डॉ. दाभोलकर-पानसरे हत्याओं में सनातन संस्था को फंसाने के पीछे अंनिस और शहरी नक्सलवादियों की साजिश ! – श्री. चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था
पुणे – सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए शहरी नक्सलियों द्वारा लगातार साजिशें रची जा रही हैं । डॉ. नरेंद्र दाभोलकर और कॉ. गोविंद पानसरे जैसे आधुनिकतावादियों की हत्याओं में सनातन संस्था को दोषी ठहराने के लिए अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति और शहरी नक्सलियों की साजिश थी, ऐसा सनातन संस्था के श्री. चेतन राजहंस ने कहा । वे सनातन संस्था द्वारा आयोजित ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन या छुपा अर्बन नक्सलवाद’ विषय पर ‘लोकमान्य सभागृह’, केसरीवाड़ा, पुणे में आयोजित विशेष कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं को संबोधित कर रहे थे । इस अवसर पर ‘असत्यमेव जयते’ पुस्तक के लेखक श्री. अभिजीत जोग ने भी उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन किया ।
इस अवसर पर श्री. राजहंस ने आगे कहा कि डॉ. दाभोलकर और पानसरे हत्याकांड में सनातन संस्था को दोषी ठहराकर ‘बलि का बकरा’ बनाने का प्रयास किया गया । अर्बन नक्सलवाद से जुडे डॉ. दाभोलकर, कॉमरेड पानसरे, कलबुर्गी और वामपंथी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद देश में वामपंथी विचारकों ने ‘अवॉर्ड वापसी’ से लेकर भारत में रहने से डर लगने की बातें करना शुरू कर दिया । मानो महात्मा गांधी की हत्या के पश्चात् जैसे यहीं ४ हत्त्याएं देश में हुई ऐसा माहौल बनाया गया । लेकिन पिछले 25 सालों में नक्सलियों ने 14 हजार से अधिक जवानों, पुलिसकर्मियों, नेताओं और आम नागरिकों की हत्या की है । देशभर में कमलेश तिवारी, किशन भरवाड़, प्रवीण नेटारू और प्रशांत पुजारी जैसे हजारों हिंदुत्ववादियों की हत्याएं हुई । लेकिन उनके बारे में कभी चर्चा नहीं होती, ऐसा क्यों ?
डॉ. दाभोलकर हत्याकांड में न्यायालय ने हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. वीरेंद्रसिंह तावड़े, सनातन संस्था के साधक श्री. विक्रम भावे और हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर को निर्दोष मुक्त कर दिया । डॉ. वीरेंद्रसिंह तावड़े को इस मामले में 8 साल का कारावास भुगतना पड़ा । यह उनके साथ अन्याय है । श्री. विक्रम भावे को 2 साल और अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर को 42 दिन जेल में रहना पड़ा । इन तीनों की व्यक्तिगत हानि की भरपाई कौन करेगा ? ‘विवेक का आवाज’ कहलाने वाली अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति क्या इसके लिए सार्वजनिक माफी मांगेगी ? ऐसा सवाल भी श्री. राजहंस ने इस अवसर पर उठाया ।
बांग्लादेश की तरह भारत में भी विध्वंस करने की साजिश ! – अभिजीत जोग, लेखक
दुनिया में तीन शक्तियां आज कार्यरत हैं जिनकी वैश्विक महत्वाकांक्षाएं हैं: ‘डीप स्टेट’, ‘वामपंथी और जिहादी इस्लाम’, तथा ‘चर्च द्वारा प्रायोजित सेमिटिक धर्म’। वे देश जो अपनी पहचान और आत्मसम्मान को बनाए रखते हैं और देशहित में स्वतंत्र नीतियाँ बनाते हैं, उन्हें ये शक्तियां अपने रास्ते का कांटा मानती हैं । ऐसे देशों में अराजकता और हिंसा फैलाकर उनके विध्वंस का प्रयास किया जाता है । इसका प्रयोग हाल ही में बांग्लादेश में किया गया और अब भारत में भी यही हो रहा है, ऐसा ‘असत्यमेव जयते’ पुस्तक के लेखक श्री. अभिजीत जोग ने कहा ।