सनातन संस्था की स्थापना से पहले
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को होनेवाले कष्ट दूर करने हेतु किए गए उपाय
१. परम पूज्य दादाजीने आश्वासन दिया है कि ‘सनातन संस्था को अनिष्ट शक्तियों से होनेवाला कष्ट दूर करने की मैं व्यवस्था करता हूं ।’ – एक साधक (१३.६.२००३)
२. उनके मार्गदर्शन में ६.१०.२००३ से १७.१०.२००३ की अवधि में, देवद (पनवेल) स्थित सनातन आश्रम के सामने से बहनेवाली गाढी नदी में, महाजलतप-अनुष्ठान किया गया । इस अनुष्ठान में, सनातन के १८ से ६० आयुवर्ग के २५ साधक तथा परम पूज्य दादाजी का संप्रदाय ॐ आनन्दं हिमालयम् के अनेक भक्त सम्मिलित थे ।
३. परम पूज्य दादाजी ने साधकों की रक्षा के लिए उन्हें जन्तर (ताबीज) दिया था ।
४. परम पूज्य दादाजी अनेक वर्षों से सनातन के साधकों को अनिष्ट शक्तियों से होनेवाले कष्टों के निवारण हेतु अनेक कठिन अनुष्ठान कर रहे हैं ।
५. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का महामृत्युयोग दूर करनेके लिए परम पूज्य दादाजी निरंतर कार्य कर रहे हैं ।
मुंबई के योगतज्ञ दादाजी वैशंपायन
सत्कर्म सेवा सोसाइटी द्वारा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को
‘योगतज्ञ दादाजी वैशंपायन गुणगौरव पुरस्कार’ प्रदान !
२५.७.२०१० को योगतज्ञ दादाजी वैशंपायन सत्कर्म सेवा सोसाइटी की ओर से परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी को सम्मानपत्र और पंद्रह सहस्र रुपए देकर योगतज्ञ दादाजी वैशंपायन गुणगौरव पुरस्कार प्रदान किया गया । सम्मानपत्र में लिखा है ‘आपके द्वारा किए जा रहे विशेष सामाजिक, आध्यात्मिक इत्यादि उल्लेखनीय कार्यों के लिए हमारे ट्रस्ट की ओर से योगतज्ञ दादाजी वैशंपायन गुणगौरव पुरस्कार’ प्रदान किया जा रहा है । आपका कल्याणकारी कार्य उत्तरोत्तर अखंड चलता रहे, ऐसी शुभकामना !’