अ. सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिकामें वर्णित महर्षिके गौरवोद्गार !
१. हिन्दू राष्ट्रके लिए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी समान अवतारी कार्य करनेवाले दिव्यात्माकी आवश्यकता है ! – सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिकामें महर्षिकी वाणी (१०.५.२०१५)
२. शिव और श्रीविष्णु के कार्यके समान ही परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीका कार्य परिपूर्ण है ! : सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिकामें लिपिबद्ध महर्षियोंके संवादमें वसिष्ठ ऋषि कहते हैं, परात्पर गुरु डॉ. आठवले महान हैं । उनकी स्थिति शिव और श्रीविष्णु के समान है । जिस प्रकार उनका कार्य परिपूर्ण है, उसी प्रकार परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीका कार्य भी परिपूर्ण है । उन्हें शिव, श्रीविष्णु और सदाशिव (पार्वतीदेवीसे विवाह होनेके पहलेका शिवका नाम) के आशीर्वाद हैं । इनकी कीर्ति पूरे विश्वमें हो, ये हमारा दायित्व है । (९.१२.२०१५ को तिरुवण्णामलई, तमिलनाडुमें हुआ सप्तर्षि जीवनाडीवाचन क्रमांक ५०)
३. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी आगामी कालमें अधर्मका नाश कर, धर्मकी स्थापना करेंगे । (सन्दर्भ : ७.७.२०१५ को जयपुर, राजस्थानमें हुआ सप्तर्षि जीवनाडीवाचन क्रमांक २६)
आ. भृगु संहिताके फलादेशमें
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीके विषयमें महर्षि भृगुके गौरवोद्गार !
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीके मार्गदर्शनमें कार्यरत सत्यनिष्ठ सनातन संस्थाके प्रयत्नोंसे ही हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाका समय समीप आया है । इनके मनमें आया हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाका विचार सफल करना, अब हमारा दायित्व है ।
– महर्षि भृगु (महर्षि भृगु संहितावाचक भृगुशास्त्री डॉ. विशाल शर्माके माध्यमसे)