१. सनातन पंचांग
समाज को धर्मशिक्षा मिले, समाज साधना करे, समाज में धर्म और हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के विषय में जागृति हो आदि उद्देश्य सामने रखकर परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने वर्ष २००६ से वार्षिक सनातन पंचांग प्रकाशित करना आरम्भ किया । वर्तमान में (वर्ष २०१७) सनातन पंचांग, मराठी (३ संस्करण), हिन्दी, कन्नड (२ संस्करण), गुजराती, अंग्रेजी, तेलुगू, तमिल तथा ओडिया, इन ८ भाषाआें में प्रकाशित होकर लगभग १० लाख लोगोेंतक पहुंचता है । इस पंचांग का ८ भाषाआें में एण्ड्रॉइड के लिए एप्लीकेशन भी वर्ष २०१३ से निःशुल्क प्रकाशित किया जाता है । प्रतिवर्ष १० लाख से अधिक लोग इसका उपयोग कर रहे हैं ।
२. संस्कार-बही
परात्पर गुरु डॉक्टरजी के मार्गदर्शन में वर्ष २००६ से संस्कार-बही का उत्पादन आरम्भ हुआ है । इस बही में विद्यार्थियों पर सुसंस्कार करनेवाले, हिन्दू संस्कृति का पालन करना सिखाकर धर्माभिमान जगानेवाले, धर्मशिक्षा देनेवाले और राष्ट्रप्रेम बढानेवाले लेख होते हैं । यह बही विद्यार्थियों के साथ-साथ दूसरों के लिए भी उपयोगी है । यह ४ प्रकार में उपलब्ध है ।
३. सनातन के सात्त्विक उत्पाद (साहित्य-सामग्री)
समाज की सात्त्विकता बढाने के लिए सरल साधन उपलब्ध हों, इसके लिए परात्पर गुरु डॉक्टरजी के मार्गदर्शन में वर्ष २००३ से सात्त्विक उत्पादों का उत्पादन आरम्भ हुआ ।
३ अ. महत्त्व
सनातन के उत्पाद सात्त्विक हैं । इनके प्रयोग से सात्त्विकता मिलने के साथ ही आध्यात्मिक उपचार होने में सहायता मिलती है । ये उत्पाद स्वदेशी और आयुर्वेदिक हैं, इसलिए इनके प्रयोग से स्वदेशी व्रतका पालन और हिन्दू संस्कृति का पोषण होता है ।
३ आ. नित्योपयोगी आयुर्वेदिक उत्पाद
दन्तमंजन, उबटन, स्नान के साबुन (७ सुगन्धों में), शिकाकाई (चूर्ण) और त्रिफला चूर्ण ।
३ इ. पूजनोपयोगी और अन्य उत्पाद
गोमूत्र-अर्क, कुमकुम, अष्टगन्ध, इत्र (४ सुगन्धों में), अगरबत्ती (७ सुगन्धों में), कर्पूर, जपमाला, नामजप-यन्त्र, देवताआें के चित्र और नामजप-पट्टियां ।