मुंबई : महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की कुमारी प्रियांका लोटलीकर ने कुलाबा (मुंबई) में हुए नाडीज्योतिष सम्मेलन में विचार व्यक्त किया कि नाडी-पट्टिका के माध्यम से महर्षि ने सबको उच्च कोटि का ज्ञान उपलब्ध कर दिया है । नाडीवाचक यदि नाडीवाचन को व्यवसाय के रूप में न अपनाकर, साधना के रूप में अपनाएंगे, तो उनकी आध्यात्मिक प्रगति होने के साथ-साथ महर्षि का दिया हुआ अद्भुत ज्ञान जनता तक ठीक से पहुंचेगा । आगे उन्होंने कहा, व्यक्तिगत जीवन की समस्याएं दूर हों, इसके लिए अनेक लोग नाडीज्योतिषविद्या का उपयोग करते हैं; परंतु इस विद्या का उपयोग राष्ट्र की समस्याएं और धर्मसंस्थापना में आनेवाली बाधाएं दूर होनेके लिए महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी कर रहे हैं । इस सम्मेलन में ५० से अधिक लोग उपस्थित थे ।
इसमें, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से परात्पर गुरु डॉ. आठवले लिखित शोधनिबंध, वर्तमान युग में नाडीशास्त्र के विषय में आध्यात्मिक शोध हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया गया । वैज्ञानिक यंत्र बायोफीडबैक प्रणाली (पिप) से, सामान्य साधक और संत से संबंधित नाडी-पट्टिका का पिप चित्र दिखाया गया तथा नाडीवाचन करते समय नाडीवाचक और श्रोताआें के चक्रों पर पडनेेवाले सकारात्मक प्रभाव को वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से दिखाया गया ।
प्रबोधनसत्र में विचारकों के मार्गदर्शन
१. विंग कमांडर शशिकांत ओक
सर्वत्र के नाडीकेंद्रों के कार्य में सुसूत्रता आए, नाडीवाचन करने आनेवालों की जानकारी संगृहीत हो, नाडीवाचकों को आर्थिक सहायता मिले और नाडीवाचकों की नई पीढी बनाई जाए, इस विषय में कार्ययोजना बनाने के लिए श्री. ओक ने मार्गदर्शन किया ।
२. ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा, भारतीय वायुसेना
महर्षि के बताए उपचार श्रद्धापूर्वक करने से अवश्य लाभ होता है ।
३. श्री. नीलेश त्रिवेदी, उद्योगपति, गुजरात
नाडीशास्त्र १०० प्रतिशत सत्य है और ऋषि-मुनियों की धरोहर है ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोधनिबंध की प्रशंसा !
शशिकांत ओक और राकेश नंदा ने महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोधनिबंध की प्रशंसा की । उन्होंने कहा, नाडीशास्त्र का गहन व व्यापक प्रसार और कार्य केवल यह विश्वविद्यालय कर रहा है ।
नाडीशास्त्र का आध्यात्मिक पक्ष प्रस्तुत करनेवाला शोधनिबंध
ये विनम्र साधक ही सच्चे सैनिक हैं और इनसे सबको सीखने के लिए मिलेगा । – ग्रुप कैप्टन राकेश नंदा