डोंबिवली : त्रेतायुग से लेकर द्वापरयुगतक जो युद्ध हुआ, वह युद्ध देश के अंतर्गत तथा देश के बाहर हुआ; परंतु आज के इस कलियुग में अपने स्वयं के अंतर्गत तथा बाहर के स्वभावदोषरूपी शत्रुओं से संघर्ष करना है और इसके लिए स्वभावदोष एवं अहंनिर्मूलन प्रक्रिया अपनाना आवश्यक है । उसके लिए स्वसूचना सत्र करने की आवश्यकता है । जबतक हमारे अंतर्मन को हममें विद्यमान दोषों का भान नहीं होता, तबतक दोष नहीं जाएंगे । सनातन की साधिका श्रीमती सविता लेले ने यह मार्गदर्शन किया । डोंबिवली में सनातन की साधिका श्रीमती गर्दे के घरपर आयोजित साधना शिविर में श्रीमती लेले ऐसा बोल रही थीं । कु. अनिता मुळीक ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया । इस अवसरपर सनातन की साधिका श्रीमती शैला घाग ने साधना का महत्त्व, साधना करने से किस प्रकार हमारे जीवन में परिवर्तन आते हैं, साधना के सिद्धांत, कुलदेवता तथा श्री दत्त के नामजप का महत्त्व के विषय में उपस्थित जिज्ञासुओं का मार्गदर्शन किया ।