ऊसंधि (जांघ और पेट के मध्य का भाग), कांख, जांघ और कूल्हों पर जहां पसीने के कारण त्वचा नम रहती है, वहां कभी-कभी खुजली और छोटी-छोटी फुंसियां होती हैं । उनके फैलने से गोल ददोडे (रिंग वर्म) निर्माण होते हैं । इन ददोडों पर आगे दिए दोनों उपचार करें ।
१. विकारग्रस्त त्वचा प्रतिदिन दिन में २ – ३ बार केवल पानी से धोकर सूखे वस्त्र से पोछें और ददोडों पर अपनी लार लगाएं । ऐसा करने से ये ददोडे ८ – १० दिन में पूर्णतः ठीक हो जाते हैं । इन दिनों में पूर्ण शरीर में साबुन न लगाएं ।
२. ॐ पां पार्वतीभ्यां नमः और ॐ वां वागीश्वरीभ्यां नमः, इन २ मंत्रजपों से पानी अभिमंत्रित कर उसे प्राशन करें और विकारग्रस्त त्वचा पर भी लगाएं । पानी अभिमंत्रित करने के लिए तांबे के अथवा कांच के बरतन में थोडा पानी लेकर उसमें दाहिने हाथ की पांचों उंगलियां डुबोकर उपर्युक्त प्रत्येक मंत्र का २१ बार उच्चारण करें ।
– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा.