपिठ प्रंचड चंडी देवी मंदिर तथा आदरणीय गुरु यति नरसिंहानंद सरस्वती के माध्यम से सनातन संस्था तथा हिन्दु जनजागृति समिति के प्रत्येक साधक को यह विश्वास प्रदान करने की मेरी इच्छा है कि, डासना का देवी मंदिर हर परिस्थिती में आवश्यकतानुसार तुम्हारे साथ रहेगा ।
गुरुचरणी कोटी कोटी नमस्कार,
यति मां चेतनानंद सरस्वती, महंत, सिद्धपिठ ।
प्रचंड चंडी देवी मंदिर, डासना, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश ।
संत ब्राह्मतेज के प्रतिक होते हैं । हिन्दु राष्ट्र स्थापना हेतु क्षात्रतेज की साधना करनेवाले धर्माभिमानियों को ब्राह्मतेज प्रदान करनेवाले संतों के चरणों में कोटी कोटी कृतज्ञता !
संदर्भ : हिन्दी सनातन प्रभात