१. कर्नाटक में एक व्यावसायी का स्वयं अति मद्यपान करना, इसके साथ ही ८ – १० लोगों के मद्य का व्यय भी स्वयं करना, इसकारण घर में वादविवाद होना
‘कर्नाटक में एक व्यावसायी पहले बहुत मद्यपान करते थे । वे अपने साथ ८ – १० लोगों को मद्यालय में (‘बार’में) लेकर जाते और मद्यपान करते । उन सभी के मद्य का व्यय भी वे स्वयं ही करते थे । अति मद्यपान करने के कारण उसके हाथ थरथराते थे । उसका यह बर्ताव उनके परिवारवालों को अच्छा न लगने से उनके घर में सदैव झगडे होते थे ।
२. सनातन संस्था के संपर्क में आने पर दत्त का नामजप, आध्यात्मिक उपाय, इसके साथ ही संतों के सत्संग के कारण केवल १ माह में ही व्यावसायी के मद्यपान का व्यसन आश्चर्यजनक ढंग से छूट जाना
तदुपरांत ये व्यावसायी सनातन संस्था के संपर्क में आए और ‘श्री गुरुदेव दत्त ।’ का नामजप करने लगे । तदुपरांत वे मद्यालय तो जाते थे; परंतु मद्यपान करने की इच्छा न होने से वे बिना पीए ही घर लौट आते थे । कुछ दिनों में उन्होंने सनातन संस्था के संत पू. रमानंद गौडा (पू. अण्णा) का सत्संग मिला । पू. अण्णा ने उन्हें प्रतिदिन ३ घंटे दत्त का नामजप एवं नमक के पानी के (नमक के पानी में पैर रखकर नामजप करना) उपाय करने के लिए कहा ।
अगले दिन नामजप करते समय उन व्यावसायिक को अपने पूर्वज दिखाई दिए । तदुपरांत कारखाने में जाकर नामजप करते समय उन्हें सर्प (सूक्ष्म से) दिखाई दिए । इन सर्पों के मुख नहीं थे । पू. अण्णा ने उन्हें नामजप जारी रखने के लिए कहा और आश्वासन दिया कि सब ठीक होगा ।
पू. अण्णा के आध्यात्मिक मार्गदर्शन एव प्रेमभाव, इसके साथ ही नामजप एवं आध्यात्मिक उपायों के कारण इस व्यावसायी के मद्यपान का व्यसन छूट गया ।
– श्रीमती शोभा कामत, उडुपी, कर्नाटक.
‘व्यसन हो जाने पर अनेक लोग ‘व्यसनमुक्ति केंद्र’में जाकर व्यसन से दूर जाने का प्रयत्न करते हैं । व्यसनमुक्त होने के लिए सहस्रों रुपये व्यय करने पर भी व्यसन से मुक्त हो ही जाते हैं, ऐसा नहीं है । इसका कारण यह है कि व्यसन लगने के पीछे आध्यात्मिक स्वरूप का भी कष्ट (उदा. पूर्वजों का कष्ट, अनिष्ट शक्ति) हो सकता है ।
इस व्यावसायिक को पूर्वजों का तीव्र कष्ट हाेने से दत्त के नामजप से उनका कष्ट न्यून होने लगा एवं उनकी मद्यपान करने की इच्छा न्यून होकर केवल १ माह में ही उन्हें अनेक वर्षों के व्यसन से मुक्ति मिल गई । नामजप के कारण उनकी सूक्ष्म समझने की क्षमता बढ गई और उन्हें सूक्ष्म के दृश्य भी दिखाई देने लगे । साधना के कारण व्यक्ति को सूक्ष्म-जगत का ज्ञान होने लगता है । सर्वसामान्य व्यक्ति को असंभव लगनेवाली बात, साधना के कारण सहज साध्य हो जाती है । इससे वर्तमान के कलियुग में साधना के अतिरिक्त अन्य पर्याय नहीं, यही स्पष्ट हाेता है । ‘परात्पर गुरु डॉक्टर ने वर्तमान के कलियुग के लिए बताई साधना कितनी सर्वश्रेष्ठ है’, यह भी इससे ध्यान में आता है ।’ – संकलक
very nice to read.