क्या, अब धर्मद्रोही अंनिसवाले श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन से प्रदूषण
होता है, ऐसी अपनी रट छोड़ कर ‘मूर्तिदान’ जैसे धर्मद्रोही आंदोलन बंद करेंगे ?
पणजी : गोवा प्रदूषण नियंत्रण मंडलद्वारा वर्ष २०१५ के श्री गणेश विसर्जन के समय की गई जांच से पुनः एक बार स्पष्ट हो गया है कि श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन से जलाशय के पानी के घटक में कोई परिवर्तन नहीं होता !
इससे पूर्व वर्ष २०१४ में भी गोवा प्रदूषण नियंत्रण मंडलद्वारा जांच के अंत में यह निष्कर्ष दिया था कि, श्री गणेशमूर्ति के विसर्जन से कोई प्रदूषण नहीं होता !
श्री गणेशमूर्तियों का विसर्जन किए जानेवाले जलाशयों के पानी की जांच करने हेतु गोवा प्रदूषण नियंत्रण मंडलद्वारा बडा अभियान चलाकर पूरे राज्य में कुल १२ जलाशयों की जांच की गई। जांच किए गए जलाशयों में सामान्य पानी का तालाब, नाले तथा खारे पानी की खाडियां एवं समुद्र का समावेश है। इन जलाशयों से पानी के ३ अलग अलग नमूने (श्री गणेशमूर्ति विसर्जन होने से पूर्व, विसर्जन के तत्काल पश्चात तथा विसर्जन के १५ दिन उपरांत) संग्रहित किए गए एवं प्रयोगशाला में उनकी जांच की गई।
जांच के अंत में पानी के गुणधर्म में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। इससे गोवा प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने निष्कर्ष दिया है कि, श्री गणेशमूर्तियों के विसर्जन से जलाशय प्रदूषित नहीं होता !
गोवा प्रदूषण मंडलद्वारा वर्ष २०१५-१६ के वार्षिक प्रतिवेदन में इस संबंध में ७ पृष्ठ का प्रतिवेदन जारी किया गया है।
गोवा प्रदूषण नियंत्रण मंडलद्वारा जांचे गए विसर्जनस्थल इस प्रकार हैं . . .
१. मांडवी नदी, फेरीबोट के पास का जलाशय, पणजी
२. मान्शेर, पणजी
३. तारीकडे, म्हापसा
४. करमळी तळी
५. चिरेबांद दांदोडा पुल के पास, कुंकळ्ळी
६. खांदीवाडा रेल्वे पुल के पास, कुडचडे
७. परास्ते, हरमलकरवाडा, पेडणे
८. दावडकीवाडा, नाणूस, वाळपई
९. ओरकाटो पुल के समीप, सांगे
१०. पिंपळकट्टा, सांगे
११. पाणेफोंड, किंदले बाग, काणकोण
१२. बायणा समुद्र, वास्को