मानस दृष्टि कैसे उतारें ?

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१. हनुमानजी से मानस दृष्टि उतारने के लिए प्रार्थना करना

‘वास्तव में हनुमानजी ही आकर मेरी दृष्टि उतारेंगे’, ऐसा भाव रखकर संपूर्ण शरणागतभाव से प्रार्थना करें, ‘हे हनुमानजी, आप मेरी दृष्टि उतारें !’

 

२. मानस दृष्टि उतारने की कृति

अ. साक्षात हनुमानजी सामने हैं । उन्होंने अपने हाथ में नारियल लिया है । नारियल की चोटी (पिछला सिरा) मेरी ओर है ।

आ. मैं संपूर्ण शरणागतभाव से हनुमानजी के चरणों पर मस्तक रखकर प्रार्थना कर रही हूं, ‘‘हे हनुमानजी, मेरी स्थूल एवं सूक्ष्म (प्राणदेह, मनोेदेह, कारणदेह, महाकारणदेह) देहों की कष्टदायक (काली) शक्ति, शक्तिशाली अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्माण की हुई हड्डियां, खोपडियां, यंत्र, आभूषण एवं जालतंत्र, इस नारियल में पूर्ण रूप से खींच ली जाए । वे पूर्ण रूप से उनके स्थानों सहित नष्ट हो जाएं ।’’

इ. हनुमानजी मेरी दृष्टि उतार रहे हैं । हनुमानजी पैर से लेकर सिर तक एवं सिर से लेकर पैर तक, इस प्रकार लंबगोलाकार ३ बार नारियल घुमानेवाले हैं । मैंने ऐसा भाव रखा है कि मेरे स्थूल एवं सूक्ष्म देहों की कष्टदायक शक्ति नारियल में अत्यंत वेग से खींच ली जाएगी ।

ई. हनुमानजी ने ‘जय श्रीराम’ कहते हुए हाथ में नारियल लेकर घडी की सुईयों की दिशा में मेरे पैर से सिर तक और सिर से पैर तक धीरे से नारियल घुमाया है । मेरी स्थूल एवं सूक्ष्म देहों की कष्टदायक शक्ति नारियल में अत्यंत वेग से खींच ली जा रही है । इस प्रकार उन्होंने कुल तीन बार नारियल देह के सर्व ओर घुमाया है ।

उ. साक्षात हनुमानजी मेरी कुदृष्टि उतार रहे हैं । मेरा कष्ट बहुत तेजी से अल्प (कम) हो रहा है । इसलिए मुझे बहुत कृतज्ञता लग रही है ।

ऊ. अब हनुमानजी मेरे चारों और गोल घूमनेवाले हैं । उनके हाथ में जो नारियल है, उसकी चोटी मेरी दिशा में है । मैं मन ही मन प्रार्थना कर रहा हूं ‘हे हनुमानजी ! मेरी स्थूल एवं सूक्ष्म देह की शेष कष्टदायक शक्ति, बडी अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्माण किए हुए सभी स्थान, हड्डियों, खोपडियों और गहनों के साथ-साथ उनके मूल स्थान भी नष्ट हो और मुझे गुरुसेवा करने की शक्ति मिले ।’

ए. अब हनुमानजी ने मेरे सर्व ओर दाएं से बाएं, अर्थात घडी की सुईयों की दिशा में गोलचक्कर लगाना आरंभ किया है । वे धीरे-धीरे चलते हुए मेरे पीछे से आगे आए हैं और इस प्रकार उन्होंने एक चक्कर पूर्ण की है । मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरा कष्ट अल्प (कम) हो रहा है ।’हनुमानजी धीरे-धीरे मेरे चारों ओर अब दूसरी बार चक्कर लगा रहे हैं । वे मेरे पीछे से चलते हुए सामने आए हैं । इस प्रकार दूसरा चक्कर पूर्ण हुआ ।
अब वे तीसरी बार मेरे सर्व ओर घूम रहे हैं । प्रचंड वेग से मेरे शरीर से कष्टदायक शक्ति नष्ट हो रही है । हनुमानजी मेरे पीछे की ओर गए हैं और फिर धीरे-धीरे सामने आकर रुक गए हैं । उनके हाथ में जो नारियल है, उसकी चोटी मेरी दिशा में है । उन्होंने थोडी देर नारियल मेरे सामने रखा है । इससे मेरे शरीर की बची हुई सर्व कष्टदायक शक्ति नारियल में खिंची चली जा रही है और शरीर की कष्टदायक शक्ति अब पूर्ण रूप से नष्ट हो गई है ।

ऐ. साक्षात हनुमानजी द्वारा कुदृष्टि उतारने से मुझे हलका और उत्साही लग रहा है ।

. हनुमानजी अब तिराहे पर नारियल फोडने जा रहे हैं । वहां पहुंचकर उन्होंने ‘जय श्रीराम’ कहते हुए जोर से नारियल फोड दिया । नारियल की सर्व कष्टदायक शक्ति नष्ट हो गई है ।

औ. हनुमानजी मेरे सामने खडे हैं । मैं संपूर्ण शरणागतभाव से उनके श्री चरणों पर सिर रखकर कृतज्ञता व्यक्त कर रहा हूं । ‘‘हे हनुमानजी, आपकी कृपा से मेरे स्थूल एवं सूक्ष्म देहों की कष्टदायक शक्ति एवं अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्माण किए हुए कष्टदायक शक्तियों के केंद्र नष्ट हो गए हैं । आपके श्री चरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञता ! हे हनुमानजी, आपके श्री चरणों में प्रार्थना है कि आपकी कृपादृष्टि मुझ पर अखंड बनी रहे ।’’

 

३. मानस कुदृष्टि कितनी बार उतारें ?

मानस कुदृष्टि उतारने के लिए लगभग ५ मिनट लगते हैं । इस प्रकार दिन में एक अथवा ३ – ४ बार मानस कुदृष्टि उतार सकते हैं । यदि कष्ट की तीव्रता अधिक है, तो लगातार २ – ३ बार उतार सकते हैं ।

 

४. नामजपादि उपाय करने से पूर्व मानस कुदृष्टि उतारना

साधक प्रतिदिन मानस कुदृष्टि उतार सकते हैं । नामजपादि उपाय करने से पूर्व साधकों को मानस कुदृष्टि उतारने से कष्टदायक शक्ति का आवरण अल्प समय में दूर होने के कारण नामजप में एकाग्रता बढने में सहायता मिलेगी ।

संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘नमक-राई, नारियल, फिटकरी आदि से कुदृष्टि कैसे उतारें ?’

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