रामनाथी (गोवा) : यहां स्थित सनातन आश्रम में उज्जैन के श्री सप्तऋषि गुरुकुल के संस्थापक, परमाचार्य डॉ. देवकरण शर्माजी (देव) तथा गुरुकुल के न्यासी श्री. रामकृष्ण पौराणिकजी १० मार्च को सनातन आश्रम में पधारे । सनातन के साधक डॉ. दुर्गेश सामंतजी ने उन्हें आश्रम में किए जा रहे आध्यात्मिक शोध तथा राष्ट्र एवं धर्म कार्य संबंधी के विषय में जानकारी दी ।
सनातन का आश्रम तीर्थक्षेत्र है ! – डॉ. शर्मा (देव)
जहां स्वच्छता तथा पवित्रता होती है उसे तीर्थक्षेत्र कहा जाता है । यहां ये दोनों है, इसलिए यह तीर्थक्षेत्र है । आश्रम में साधकों द्वारा फलक पर स्वयं की चूकें लिखने की पद्धति बहुत अच्छी है । प्रथम चूक स्वीकारना, उस पर प्रायश्चित लेना, चूकें पुनः न हों, इसके लिए संकल्प करना, यह देखकर बहुत अच्छा लगा । नई पीढी के माध्यमवाले जालस्थल (वेबसाइट) का आपने धर्मकार्य हेतु अतिशय अच्छे ढंग से उपयोग किया है । डॉ. देवकरण शर्माजी (देव) ने सनातन के अनेक ग्रंथों का वाचन किया है । इन ग्रंथों के संकलन के विषय में उन्होंने विस्तार से जानकारी ली ।
परमाचार्य डॉ. देवकरण शर्माजी (देव) ने महाविद्यालयीन शिक्षा लेने के समय ही गुरुकुल के माध्यम से सनातन धर्म के कार्य करने का निश्चय किया था। इसके लिए वर्ष २००३ में उन्होंने धर्म, संस्कृति एवं समाज सेवा की भावना से प्राध्यापक पद से सेवानिवृत्ति लेकर गुरुकुल का निर्माण किया । आज इस परिसर में गोशाला, वेदपाठशाला, शिवमंदिर, भोजनशाला, अध्यापक तथा विद्यार्थियों का निवासस्थान है और यज्ञशाला भी निर्माणाधीन है । वर्तमान में इस वेदपाठशाला में शुक्ल यजुर्वेद तथा अथर्ववेद की शिक्षा दी जाती है । भविष्य में चारों वेदों की शिक्षा देने की उनकी योजना है ।
भारत में हर शहर गांव में गुरुकुल होना चाहिए उसमें चारों वेदों के अलावा सभी प्रकार के भाषाओं का भी ज्ञान देने का काम होना चाहिए सनातन धर्म मैं इन सब चीजों की बहुत आवश्यकता है