गोवा में प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरि का अमृत महोत्सव और सनातन संस्था का रजत जयंती समारोह भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ!
पर्वरी (गोवा) – कुछ वर्ष पूर्व ‘हिंदू’ शब्द का उच्चारण करना कठिन था। ‘सनातन’ का उच्चारण उससे भी कठिन था। ऐसी विपरीत परिस्थिति में सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले जैसे एक सत्पुरुष, महात्मा निष्ठे से यहां (गोवा में) आकर खड़े होते हैं और अपने तपस्या का आरंभ करते हैं। यह सनातन धर्म का शंखनाद है, यह केवल शंखनाद नहीं बल्कि हिंदू राष्ट्र की स्थापना करने के लिए शंखनाद है। सनातन संस्था के बढते हुए कार्य को देखते हुए, ‘यह कार्य अब रुकेगा नहीं, यह उत्तरोत्तर बढता ही जाएगा और एक दिन हिंदू राष्ट्र स्थापना का लक्ष्य साकार करेगा, इसकी गारंटी मिलती है। सनातन के 25 वर्षों के कार्य को देखते हुए हिंदू राष्ट्र साकार होने का समय आ गया है, ऐसा यशोगान ‘श्रीराम जन्मभूमी तीर्थक्षेत्र न्यास’ के कोषाध्यक्ष प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज ने किया। वे ‘सनातन संस्था’ के रजत जयंती समारोह के अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर 1350 लोगों की उपस्थिति थी।
सुकुर पंचायत सभागृह, पर्वरी गोवा में भावपूर्ण वातावरण में यह समारोह संपन्न हुआ। इस समारोह के अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्री. श्रीपाद नाईक, गोवा के पर्यटन मंत्री श्री. रोहन खंवटे, महाराष्ट्र गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री. शेखर मुंदडा, गोवा के विधायक श्री. चंद्रकांत शेट्ये, विधायक श्री. प्रेमेंद्र शेट, विधायक श्री. उल्हास तुयेकर, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ते श्री. चेतन राजहंस सहित कई गणमान्य उपस्थित थे। इनके साथ इस समारोह में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले के एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ, सनातन की संत पू. दिपाली मतकर, तथा ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक समूह के पूर्व समूह संपादक पू. पृथ्वीराज हजारे की वंदनीय उपस्थिति रही।
प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज आगे बोले कि , कितने भी उदात्त विचार हों, फिर भी शक्ति न हो, तो वे व्यर्थ हैं। शक्ति न हो, तो ह्रास होता है। सनातन संस्था का सबसे बड़ा विशेषता यह है कि सनातन ने 25 वर्षों में केवल धर्म का प्रसार नहीं किया, बल्कि प्रतिरोध करने वाला समाज निर्माण किया। उसने समाज को सक्षक किया । समर्थ रामदासस्वामी ने यही कार्य किया है। एक समय ‘सनातन’ यह शब्द भी कोई उच्चारत नहीं था। अब मात्र राजधानी दिल्ली में ‘सनातन बोर्ड’ स्थापित करने की मांग हो रही है। यह ‘सनातन’ शब्द गोवा से (अर्थात ‘सनातन संस्था’ इस नाम के कारण) दिल्ली में गया है। यह ‘सनातन’ शब्द की ताकत है। 25 वर्षों में सनातन संस्था के सामने कई चुनौतियां पैदा हुईं, कई संकट आए। आज सनातन के तपस्या का (अर्थात व्यापक धर्मकार्य का) परिणाम हमें देखने को मिल रहा है। सनातन संस्था के विषय में जितने गुन गाएं, वे उतने थोडे ही हैं।
गोवा सरकार देव, देश और धर्म रक्षा के कार्य के लिए कटिबद्ध है! – मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत
देव को महत्व दिया, तो धर्म जागृत रहा और धर्म जागृत रहा तो देश जागृत रहा। इसके लिए गोवा सरकार देव, देश और धर्म रक्षण के कार्य के लिए कटिबद्ध है। सनातन संस्था ने कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए आज देशभर में भरीव कार्य किया है। सनातन संस्था का गोवा के रामनाथी में स्थित आश्रम से हिंदू धर्म के रक्षण का महत्वपूर्ण कार्य चलता है। सनातन संस्था का ‘सनातन प्रभात’ यह नियतकालिक हिंदुओं पर देश और विदेश में हो रहे अत्याचार, तथा हिंदू द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्य की निरंतर जानकारी देकर हिंदुत्व की जागृति का कार्य कर रहा है। परम पूज्य गोविंददेव गिरी महाराज जैसे कई राष्ट्र संतों के कारण भारत में देव, देश और धर्म रक्षण का कार्य चल रहा है, ऐसा प्रतिपादन गोवा राज्य के मुख्यमंत्री श्री. प्रमोद सावंत ने किया।
सनातन संस्था के कार्य के कारण हजारों लोग तनावमुक्त और व्यसनमुक्त बने! – श्री. श्रीपाद नाईक, केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री
प.पू. गोविंददेव गिरि महाराज का कार्य महर्षि वशिष्ठ के समान अखंड धर्मरक्षण का कार्य किया है। महाराजों की साधना और कार्य के कारण असंख्य जीवनों में अच्छा परिवर्तन होकर आज राष्ट्रभक्त निर्माण हो रहे हैं। सनातन संस्था ने हिंदू धर्म के पुनर्स्थापना का विलक्षण कार्य किया है। इस कार्य के कारण हजारों लोग तनावमुक्त और व्यसनमुक्त जीवन जीने लगे हैं। सनातन के कार्य के कारण धर्म और अध्यात्म का रक्षण हुआ है, ऐसा यशोगान केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्री. श्रीपाद नाईक ने किया।
गोवा के पर्यटन मंत्री श्री. रोहन खंवटे ने कहा कि, सनातन संस्था सनातन धर्म के रक्षण और मानवीय मूल्यों के रक्षण का महान और पवित्र कार्य कर रही है। राजकीय क्षेत्र में कार्यरत लोगों ने धर्मरक्षण के कार्य को भी हाथ बटाना चाहिए। गोवा की पहचान पूर्ण ‘सन, सँड और सी’ (समुद्रकिनारे) ऐसी थी। पर्यटन विभाग ने गोवा की यह पहचान बदलने का प्रयास गोवा सरकार ने शुरू किया है। गोवा सरकार ने छत्रपती शिवाजी महाराज के गोवा में कार्यों की जानकारी पुढीली पीढी तक पहुंचाने के लिए श्री सप्तकोटेश्वर मंदिर की पुर्ननिर्मान किया है ।
इस समय सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा कि , सनातन संस्था हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए गत 25 वर्षों के काल में जिहादी, कम्युनिस्ट, अर्बन नक्सलवादी आदि का प्रखर विरोध सहन कर ईश्वर के कृपा से निडरता से धर्म कार्य कर रहे है । आज ‘प्रखर हिंदुत्वनिष्ठ संघटना’ के रूप में सनातन संस्था कार्य कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ‘सी.ए.ए.’ कानून में सुधार की प्रक्रिया में सनातन संस्था का सहभाग था। वक्फ संशोधन विधेयक तैयार करने की प्रक्रिया में भी सनातन संस्था द्वारा किए गए सुझाव स्वीकार किए गए हैं।
महाराष्ट्र गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री शेखर मुंदड़ा ने इस अवसर पर कहा कि जिस प्रकार महाराष्ट्र ने गोमाता को राज्य माता का दर्जा दिया है, उसी प्रकार गोवा राज्य को भी गोमाता को राज्य माता का दर्जा देना चाहिए। यदि सभी राज्य गोमाता को राज्य माता का दर्जा देंगे, तो गोमाता को राष्ट्र माता का दर्जा मिलने में देर नहीं होगी, ऐसा भी उन्होंने कहा।
इस समारोह का आरंभ दीप प्रज्वलन और वेद मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। प्रारंभ में प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में उनका 75 दीपों से औक्षण किया गया। इसके बाद गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, पर्यटन मंत्री श्री रोहन खंवटे और सनातन संस्था के विश्वस्त श्री वीरेंद्र मराठे द्वारा प.पू. स्वामी का सत्मान किया गया। इस अवसर पर तपोभूमि कुंडई के पीठाधीश्वर ब्रह्मेशानंद स्वामी महाराज का आशीर्वचन संदेश वीडियो के माध्यम से प्रसारित किया गया।
सनातन संस्था निर्मित ‘ई-बुक’ का प्रकाशन!
इस अवसर पर प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरी महाराज और केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्री श्रीपाद नाईक के करकमलों द्वारा ‘सनातन प्रभात’ के रजत महोत्सवी अंक का प्रकाशन, सनातन संस्था निर्मित ‘कुंभपर्व माहात्म्य’ मराठी और हिंदी भाषा में ‘ई-बुक’ का विमोचन, ‘नामजप कौन सा करना चाहिए?’ मराठी भाषा में ‘ई-बुक’ का प्रकाशन और ‘सनातन आश्रम दर्शन’ वीडियो का लोकार्पण किया गया।