• अभियोग की अगली सुनवाई १२ जुलाई को
• कळंबा कारागृह से बाहर आनेपर श्री. समीर गायकवाड ने कहा, ‘‘ईश्वर की कृपा से मैं बाहर आया हूं, उचित समय आनेपर मुझे जो बोलना है, वह बोलूंगा !’’
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) : कॉ. गोविंद पानसरे हत्या प्रकरण में संदिग्ध अपराधी तथा सनातन के साधक श्री. समीर गायकवाड को यहां के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री. एल.डी. बिले ने प्रतिभूति प्रदान की थी। तत्पश्चात १९ जून को न्यायालय में श्री. समीर की ओर से २ प्रतिभूतिदारोंद्वारा कागजातों की पूर्तता करनेपर सायंकाल ५.१० बजे कळंबा कारागृह के अधीक्षक श्री. शरद शेळके ने उनको छोड दिया। इस अवसरपर सनातन के अधिवक्ता श्री. समीर पटवर्धन, अधिवक्ता श्री. आनंद देशपांडे, अधिवक्ता श्री. संदीप अपशिंगेकर एवं अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित थे।
समीर गायकवाड को पुलिस संरक्षण देने की
मांग फिलहाल नहीं करेंगे ! – अधिवक्ता श्री. समीर पटवर्धन
इस अवसरपर पत्रकारों से वार्तालाप करते हुए अधिवक्ता श्री. समीर पटवर्धन ने कहा, ‘‘श्री. समीर गायकवाड मूलरूप से सांगली के निवासी हैं। पुलिस दल के अंतर्गत विशेष अन्वेषण दलद्वारा (एसआयटी) श्री. समीर गायकवाड को बंधक बनाए जानेपर उनके पास से उनका चुनाव परिचयपत्र एवं आधारकार्ड को अपने नियंत्रण में लिया था। अतः उनके परिचय के प्रमाण के रूप में हमें इन दोनों परिचयपत्रों को न्यायालय में प्रस्तुत करना संभव नहीं हो सका। हमने उनके परिचय के प्रमाण के रूप में उनके राशनकार्ड की जेरॉक्स प्रति को न्यायालय में जमा की है। अभी तो हम श्री. समीर गायकवाड को पुलिस संरक्षण देने की मांग नहीं कर रहें हैं। यदि हमें उसकी आवश्यकता लगी, तो हम यह मांग करेंगे। नियमित कामकाज का एक भाग के रूप में इस अभियोग की अगली सुनवाई १२ जुलाई को होगी !’’
विशेष
अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर एवं अधिवक्ता श्री. समीर पटवर्धन
कुल मिलाकर कॉ. पानसरे हत्या प्रकरण में कुछ अलग ही दिखाई दे रहा है; क्योंकि कॉ. पानसरे की पत्नी श्रीमती उमा पानसरे ने परिचय परेड में श्री. समीर गायकवाड को नहीं पहचाना था। उन्होंने २ अलग ही आरोपियों को पहचाना था। ऐसा होते हुए भी उनकी बहू श्रीमती मेघा पानसरे ‘‘हम इसके विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील करेंगे’, ऐसी डींगे मार रही हैं ! इससे सांस और बहू में कोई संघर्ष तो नहीं चल रहा ?, ऐसा प्रश्न उत्पन्न हुआ है !