प्रभु श्रीराम, १४ वर्ष का वनवास समाप्त कर और रावण को पराजित कर, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को अयोध्या लौटे थे । तब अयोध्यावासियों ने नगर को तोरण-पताकाआें से सजाकर उनका आनंदपूर्वक स्वागत किया था । श्रीरामचंद्रजी ने राजा बालि के अत्याचारों से प्रजा को मुक्त किया । जो लोग मुक्त हुए, उन्होंने उस दिन अपने घरों पर ध्वज फहराया था । श्रीराम ने बालि जैसी अनेक आसुरी शक्तियों का नाश किया । इसके प्रतीक रूप में उस दिन प्रजा ने अपने घरों पर केसरिया ध्वज फहराया था । भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण ने १४ वर्ष के वनवासकाल में उत्तरप्रदेश के चित्रकूट पर्वत पर निवास किया था । चित्रकूट पर्वत पर – गुप्त गोदावरी, श्रीराम-भरत मिलाप मंदिर, श्रीरामचंद्र ने राजा बालि का जहां वध किया था, वह स्थान; ऐसे अनेक दुर्लभ छायाचित्र !
सब भक्तजनों के भगवान श्रीराम और सर्वकाल की प्रजा के प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र को अपना आदर्श मानें और धर्माचरण तथा साधना कर, रामराज्य की स्थापना हेतु कटिबद्ध हों ! श्रीराम के विलक्षण धर्मपालन का स्मरण और नियमित धर्माचरण कर, हमसब प्रभुकृपा के पात्र हों ! प्रभु श्रीरामचंद्र ने वनवासकाल में अनेक लीलाएं की थीं । आइए, श्रीराम के चरणस्पर्श से पावन हुए इन स्थानों का हम कृतज्ञतापूर्वक दर्शन करें !
अध्यात्मशास्त्र की दृष्टि से प्रत्येक देवता एक विशिष्ट तत्त्व है । श्रीरामतत्त्व आकर्षित करने हेतु जिस प्रकार श्रीराम को जाही के फूल चढाए जाते हैं, हनुमानजी को मदार के फूलों का हार चढाया जाता है । उसी प्रकार विशिष्ट रंगोलियों के कारण भी देवताआें का तत्त्व आकर्षित तथा प्रक्षेपित होने में सहायता मिलती है । श्रीराम नवमी तथा हनुमान जयंती पर घर अथवा देवालय में श्रीरामतत्त्व तथा हनुमानतत्त्व आकर्षित एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोली बनाएं । इससे वहां का वायुमंडल संबंधित देवतातत्त्व से भारित होता है, जिसका लाभ सभी को होता है । श्रीराम, हनुमान तथा अन्य देवी-देवताओं से संबंधित विविध रंगोलियां, उनका विवेचन सनातन के लघुग्रंथ, देवताओं के तत्त्व आकर्षित एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां में किया है ।