- सामूहिक न्यास पंजीकृत कार्यालय के जांच ब्योरे द्वारा अंनिस का पाखंडीपन स्पष्ट हुआ
- न्यास पर किए गए परिवादों की पुनर्जांच किजीए ! – सामूहिक न्यास
- पंजीकृत कार्यालय की ओर से चेतावनी न्यास के आर्थिक भ्रष्टाचार के संदर्भ में क्या दाभोळकर की हत्या का संबंध है ?, इस बात की भी जांच करने की मांग
पुणे – विवेकवाद की भाषा करनेवाले तथा अंधश्रद्धा निर्मूलन के नाम पर हिन्दुओं की धार्मिक श्रद्धा पैरोंतले कुचलनेवाले महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का पाखंडीपन पुनः एक बार स्पष्ट हुआ है । सनातन संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति, साथ ही हिन्दु विधीज्ञ परिषद की ओर से अंनिस के न्याय में हुए आर्थिक भ्रष्टाचार का सूत्र उपस्थित किया जा रहा था । केवल आरोप नहीं, तो उस संदर्भ में पृथक शासकीय विभाग में वैध मार्ग से परिवाद पंजीकृत भी किए गए थे । उसमें से 4 परिवादों के संदर्भ में सातारा के सामूहिक न्यास पंजीकृत कार्यालय के अधीक्षकों ने जांच ब्यौरा प्रस्तुत कर यह चेतावनी दी है कि, ‘अंनिस के किए गए न्याय के आर्थिक भ्रष्टाचार के परिवादों में वास्तवता है । केवल इतना ही नहीं, तो महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के न्यास पर प्रशासक नियुक्त करें, उसका विशेष रूप से लेखा परीक्षण (स्पेशल ऑडिट) किजीए, साथ ही न्याय पर किए गए गंभीर परिवादों की जांच करने पुनर्जांच करें ।’
अंनिस का अविवेक पूर्ण तथा भ्रष्ट कार्य स्पष्ट करने के लिए १ अकटूबर के दिन यहां के श्रमिक पत्रकार भवन में आयोजित की गई पत्रकार परिषद में सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. अभय वर्तक वक्तव्य किया । अपने वक्तव्य में उन्होंने यह मांग की है कि, ‘इस से अंनिस तथा दाभोळकर का पाखंडीपन स्पष्ट हुआ है तथा करोडो रुपएं के देशी-विदेशी अर्पण प्राप्त कर भ्रष्टाचार करनेवाली महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति पर प्रशासक की नियुक्ति करें । साथ ही क्या दाभोळकर हत्या को उनके न्यास का आर्थिक अनुचित व्यवहार कारण हुआ है ?’ उस समय हिन्दु विधीज्ञ परिषद के राष्ट्रीय सचिव अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर, समर्थ भक्त पू. सुनीलजी चिंचोलकर, राष्ट्रीय वारकरी सेना के कोकण प्रातांध्यक्ष ह.भ.प. बापूमहाराज रावकर, हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट, शिवसेना के भूतपूर्व शहरप्रमुख रामभाऊ पारीख, अधिवक्ता चंद्रकांत भोसले, हिन्दू एकता आंदोलन दल के पुणे शहर उपाध्यक्ष श्री. शैलेंद्र दीक्षित, गार्गी फाऊंडेशन के श्री. विजय गावडे उपस्थित थे ।
उस समय श्री. वर्तक ने यह प्रश्न भी उपस्थित किया कि, ‘अंनिस के भ्रष्टाचार के संदर्भ में निश्चित प्रमाण प्रस्तुत करते हुए क्या धर्मादाय आयुक्त कार्यालय इस समय अंनिस पर निश्चित कार्रवाही करेंगी ?’ (लोगों, अंधश्रद्धा निर्मूलन के नाम पर परदेश से लक्षावधी रुपएं का निधी इकट्ठा कर हिन्दुओं की धार्मिक श्रद्धा कुचलने के उद्देश्य से कार्यरत रहनेवाले अंनिस का वास्तव स्वरूप पहचानें ! हिन्दु धर्म समाप्त करने हेतु हिन्दुविरोधकों द्वारा आंतरराष्ट्रीय षडयंत्र रचाया जा रहा है । अंनिस के साथ अन्य अनेक हिन्दुविरोधी संगठन तथा व्यक्ति विदेशी हस्तकों के अनुसार कार्य कर हिन्दुओं को धर्माचरण से दूर रखने का प्रयास कर रहे हैं । उनका वास्तव स्वरूप पहचानकर उनके विरोध में वैध मार्ग से लडा दीजिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
अंंनिस के न्याय में हुए करोडो रुपएं के आर्थिक भ्रष्टाचार की जांच करने के संदर्भ में डोंबिवली के आर्.टी.आय. के कार्यकर्ता श्री. सुधांशू जोशी, रायगड के राष्ट्रीय वारकरी सेना के कोकण प्रातांध्यक्ष ह.भ.प. बापूमहाराज रावकर तथा हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने पृथक शासकीय विभागों में परिवाद प्रविष्ट किए हैं । उस संदर्भ में सातारा के सामूहिक न्यास पंजीकृत कार्यालय के निरीक्षकों की जांच ब्योरा सूचना अधिकार में उपलब्ध हुई है । उस से ये गंभीर बातें स्पष्ट हुई हैं । वर्ष २०१२ से महाराष्ट्र अंनिस के संदर्भ में धर्मादाय आयुक्त कार्यालय में अनेक परिवाद प्रलंबित थे । कांग्रेस शासन के समय उन्हें प्रलंबित रखा गया था; किंतु मुख्यमंत्री देवेंद्रजी फडणवीस ने त्वरित अन्वेषण करने के आदेश देने के पश्चात् इस अन्वेषण को वास्तविक रूप से आरंभ हुआ । इस संदर्भ में श्री. अभय वर्तक ने मुख्यमंत्री के आभार व्यक्त किए । अंनिस के न्यास का इस प्रकार भी एक चमत्कार ! चिठ्ठियां डालकर न्यास नियुक्त करने की अंनिस के न्यास की पद्धत है । २६.४.२०१२ को एकगुठ्ठा प्रस्तुत किए गए परिवर्तन अर्ज में लगातार ४ वर्ष नरेंद्र दाभोळकर की ही चिठ्ठी कैसे आई ? एक तो यह दाभोळकर का चमत्कार है, अन्यथा झूठापन है ।
वैज्ञानिकता अथवा असंविधानिक अभियान के नाम पर छात्रों से बलपूर्वक प्राप्त किया धन लौटाईए ! – अभय वर्तक
अंनिस का वैज्ञानिक भान यह पाठशालाओं के छात्रों को हिन्दु धर्म से दूर करनेवाला अभियान आयोजित किया गया । उस समय छात्रों द्वारा प्रत्येकी १०-१० रुपएं इकट्ठा कर उन्होंने लक्षावधी रुपए इकठ्ठे किए । विशेष रुप से इस प्रकार का अभियान पाठशालाओं में आयोजित करना यह धार्मिक भावना आहत करनेवाला अभियान है, ऐसा शिक्षण विभाग का आदेश होते हुए भी छात्रों की आर्थिक प्रतारणा की जा रही है । यह अभियान शासकीय अभियान की तरह आयोजित किया गया । इस से अतिरिक्त उनमें से इकठ्ठा किए गए धन का अन्य अनुचित बातों के लिए उपयोग किया गया । अतः विवेकवाद की भाषा करनेवाले अंनिस ने छात्रों द्वारा इकठ्ठे किए गए धन का कुपोषित छात्रों के लिए ही उपयोग क्यों नहीं किया गया ? इस अभियान में छात्रों द्वारा प्राप्त धन उन्हें पुनर्प्राप्त होना चाहिए ।
क्या आर्थिक अनुचित व्यवहार के कारण
हुर्इ दाभोळकर की हत्या ? जांच हों । – पू. सुनील चिंचोलकर
हिन्दी में एक कहावत है कि, जिनके घर काच के होते हैं, वे अन्यों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते । गोंदवलेकर महाराज भी कहते हैं कि, इस बात की चिंता करें कि, विश्व को सुधारने में हम स्वयं बिगड नहीं जाएं । यह स्पष्ट है कि, दाभोलकर के संदर्भ में ऐसा ही हुआ है । बुवाबाबा के पीछे दौडनेवाले डॉ. दाभोलकर स्वयं ही बुवा बन गए । दाभोलकर की संस्था का आर्थिक व्यवहार पारदर्शक नहीं है, अतः डॉ. दाभोलकर की हत्या का अन्वेषण करते समय क्या आर्थिक अनुचित व्यवहार के कारण उनकी हत्या हुई ? इस संदेह का अन्वेषण तंत्र को गंभीरता से करना चाहिए तथा उसी दृष्टि से अन्वेषण करना चाहिए ।
भ्रष्ट अंनिसवाले बंदी बनने तक
आंदोलन जारी रहेगा ! – ह.भ.प. बापू महाराज रावकर
अंनिस तथा दाभोलकर का अंधश्रद्धा के नाम पर लोगों को हिन्दु धर्म से दूर रखने का यह षडयंत्र हम ने स्पष्ट किया था । अब यह सिद्ध हुआ है कि, डॉ. दाभोलकर वैज्ञानिक पाखंडी बाबा थे । साथ ही यह भी स्पष्ट हुआ है कि, धर्मद्रोही अंनिस भ्रष्ट एवं कर डुबानेवाली कैसी थी ? विवेक जागृत करने का सूचित करनेवाली भ्रष्ट अंनिस का स्थान कारागृह में है तथा भ्रष्ट अंनिसवाले कारागृह में बंदी हो जाने तक वारकरी संप्रदाय की ओर से हम यह आंदोलन आरंभ रखेंगे ।
झूठे अंनिस पर प्रशासक नियुक्त करने की मांग को
शिवसेना का समर्थन ! – श्री. रामभाऊ पारीख
दाभोळकर की यह स्थिती है कि, दूसरे के आंख का कूडा (कुसळ) दिखाई देता है, किंतु अपने आंख का कूडादान (मुसळ) नहींं दिखाई देता । सनातन संस्था जब जब दाभोळकर तथा अंनिस का भ्रष्ट चेहरा लोगों के सामने स्पष्ट करती है, उस समय शिवसेना ने उन्हें पुष्टि दी है । झूठी अंनिस पर प्रशासक नियुक्त करने की मांग को शिवसेना की पुष्टि है । इस संदर्भ में संबंधितों की गहरी जांच कर अपराधियों को दंड देना चाहिए ।
धर्मादाय आयुक्त कार्यालय के अधीक्षकों द्वारा प्रविष्ट किए गए गंभीर निरीक्षण द्वारा अंनिस के झूठेपन के संदर्भ में ध्यान में आए कुछ सूत्रं
१. न्यास द्वारा प्रस्तुत किए गए हिसाबपत्रक के अनुसार यह स्पष्ट हुआ है कि, न्यास को अधिक मात्रा में परदेशी निधी प्राप्त हुआ है । किंतु ये निधी स्वीकार कर कुछ वर्षों के पश्चात् एक प्रणाल को दिए गए साक्षात्कार में डॉ. दाभोलकर ने पूरीतरह से यह झूठा वक्तव्य किया था कि, न्यास को परदेशी निधी प्राप्त ही नहीं है ।
२. न्यास के निधी में वर्ष 2004 से आगे अधिक मात्रा में वृद्धि हुई है । न्यास ने अधिक संख्या में यह निधी बैंक में इकठ्ठा किया है । इस से यह स्पष्ट होता है कि, परिवाद करनेवालों के परिवादों में कुछ वास्तव है । ट्रस्ट ने ठेवी, कायम ठेव, म्युच्युअल फंड, शेअर्स में करोडों रुपएं का निधी इकठ्ठा किया है ।
३. हिसाब जांच करनेवालों ने हिसाबपत्रक के साथ परदेशी निधी का सविस्तार ब्यौरा प्रस्तुत नहीं किया है ।
उपर्युक्त सद्यस्थिती से यह ध्यान में आता है कि, न्यास पर अधिकृत कार्यकारिणी अथवा न्यास नहीं है । अतः न्यास के कार्य के लिए कुछ समय के विधीतज्ञों की प्रशासक के रूप में नियुक्ति करना आवश्यक है । साथ ही न्यास द्वारा प्रविष्ट किया गया ऑडिट रिपोर्ट तथा परिवादवालों के परिवादों का स्वरूप देखते हुए यह गंभीर निरीक्षण पंजीकृत किया गया है कि, विशेष लेखापरीक्षण (स्पेशल ऑडिट) करना आवश्यक हुआ है ।
सनातन द्वारा किए गए परिवाद सत्य; तो पुरोगामियों के परिवाद आधारहीन
सनातन संस्था तथा हिन्दू जनजागृति समिति ने अनेक वर्ष पूर्व ही अंनिस का आर्थिक भ्रष्टाचार स्पष्ट किया था । उस समय साम्यवादी, साथ ही कुछ प्रसारमाध्यमों ने भी उसकी ओर विशेष ध्यान देने की अपेक्षा अंनिस का आधारहीन पक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया था । इसके विपरित अंनिस द्वारा सनातन पर किए जानेवाले परिवादों के आधार पर सनातन को ही लक्ष्य किया जाता था । यह स्षप्ट हुआ है कि, यदि हिन्दुविरोधक एवं सनातन संस्था द्वारा किए गए परिवादों का वस्तुनिष्ठता से विचार किया जाता, तो सनातन के परिवाद निश्चित एवं वास्तव हैं, तो पुरोगामी तथा हिन्दु विरोधकों द्वारा सनातन पर किए गए परिवाद आधारहीन थे । क्योंकि प्रशासकीय अधिकारियों ने ही अंनिस के आर्थिक भ्रष्टाचार के संदर्भ में वक्तव्य किया है, तो आधारहीन परिवादों के संदर्भ में न्यायालय ने अन्वेषण तंत्रों को अप्रत्यक्ष रूप से फटकारा है ।
क्या यही विवेक का आवाज है ? – अभय वर्तक
श्री. अभय वर्तक ने यह प्रश्न उपस्थित किया है कि, लेखापरीक्षण ब्यौरा 10-12 वर्षों के पश्चात् प्रस्तुत करना, लक्षावधी का परदेशी निधी प्राप्त होते हुए भी वह प्राप्त नहीं था, इस प्रकार का पूरीतरह से झूठा वक्तव्य करना, न्यासी परिवर्तन के प्रत्येक समय पर प्रशासकीय कार्यालय को सूचित नहीं करना, प्राप्त निधीमेंसे कार्यकर्ताओं को वाहन वितरित करना, छात्रों द्वारा वैज्ञानिक भान इस प्रकल्प के नीचे धन प्राप्त करना, नक्सलवादियों के साथ संबंधों का समर्थन करना, अंशदान डुबाना क्या यही अंनिसवालों का विवेक का आवाज तथा विवेक का कार्य है ?
सामूहिक न्यास पंजीकृत कार्यालय के ब्यौरे के कारण सनातन ने अंनिस पर किए गए परिवादों को पुष्टि ! – अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर
अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर ने पत्रकार परिषद में बताया कि, इससे यह स्पष्ट होता है कि, इससे पूर्व हम ने अनेक बार दाभोलकर जीवित होते, तो वे कारागृह में बंदी होते, ऐसा दावा किया था, वह आज इन प्रमाणों द्वारा सत्य है । अतः दाभोळकर जीवित समय कारागृह में बंदी बनाए जाते, तो कौन-कौन अडचन में आतें ? दाभोलकर की अंनिस में इतने आर्थिक भ्रष्टाचार हुए हैं, कि, उसके किन किन से हितसंबंध हैं ? क्या उनका दाभोळकर की हत्या के संबंध है ? इस प्रकार के गहन प्रश्नों के उत्तरं प्राप्त करने हेतु तथा दाभोळकर के वास्तविक हत्यारे को बंदी बनाने के लिए अंनिस ट्रस्ट के सभी सदस्य तथा ट्रस्ट के आर्थिक व्यवहारों से संबंधित सभी की जांच करना अत्यंत आवश्यक है ।