सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का नववर्ष के अवसर पर संदेश
‘चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात युगादी तिथि, वही हिन्दुओं का नववर्षारंभ है ! हिन्दू धर्म में साढे तीन मुहूर्ताें पर शुभ कृत्य करने का संकल्प किया जाता है । नववर्षारंभ इन साढे तीन मुहूर्ताें में से एक मुहूर्त है । अयोध्या में कुछ दिन पूर्व रामलला विराजमान होने के उपरांत देश को आध्यात्मिक अधिष्ठान प्राप्त हुआ है । अब देश को आवश्यकता है, रामराज्य की ! प्रभु श्रीराम ने समस्त जनता का कल्याण करनेवाला आदर्श रामराज्य स्थापित किया । रामराज्य का अर्थ है अध्यात्मपरायण (सात्त्विक) लोगों का आदर्श राज्य ! वर्तमान भ्रष्ट लोकतंत्र में रामराज्य की कल्पना करना भी दुर्लभ है; परंतु वर्तमान काल, संक्रमण काल है । इसी काल में रामराज्य की स्थापना का प्रारंभ करना सुलभ है । राष्ट्र में रामराज्य की स्थापना हेतु पहले जनता को स्वयं के जीवन में तथा सामाजिक जीवन में रामराज्य को साकार करने हेतु निरंतर कुछ वर्ष प्रयास करने होंगे । व्यक्तिगत जीवन में रामराज्य को साकार करने हेतु स्वयं साधना करनी होगी । इसी के साथ नैतिक एवं सदाचारी जीवन जीने का संकल्प करना होगा । सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार, अनैतिकता तथा अराजकता का विरोध करने हेतु निरंतर प्रयास करने होंगे । सात्त्विक समाज के नेतृत्व में ही अध्यात्म पर आधारित राष्ट्ररचना, अर्थात रामराज्य संभव है; इसलिए इस नववर्ष से व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में रामराज्य को साकार करने का संकल्प करें !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले