डॉ. दाभोलकर के 10 वें स्मृतिदिन के उपलक्ष्य में उनके विचारों की हत्या करने का पूर्ण प्रयत्न अंधश्रद्धा निर्मूलन के अनुयायी एवं सगे-संबंधी, ऐसे दो भिन्न-भिन्न गुटों से शुरू है । वर्षभर से निष्क्रिय ये दोनों गुट अब 20 अगस्त को कार्यक्रमों की भरमार कर यह सिद्ध करने का प्रयत्न कर रहे हैं कि ‘हम ही कैसे खरे अनुयायी हैं !’ हमीद दाभोलकर गुट ने तो सीधे ‘कॉमेडी शो’वालों का पाचारण कर दाभोलकर के स्मृतिदिन को हास्यास्पद बना दिया है । तो, अविनाश पाटील गुट ने अविवेकी होकर न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा न करते हुए सीधे सनातन संस्था को ही दोषी ठहरा दिया है । अब उन्होंने सनातन संस्था को केवल फांसी का दंड देना ही शेष रखा है । अविवेक के अतिरेक के कारण वे भूल गए हैं कि भारत में संविधान, कानून, न्यायालय, ये व्यवस्थाएं भी हैं । सनातन संस्था कहीं भी दोषी सिद्ध नहीं हुई है । इसलिए दाभोलकर अनुयायी यह ध्यान में रखें कि सनातन संस्था कानून के दायरे में रहकर इस बदनामी को ध्यान में रखते हुए अविवेकी और झूठे वक्तव्य करनेवालों पर न्यायालयीन मार्ग से कार्रवाई करने के लिए अधिवक्ताओं से परामर्श कर रही है । सनातन संस्था की बदनामी मुहिम चलानेवालों को कुछ बोलने से पहले सोच-विचार कर बोलना चाहिए, ऐसा संकेत सनातन संस्था ने दिया है ।
अविनाश पाटील गुट सनातन को दोषी ठहरा रहा है, तो दूसरे गुट के प्रमुख हमीद दाभोलकर झूठा प्रचार कर रहे हैं कि आरोपियों ने अपराध स्वीकार किया है । न्यायालय में अभियोग के चलते, ऐसा कुछ भी न होने पर झूठा समाचार फैलाना, अंनिसवालों का न्यायव्यवस्था पर विश्वास न होना दर्शाता है । संस्था ने कहा कि यह बडे दुर्भाग्य की बात है कि इन दोनों गुटों के वर्चस्ववाद की ‘भोंदूगिरी’में सनातन की ‘बलि’ दी जा रही है ।
– श्री. चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था.