रायपुर : छत्तीसगढ के महासमुंद जिले में पुरा सम्पदा के लिए की गई खुदाई के दौरान एक ऐसा शिवलिंग मिला है और जिससे तुलसी के पत्तों जैसी सुगंध आती है। जानकारों का दावा है कि, यह करीब दो हजार वर्ष प्राचीन है और द्वादश ज्योतिर्लिंगों वाले तीर्थों के पत्थरों से बना है। इस शिवलिंग की सबसे बड़ी विशिष्टता यह है कि, इससे ऐसी बहुत सी ऐतिहासिक चीजें जुड़ी हैं जो आज भी इस जमीन में है और हमें हमारी पुरानी सभ्यता और उनसे जुड़े किस्से-कहानियों की याद दिलाती हैं।
पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई के दौरान मिली चीजों को देखकर हमारे होश उड़ जाते हैं। इस शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि, यह करीब २००० वर्ष प्राचीन है, जो कि ४ फीट लंबा २.५ फीट की गोलाई वाला है। इस शिवलिंग में जनेऊ और असंख्य शिव-धारियां पहले से ही मौजूद हैं।
विभिन्न निष्कर्षों से यह पता चला है कि, कई हजार वर्ष पहले यहां एक विशाल मंदिर हुआ करता था। जिसका निर्माण पहली शताब्दी के सरभपुरिया राजाओं द्वारा किया गया था। १२ वीं सदी में चित्रोत्पला महानदी की बाढ़ से यह विशाल मंदिर पूरी तरह से नष्ट हो गया था और जो हिस्सा बचा वह भी धरती में ही दफन हो गया। पिछले कई वर्षों से हो रही खुदाई से पुरातत्व विभाग ने अब तक इस जगह से कई छोटे-बड़े शिवलिंग निकाले, परंतु बाद में यह एकमात्र विशाल आकार का शिवलिंग निकला है ।
पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार यहां पुरानी सभ्यता का इतिहास दफन पड़ा है। यहां आने वाले विनाशकारी भूकम्प और बाढ़ की लहरों से आई रेत और मिट्टी की परतों ने इस इलाके को पूरी तरह से दबा दिया था। इस खुदाई में शिवलिंग के साथ कुछ सिक्के, ताम्रपत्र, बर्तन, शिलालेख एवं प्रतिमाएं आदि भी मिली हैं। इनके बारे में माना जाता है कि, ये सभी चीजें करीब २ हजार साल वर्ष से अधिक पुरानी हैं। यह स्थान राज्य की राजधानी रायपुर से ७८ किमी दूर और महासमुंद से ३५ किमी दूर है।