‍वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में सनातन संस्‍था के ‘अध्यात्म का प्रास्ताविक विवेचन’ नामक गुजराती ‘ई-बुक’का प्रकाशन !

बाएं से श्री. सुनील घनवट, ई-बुक का प्रकाशन करते हुए पू. प्रा. पवन सिन्‍हा गुरुजी, भूतपूर्व मुख्‍य जिलान्‍यायाधीश अधिवक्‍ता दिलीप देशमुख और श्री. गुरुप्रसाद गौडा

वैश्‍विक हिन्दू राष्‍ट्र महोत्‍सव के ५ वें दिन अर्थात २८ जून के पहले सत्र में सनातन संस्था के ‘अध्‍यात्‍म का प्रास्‍ताविक विवेचन’ नामक गुजराती ‘ई-बुक’का प्रकाशन उत्तरप्रदेश के पावन चिंतन धारा आश्रम के संस्‍थापक पू. प्रा. पवन सिन्‍हा गुरुजी के शुभहस्तों किया गया । इस अवसर पर व्यासपीठ पर भूतपूर्व मुख्य जिलान्‍यायाधीश अधिवक्‍ता दिलीप देशमुख, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्यों के समन्‍वयक श्री. सुनील घनवट एवं हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्‍ट्र राज्य समनव्‍यक श्री. गुरुप्रसाद गौडा उपस्‍थित थे ।


वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में हिन्दू राष्‍ट्र हेतु वैचारिक आंदोलन के विषय पर आधारित सत्र

हिन्दू राष्‍ट्र के कथानकों (नैरेटिव) के विरुद्ध संघर्ष करने हेतु बौद्धिक योगदान दें ! – चेतन राजहंस, राष्‍ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्‍था

सनातन संस्‍था के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता श्री. चेतन राजहंस ने वैश्‍विक हिन्दू राष्‍ट्र महोत्‍सव के चतुर्थ दिन विद्याधिराज सभागृह में ‘हिन्दू विचारमंथन महोत्‍सव : वैचारिक आंदोलन की दिशा’ इस विषय पर वक्‍तव्‍य देते हुए कहा, ‘हिन्दू राष्‍ट्र के कथानकों के विरुद्ध संघर्ष करने हेतु बौद्धिक योगदान दें !’

उन्होंने आगे कहा, ‘वर्तमान स्थिति में विषय का प्रौपेगांडा कर राष्‍ट्र एवं हिन्दू धर्म के विरुद्ध ‘कथानक’ फैलाए जा रहे हैं । ऊपरी तौर पर ऐसा प्रतीत होता है कि इसके पीछे एखाद व्‍यक्‍ति ही है, परंतु वास्तव में इसके पीछे राष्‍ट्रविरोधी शक्‍तियां कार्यरत हैं । मार्क्‍सवादी, नास्‍तिकतावादी, आधुनिकतावादी (प्रगतिशीलवादी), मिशनरी एकत्र होकर अजेंडा कार्यान्वित करने का काम कर रहे हैं । भारत को तोडना एवं हिन्दू धर्म को नष्‍ट करना, उनका षड्‌यंत्र है । अकलाख की हत्‍या के उपरांत ये ‘पुरस्‍कार वापसी’ का अभियान चलाते हैं; परंतु राजस्‍थान के कन्‍हैयालाल की हत्‍या के उपरांत ये लोग मौन साध जाते हैं । ये लोग लव जिहाद के विषय में एक शब्द भी नहीं बोलते । एक ओर तो ये लोग धर्म को ‘अफीम की गोली’ बताते हैं, तो दूसरी ओर केरल के शबरीमला मंदिर में महिलाएं प्रवेश कर सकें, इसलिए आंदोलन करते हैं । चुनिंदा घटनाओं के संदर्भ में ये लोग शांति रखते हैं । इन लोगों का सामना करने हेतु हिन्दुओं को भी एकत्र होकर कार्य करना होगा । फिल्मी जगत, सामाजिक माध्‍यम, न्‍यायव्‍यवस्‍था, राजनीति, क्रीडा, कला आदि माध्‍यमों से राष्‍ट्र एवं हिन्दू धर्म के विरुद्ध नैरेटिव तैयार करने का काम जोर-शोर से शुरू है । पिछले १० वर्षों में इन सभी क्षेत्रों में बडी मात्रा में वैचारिक ध्रुवीकरण हुआ है । इस कारण आगामी ५ वर्ष हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हैं । कहा जाता है कि बौद्धिक समाज मतभेद के कारण एकत्र कार्य नहीं करता, परंतु भविष्‍य में यह निष्‍कर्ष परिवर्तित करना पडेगा । बौद्धिक मतभेद भुलाकर हिन्दू राष्‍ट्र की स्‍थापना हेतु हिन्दुओं को एकत्रित कार्य करना पडेगा । ‘ब्रेन वॉशिंग’ अर्थात वास्तव में बुद्धि शुद्ध कर बौद्धिक युद्ध में सम्मिलित होना होगा ।’


26.6.2024

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में अनुभवकथन तथा उपासना का महत्त्व

हिन्दू राष्ट्र का कार्य रोकने हेतु ‘हिन्दू आतंकवाद’ का कथानक तैयार करने का प्रयास ! – अभय वर्तक, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

समझौता एक्सप्रेस बमविस्फोट, अजमेर बमविस्फोट, मालेगांव विस्फोट प्रकरण हों अथवा डॉ. दाभोलकर हत्या तथा कॉ. पानसरे हत्या प्रकरण हो, ऐसे विभिन्न प्रकरणों में निर्दाेष हिन्दुत्वनिष्ठों को गिरफ्तार किया गया । उनके विरुद्ध कोई प्रमाण नहीं मिले; परंतु उससे उनका जीवन ध्वस्त हुआ । हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं को कारागृह में डाल देना तथा उनके संबंध में ‘हिन्दू आतंकवाद’ का कथानक चलाकर उन्हें बदनाम करना हिन्दूविरोधी शक्तियों का षड्यंत्र था । ऐसा कर उन्हें हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का कार्य रोकना था, ऐसा प्रतिपादन सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में किया ।

उन्होंने कहा, ‘‘डॉ. दाभोलकर हत्या तथा कॉ.पानसरे हत्या इन प्रकरणों में भी २५ से अधिक निर्दाेष हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता अभी भी कारागृह में हैं । वे भले ही किसी भी संगठन के हों, तब भी ‘हिन्दू आतंकवाद’ का कथानक तैयार करनेवालों के लिए वे हिन्दू ही हैं । हमारी संवेदना ऐसे हिन्दुत्वनिष्ठों के साथ सदैव होनी चाहिए तथा उन्हें छुडाना प्रत्येक हिन्दू संगठन को अपना कर्तव्य प्रतीत होना चाहिए । वर्तमान समय में समाचारवाहिनियां हिन्दू संगठनों के पक्ष में नहीं हैं । उसके कारण हिन्दुत्वनिष्ठों को सत्य के आधार पर इन झूठे कथानकों का सामना करना है । उसके लिए हमें अपनी ‘इकोसिस्टम’ को अधिक मजबूत करना आवश्यक है । हमारा पथ धर्म का पथ है; इसलिए वे हमें कष्ट देने का प्रयास करेंगे; परंतु वे हमें नष्ट नहीं कर सकते । धर्म के मार्ग पर चलने के कारण कोई हमारा अनिष्ट नहीं कर सकता । इस संघर्ष में हमारी ही विजय होनेवाली है तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना निश्चित ही होनेवाली है ।’’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को मिला ‘भारत गौरव पुरस्कार’ उन्होंने मानवजाति के कल्याण हेतु किए गए अद्वितीय कार्य का सम्मान ! – सद़्गुरु नंदकुमार जाधवजी, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

बाएं से, श्री. संतोष केचंबा (संस्थापक, राष्ट्र धर्म संगठन, कर्नाटक), सद़्गुरु नंदकुमार जाधवजी (धर्मप्रचारक, सनातन संस्था), १०८ निळकंठ शिवाचार्यजी महाराज (पाटण, महाराष्ट्र) एवं छाया र्आ. गौतम (जिलाध्यक्ष, हिन्दू महासभा, मथुरा, उत्तरप्रदेश)

सनातन संस्था रजतमहोत्सव वर्ष मना रही है । सनातन संस्था धर्मकार्य का प्रसार एवं प्रचार करनेवाली संस्था है । सनातन संस्था जिज्ञासुओं को आध्यात्मिक उन्नति हेतु साधना सिखाती है । तीसाठी साधना शिकवते. सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने २२ मार्च १९९९ को सनातन संस्था की स्थापना की । आज इस वृक्ष का वटवृक्ष में रूपांतरण हुआ है । सनातन संस्था ने संपूर्ण देश में गांव-गांव में साधनासत्संग आरंभ कर लोगों को साधना का महत्त्व बताया । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन में सनातन संस्ता ने विभिन्न विषयों पर ग्रंथनिर्मिति की है ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने वर्ष १९९८ में ‘ईश्वरीय राज्य की स्थापना’ ग्रंथ प्रकाशित कर ‘हिन्दू राष्ट्र’ का विचार सामने रखा । सनातन संस्था के दिव्य कार्य की कीर्ति अब विदेशों में भी फैल गई है । भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के वैश्विक कार्य में सनातन संस्था के अद्वितीय योगदान के कारण ५ जून २०२४ को सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को फ्रांस की सिनेट में ‘भारत गौरव’ पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया है । मानवजाति के कल्याण हेतु उनके द्वारा किए गए कार्य का यह सम्मान है ।


25.6.2024

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को ‘भारत गौरव’ पुरस्कार से सम्मानित कर हम ही गौरवान्वित हुए ! – पंडित सुरेश मिश्रा, संस्थापक तथा अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, सर्व ब्राह्मण महासभा, जयपुर

भग‍ावन श्रीकृष्ण की प्रतिमा देकर पंडित सुरेश मिश्रा जी (बाएं) का सम्मान करते हुए सद्गुरु नंदकुमार जाधव (दाएं), धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

विदेशों के हिन्दुओं को जोडने हेतु तथा भारतीय लोगों को विदेशों में बंसाने हेतु हमने ‘भारत गौरव’ पुरस्कार का आरंभ किया है । इस माध्यम से हमें सहस्रों भारतीयों को विदेशों में बंसाने में सफलता मिली है । इस पुरस्कार के लिए कभी-कभी भारत के राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री ने भी नाम सुझाए हैं । इंग्लैंड की संसद में ८ बार इस पुरस्कार का वितरण हुआ है । इस वर्ष यह पुरस्कार वितरण फ्रांस की संसद में हुआ तथा इसके उपरांत हमने उसे न्यूयॉर्क में करना सुनिश्चित किया है ।

इस वर्ष फ्रांस की संसद में सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को ‘भारत गौरव’ पुरस्कार से सम्मानित किया । उनकी ओर से उनकी आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी (सनातन की श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी) ने उसे स्वीकार किया । इसके कारण हम ही गौरवान्वित हुए हैं । इस अधिवेशन का निमंत्रण देने हेतु समिति के पदाधिकारी मेरे पास आए थे । उन्होंने मुझे समिति की जानकारी पुस्तक दिखाई । मैंने उस पुस्तक पर अंकित प.पू. डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र देखा तथा उनका छायाचित्र देखकर मैं उनमें विद्यमान देवत्व की ओर इतना आकर्षित हुआ कि मुझे ऐसा लगा, ‘वे ही ‘भारत गौरव’ हैं । उसी समय मैंने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय लिया ।

पढें : फ्रान्स के सिनेट में सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का ‘भारत गौरव पुरस्कार’ देकर सम्मान !


२४.६.२०२४

वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के लिए सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का संदेश

सर्वस्व का त्याग ही हिन्दू राष्ट्र स्थापना की नींव है – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी

द्वादश ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन अर्थात ‘वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में उपस्थित सर्व हिन्दू राष्ट्र वीरों को मेरा नमस्कार । इस वर्ष हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन की तपपूर्ति (१२ वर्ष) हो रही है । इन अधिवेशनों के माध्यम से निर्मित धर्मनिष्ठ एवं देशभक्तों के संगठन के कारण आज धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र निर्मिति की संकल्पशक्ति के स्पंदन वैश्‍विक स्तर पर भी प्रतीत हो रहे हैं । हिन्दू राष्ट्र ईश्‍वर की इच्छानुसार योग्य समय पर स्थापित होनेवाला है । वास्तविक रूप से अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमी पर श्रीराम मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा होकर सूक्ष्म रूप से रामराज्य, अर्थात हिन्दू राष्ट्र प्रारंभ हो चुका है । अब रामराज्यरूपी धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र प्रत्यक्ष साकार होने के लिए स्वक्षमता के अनुसार तन-मन-धन एवं समय आने पर सर्वस्व का त्याग करने अर्थात सर्वोच्च योगदान देने की आवश्यकता है । सर्वस्व का त्याग ही हिन्दू राष्ट्र स्थापना की नींव है, यह ध्यान में रखकर धर्मसंस्थापना का महान कार्य कीजिए !

क्या है वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव ?

विश्वभर में हिन्दू विरोधी बयानबाजी और घृणा जनित अपराधों (hate crime) में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। प्रतिदिन, भारतीय हिन्दुओं को असत्य जानकारी, धोखा, कट्टरता और घृणा जनित अपराधों का सामना करना पडता है। हिन्दुओं पर हर ओर से आक्रमण हो रहे हैं। इस हिन्दू घृणा को आखिर हम कब तक सहन करेंगे ? धर्म के आधार पर बना हिन्दू राष्ट्र ही इसका एकमात्र समाधान है। हिंदू जनजागृति समिति हिंदू राष्ट्र की स्थापना के इस कार्य में पथ दर्शक रही है। इस लक्ष्य को साध्य करना कोई छोटा काम नहीं है और इसके लिए प्रत्येक हिंदू के सक्रिय सहभाग की आवश्यकता है। इसलिए हिंदुत्व के लिए समर्पित प्रत्येक छोटे-बडे हिन्दू संगठन को एकजूट करने के उद्देश्य से हिंदू जनजागृति समिति ने अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन का आयोजन किया है।

24 से 30 जून, 2024 की अवधि में वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव (१२ वां अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन) आयोजित किया गया है। भारत को शीघ्रातिशीघ्र हिन्दू राष्ट्र कैसे घोषित किया जाए, इस पर विचारमंथन एवं कार्ययोजना बनाने के लिए देश-विदेश के 1000 से अधिक धर्माभिमानी, अधिवक्ता, उद्योगपति आदि इसमें सम्मिलित होंगे ।

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