हृदय एवं श्वसनसंस्था को बल देनेवाली आयुर्वेद की कुछ प्रसिद्ध औषधियां

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वैद्य मेघराज माधव पराडकर

१. लक्ष्मीविलास रस

यह हृदय को उत्तेजना देनेवाली औषधि है । नाडी ठीक से न लगने पर इस औषधि के सेवन से उसके पूर्ववत् होने में सहायता होती है । इसके सेवन से रक्तवाहिनियां विस्फारित होती हैं और हृदय के आकुंचन और प्रसरण भी ठीक से होने में सहायता होती है । यह औेषधि वैद्य के परामर्श से ही लें । तात्कालिक (उस समय तक के लिए) औषधि लेनी हो तो एक गोली का चूर्ण थोडे शहद में मिलाकर खाएं । अन्य समय १५ दिवस से १ माह तक सवेरे – सायं एक-एक गोली का चूर्ण थोडे-थोडे शहद में मिलाकर, फिर चुभलाकर खाएं ।

१ अ. श्वसनसंस्था एवं रक्ताभिसरण संस्था के विकार

श्वसनसंस्था और हृदय को बल देने के लिए इस औषधि का अच्छा उपयोग होता है । दम घुटने समान होना, बारंबार घबराहट होना, छाती तेजी से धडकना जैसे हृदय से संबंधित विशिष्ट लक्षणों में इस औषधि का उपयोग होता है ।

१ आ. उलटियां और दस्त (जुलाब)

इसमें नाडी बल घटने पर इसका उपयोग करें ।

१ इ. आंतों का ज्वर (टायफॉईड)

आंतों में (अंतडियों का) विषैलापन नष्ट होने के लिए इस औषधि का उपयोग होता है । ज्वर (बुखार) के कारण आई कमजाेरी इस औषधि के सेवन से दूर होने में सहायता होती है ।

१ ई. सिरदर्द

एक समान वेदना होते रहना; माथा, भौहें, गर्दन और पीठ से एकाएक ही वेदना की तरंग उठाना; गरम सिकाई से अच्छा लगना और ठंडी हवा से वेदना बढना, ऐसे विशिष्ट लक्षणों वाले सिरदर्द में इस औषधि का उपयोग होता है ।

२. प्रभाकर वटी

यह औषधि हृदय को बल देनेवाली है । यह ‘छाती जोरों से धडकना’, इस लक्षण पर उपयुक्त है ।  हृदय के विकारों में हृदय की कार्यक्षमता बढाने के लिए इसका उपयोग होता है । कोरोना जैसे संक्रामक ज्वर के उपरांत हृदय को आई कमजोरी, इसके सेवन से दूर होने में सहायता होती है । १५ दिनों से १ माह तक, एक-एक गोली का चूर्ण दिन में २ बार शहद के साथ चुभलाकर लें । यह औषधि वैद्य के परामर्श से लें ।

यह औषधि अपने मन से न लेते हुए वैद्य के मार्गदर्शनानुसार ही लेनी चाहिए; परंतु कई बार वैद्य के पास तुरंत जाने जैसी स्थिति नहीं होती । कई बार वैद्यों के पास जाने तक औषधि मिलना आवश्यक होता है, तो कई बार थोडा-बहुत औषधि-पानी करने पर वैद्य के पास जाने की आवश्यकता ही नहीं होती । इसलिए ‘प्राथमिक उपचार’ के रूप में यहां कुछ आयुर्वेद की औषधियां दी हैं । यदि औषधि लेकर भी अच्छा न लगे तो यथाशीघ्र स्थानीय वैद्य से परामर्श करें ।

– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (१५.७.२०२२)

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