१. तक्षशिला और नालन्दातुल्य विश्वविद्यालय !
संसारमें भौतिक शिक्षा देनेवाले अनेक विश्वविद्यालय हैं; परन्तु अध्यात्मशास्त्रका परिपूर्ण तथा ईश्वरप्राप्तिकी शिक्षा देनेवाला एक भी विश्वविद्यालय नहीं है । इसलिए २२.३.२०१४ को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीने गोवामें महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय नामक न्यास स्थापित किया । वह इस विश्वविद्यालयका निर्माण करेगा यह विश्वविद्यालय प्राचीन तक्षशिला और नालन्दा विश्वविद्यालयके तुल्य बनेगा तथा अध्यात्मकी उच्च शिक्षा और आध्यात्मिक शोधके लिए कार्यरत रहेगा !
२. विश्वविद्यालयकी शिक्षासम्बन्धी विशेषताएं !
१. ज्ञान, कर्म, भक्ति, ध्यान, गुरुकृपायोग आदि योगमार्गोंकी सैद्धान्तिक और प्रायोगिक शिक्षा !
२. वेदशास्त्र, व्याकरणादि १४ विद्या और चित्रकलादि ६४ कलाआेंकी साधनाकी दृष्टिसे शिक्षा !
३. समाजकल्याण और राष्ट्रोत्कर्ष साध्य करवानेवाले न्याय, अर्थशास्त्र, युद्धशास्त्र इत्यादि विषयोंकी शिक्षा !
४. विद्यार्थियोंको राष्ट्रनिष्ठ और धर्मनिष्ठ सन्त बनानेवाली शिक्षा !
वर्ष १९८९ में परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजीने भावी महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालयकी जानकारी देते हुए कहा था, अध्यात्म विश्वविद्यालयसे स्नातक होनेवाले सन्त ही होंगे । उन्हें कागदी (कागजी) प्रमाणपत्रकी आवश्यकता नहीं होगी !
(अधिक जानकारी हेतु पढें – सनातनका ग्रन्थ महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय)
३. विश्वविद्यालयके वर्तमान उपक्रम
अ. आध्यात्मिक कार्यशाला
इनके माध्यमसे जिज्ञासुआेंको साधना उचित पद्धतिसे होनेके लिए स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया, आध्यात्मिक पीडाके निवारणार्थ किए जानेवाले उपचार आदिसे सम्बन्धित मार्गदर्शन किया जाता है ।
आ. शोधनिबन्धोंका प्रस्तुतीकरण
वैज्ञानिक परिषदोंमें महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालयद्वारा आध्यात्मिक शोधोंपर आधारित शोधप्रबन्ध पढे जाते हैं ।
४. जालस्थल : Spiritual.University