अनुक्रमणिका
१. संत ज्ञानेश्वर महाराज जैसे अवतारों की आध्यात्मिक विशेषताएं
अ. ऐसे जीवों का जन्म से ही विश्ववबुद्धि एवं विश्वमन की ओर आकर्षण होना
ऐसे जीव जन्म से ही पारदर्शक होने से उनकी बुद्धि की क्षमता विश्वबुद्धि की ओर उडान भरनेवाली और मन की क्षमता छोटे बनने की ओर अर्थात विश्वमन की ओर आकर्षित होनेवाली होती है ।
आ. व्यक्तिगत प्रारब्धभोग न होने से जन्म से ही समष्टि भोग भोगना
अवतारत्व जन्म से ही धारण करनेवाले जीवों का व्यक्तिगत प्रारब्धभोग न होने से वे जन्म से ही समष्टि भोग भोगते हैं ।
इ. बताए हुए सिद्धांत ब्रह्मवाक्य समान होना
इनका जीवन अद्वैतरूपी धर्मसिद्धांत प्रस्तुत करनेवाला होता है । अत: इनके जीवन और इनकी मार्गदर्शनात्मक शैली को ब्रह्मरूपी कर्मसिद्धांत प्राप्त हाेने से ये सिद्धांत ब्रह्मवाक्य समान अनुकरणीय हो गए हैं ।
– एक विद्वान (सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ का लेखन ‘एक विद्वान’ के नाम से प्रकाशित किया जाता है ।)
२. संत ज्ञानेश्वरजी ने भैंसे के मुख से वेद बुलवाए
श्रीक्षेत्र आळंदी के धर्म मार्तंड ने श्री ज्ञानेश्वर महाराज एवं उनके भाईयों से प्रमाण के रूप में पैठण की धर्मसभा का शुद्धिपत्र मांगा जिससे वे धर्म में पुन: ले लिए जाएं इसलिए ये भाई-बहन पैठण आए । पैठण की धर्मसभा में उन्हें अनेक अग्निपरिक्षाएं देनी पडीं । एक दिन की बात है सामने से ‘वाकोबा’ नामक मछुआरा अपने ‘गेनोबा’ नाम के भैंसे को लेकर जा रहा था । तब धर्मसभा के एक धर्म पंडित ने ज्ञानदेव से पूछा, ‘उस भैंसे की और तुम्हारी आत्मा, क्या एक ही है ?’ तब ज्ञानदेव बोले, ‘हां !’ ‘तो यह सिद्ध कर दिखाओ !’, उनके ऐसा कहने पर श्री ज्ञानदेव ने उस भैंसे के मस्तक पर हाथ रखकर वेद उच्चारण की उसे आज्ञा दी । तब भैंसे के मुख से ऋग्वेद की ध्वनि ‘ॐ अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम् । होतारं रत्नधातमम् ॥’ (यह ऋग्वेद की पहली पंक्ति है) निकली ।
तबसे वह भैंसा संत ज्ञानेश्वर का प्रथम शिष्य हो गया । इस चमत्कार से प्रभावित होकर धर्मसभा ने ज्ञानदेव को शुद्धीपत्र दिया ।
(स्थान : श्रीक्षेत्र आळे, ता. जुन्नर, जि. पुणे)
सनातन की सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ गत ५ वर्षों से भी अधिक समय से भारतभर भ्रमण कर प्राचीन वास्तु, गढ एवं संग्राह्य वस्तुओं के छायाचित्रों का संग्रह करती हैं । इसीलिए हमें संतों के मंदिरों के घर बैठे दर्शन मिलते हैं । इसके लिए परात्पर गुरु डॉ. आठवले एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करेंगे ।
Lekh bahut Sundar hai.samaj ko is tarah ke lekho ki bahut jarurat hai.kuki loog samjhe to ki hamara sanatan dharm kya hai.