गंगटोक – सिक्किम की राजधानी गंगटोक से ६ किलोमीटर के अंतर पर हिमालय पर्वत की गोद में ‘गणेश टोक’ नामक पवित्र स्थान है । यहां श्री गणेश का एक सुंदर मंदिर है । इस मंदिर में अष्टविनायकों की भी मूर्ति है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळ सिक्किम राज्य के दौरे पर थीं, तब सप्तर्षियों की आज्ञा से २१.३.२०२२ को उन्होंने ‘गणेश टोक’ के मंदिर के दर्शन लिए ।
‘गणेश टोक’ मंदिर के विषय में जानकारी
वर्ष १९५२ में भारत सरकार के एक उच्चपदस्थ अधिकारी श्री. अप्पाजी पंत, जो मूलत: महाराष्ट्र के थे, उनकी सिक्किम राज्य में नियुक्ति हुई थी । श्री. अप्पाजी पंत, ये धार्मिक प्रवृत्ति के और ईश्वर के भक्त थे । वर्ष १९५३ में उन्हें एक स्वप्नदृष्टांत हुआ । स्वप्न में उन्हें गुफा में स्थित श्री गणेश के दर्शन हुए । उन्होंने इस स्थान की खोज की और तब उन्हें आज के ‘गणेश टोक’ की गुफा में श्री गणेश के साक्षात् दर्शन हुए । उन्होंने स्थानीय लोगों द्वारा इस गुफा के स्थान पर श्री गणेश की पूजा की प्रथा डाल दी । गुफा में जाने के लिए जगह अत्यंत अल्प थी । वर्ष २००७ में भारतीय सेना द्वारा गुफा के स्थान पर एक मंदिर की निर्मिति कर, उसमें श्री गणेश की मूर्ति की प्रतिष्ठापना की । यहां ५० सीढियां चढकर दर्शन के लिए जाना पडता है । यहां पूजा के लिए नेपाल के वैदिक ब्राह्मण होते हैं ।
‘गणेश टोक’ मंदिर में श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळ ने भावपूर्ण प्रार्थना की, ‘हे गजानन, आप हिन्दू राष्ट्र स्थापना में आनेवाली सभी बाधाएं दूर करें और इस पवित्र भरतभूमि की आप रक्षा करें !’ – श्री. विनायक शानभाग