किसी वस्तु पर से कष्टदायक स्पंदनों का आवरण निकालने के लिए उस वस्तु की किनार पर से मुठ्ठी से आवरण निकालें एवं तदुपरांत वस्तु के किनार के सामने हथेली रखकर आध्यात्मिक उपाय करें !
‘एक बार श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ यज्ञ के लिए जो साडी पहननेवाली थीं उससे कष्टदायक स्पंदन प्रक्षेपित हो रहे थे । (समष्टि साधना करनेवालों पर अनेक बार अनिष्ट शक्तियां आक्रमण करती हैं । इसीलिए उन वस्तुओं में कष्टदायक स्पंदन होते हैं । उन्होंने वह साडी आध्यात्मिक स्तर पर उपाय कर कष्टदायक स्पंदन दूर करने के लिए मुझे दी । वह साडी उपाय करने के लिए मैंने हाथ में लेने पर मुझे भगवान ने विचार दिया, ‘उस साडी पर हाथ रखकर उपाय करने के स्थान पर उस साडी की किनार पर हाथ रखकर उपाय करूं ।’ किसी वस्तु में कष्टदायक अथवा अच्छे स्पंदन प्रक्षेपित होते समय वह उस वस्तु के किनार से सर्वाधिक मात्रा में प्रक्षेपित होते हैं । इसलिए उस वस्तु के किनार पर उपाय करने पर उसका परिणाम सर्वाधिक मात्रा में होगा । उपाय करने के पीछे का यह शास्त्र ध्यान में आने पर मैंने उसीप्रकार साडी पर उपाय किए और वास्तव में उसका परिणाम शीघ्र गति से हुआ ।
मैंने तह की हुई साडी की एकत्रित किनारों के सामने १ से २ सें.मी. के अंतर पर अपनी हथेली रखकर ५ मिनट ध्यान लगाने पर उस साडी से कष्टदायक स्पंदन प्रक्षेपित होना रुक गए । तदुपरांत ऐसा ध्यान में आया कि उस साडी से अच्छे स्पंदन प्रक्षेपित होने लगे हैं, जो ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यू.ए.एस्.)’ उपकरण के परीक्षण से भी प्रमाणित हो गया । उसके निरीक्षण नीचे दी गई सारणी में दिए हैं ।
श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ की साडी | नकारात्मक ऊर्जा का आभामंडल (मीटर) | सकारात्मक ऊर्जा का आभामंडल (मीटर) | |
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‘इन्फ्रारेड’ ऊर्जा | ‘अल्ट्रावायोलेट’ ऊर्जा | ||
१. आध्यात्मिक उपाय करने से पूर्व | १६.७० | ११.१२ | ५.०४ |
२. आध्यात्मिक उपाय करने के पश्चात | 0 | 0 | १७.६४ |
तदुपरांत और एक सूत्र ध्यान में आया, ‘किसी वस्तु पर कष्टदायक स्पंदनों का आवरण दूर करने के लिए भी उस वस्तु की किनार के सामने मुठ्ठी से आवरण निकालने पर उस वस्तु पर से भी आवरण शीघ्र निकल जाता है । तदुपरांत उस वस्तु के किनार के सामने हथेली रखकर आध्यात्मिक उपाय करने पर उसमें शीघ्र अच्छे स्पंदन आते हैं ।’
– (सद्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.
वाईट शक्ती : वातावरण में अच्छी और बुरी शक्तियां कार्यरत होती हैं । अच्छी शक्ति अच्छे कार्य के लिए मानव की सहायता करती हैं, तो अनिष्ट शक्तियां उसे कष्ट देती हैं । पहले के काल में ऋषि-मुनियों के यज्ञों में राक्षसों द्वारा विघ्न-बाधा लाने की अनेक कथा वेद-पुराणों में हैं । ‘अथर्ववेद में अनेक स्थानों पर बुरी शक्ति, उदा. असुर, राक्षस, पिशाच, करनी, भानामती को प्रतिबंधित करने हेतु मंत्र दिए हैं । अनिष्ट शक्तियाें के निवारणार्थ विविध आध्यात्मिक उपाय वेदादि धर्मग्रंथों में बताए हैं ।