कुंडली का रवि-मंगल युति योग

Article also available in :

अनुक्रमणिका

 

१. कुंडली की रवि-मंगल युति योग के होते हुए व्यक्ति का स्वभाव कैसा होता है ?

‘रवि एवं मंगल इन दो ग्रहों में अंशात्मक प्रथम दर्जे का योग हुआ हो, तो व्यक्ति पराक्रमी, साहसी, शूर, दृढनिश्चयी, महत्त्वाकांक्षी होता है । ऐसे व्यक्तियों में दृढ आत्मविश्वास एवं नेतृत्वगुण होता है । वह अन्यों पर अधिकार जमाता है, विरोधकों पर मात करता है और प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करता है । किसी व्यक्ति का स्वभाव निर्धारित करने में उसकी लग्न रास, चंद्र रास एवं सूर्य रास का विचार करना महत्त्वपूर्ण होता है ।

रवि एवं मंगल, इन दो ग्रहों में अंशात्मक युति योग, केंद्र योग अथवा प्रतियोग हों, तो ऐसे व्यक्ति अपने क्षेत्र में साहसी एवं पराक्रमी होते हैं । रवि एवं मंगल इन ग्रहों में युति योग भिन्न-भिन्न राशि से एवं स्थान से विविध फल देते हैं । किसी भी ग्रह के फल भी उनके महादशा में एवं अंतर्दशा में प्रमुखरूप से मिलते हैं, इसके साथ ही स्थानगत फलों की तुलना में उनका अन्य ग्रहों से होनेवाले योग अधिक प्रभावी प्रतीत होते हैं ।

श्रीमती प्राजक्ता जोशी

 

२. रवि एवं मंगल ग्रहों की ज्योतिषशास्त्रीय जानकारी

रवि मंगल
१. स्वराशि सिंह मेष एवं वृश्चिक
२. उच्च राशि मेष मकर
३. नीच राशि तूळ कर्क
४. तत्त्व तेज तेज
५. लिंग पुरुष पुरुष
६. स्थानबल दशम दशम
७. दिशाबल पूर्व दक्षिण
८. काळबल मध्यान्ह मध्यान्ह
९. संपूर्ण दृष्टी सातवे स्थानपर चौथे, सातवे एवं
अष्टम स्थानपर
१०. शरिर तत्त्व अस्थियां (हड्डीयां) मज्जा शिर
११. वर्ण क्षत्रिय क्षत्रिय

 

३. रवि-मंगल युति योग वाले व्यक्ति

‘महाराष्ट्र का कुंडली-संग्रह’ नामक ग्रंथ की कुछ ऐतिहासिक कुंडलियों का अभ्यास करते समय ऐसा दिखाई दिया कि शहाजीराजे भोसले, बाजीराव बल्लाळ, महादजी शिंदे एवं रणजित सिंह की कुंडली में रवि एवं मंगल, इन दो ग्रहों में युति योग हुआ है । सेना में जो नौकरी कर चुके हैं, लष्कर में कार्य किए हुए व्यक्तियों की कुंडली में रवि-मंगल युति योग है । इसके अतिरिक्त क्रांतिकारी राजगुरु, धडाडी एवं शिकार करने में रुचि रखनेवाले कोल्हापुर के शाहू महाराज एवं सदैव सत्याग्रही जीवन जीनेवाले क्रांतिकारी सेनापति बापट की कुंडली में रवि-मंगल इन दो ग्रहों में युति योग देखने मिलता है । हिटलर, नेपोलियन एवं लेनिन की कुंडली में भी यह रवि-मंगल इन दो ग्रहों में युति योग है ।

३ अ. श्री. शाहू महाराज (जन्मदिनांक : २७.६.१८७४)

श्री. शाहू महाराज कोल्हापुर संस्थान के अधिपति थे । वे दानवीर एवं शिक्षणप्रेमी थे । दलित (अस्पृश्य) एवं पिछडेवर्ग के समाज के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य करने से उन्हें ‘राजर्षि’ की पदवी कानपुर के कुर्मी समाज ने दी । उन्हें शिकार करने में रुचि थी । उन्होंने जातिभेद दूर करने के लिए आंतरजातीय विवाह को मान्यता देनेवाला कानून बनाया । पुनर्विवाह का कानून बनाकर विधवा विवाह को कानूनी मान्यता दिलवाई । इनकी कुंडली में रवि-मंगल युति चतुर्थ स्थान में मिथुन राशि में है । रवि-मंगल युति मर्दानी खेल, साहसी कार्य, शिकार इनके लिए शुभ होते हैं । इनकी कुंडली में शनि-शुक्र प्रतियोग एवं शुक्र-हर्षल युति योग है ।

३ आ. श्री. चंद्राबाबू नायडू (जन्मदिनांक : २७.४.१९५१, सवेरे ६.३० मि., हैद्राबाद)

श्री. चंद्राबाबू नायडू आंध्रप्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री थे । उन्होंने हैद्राबाद में ‘सूचना तंत्रज्ञान केंद्र’ बनाने का प्रयत्न किया । उनकी कुंडली में  रवि-मंगल युति मेष राशि में अर्थात रवि उच्च राशि में एवं मंगल स्वराशि में है । गुरु एवं शुक्र ग्रह स्वराशि में हैं ।

३ इ. श्री. राज ठाकरे (जन्मदिनांक : १४.६.१९६८, सायं ५.४४ मि., मुंबई)

श्री. राज ठाकरे शिवसेना के नेता थे । वे ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’के संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं । उन्होंने महाराष्ट्र के औद्योगिक एवं ग्रामीण विकास के लिए कार्य आरंभ किया । इनकी कुंडली में रवि-मंगल युति अष्टम में अष्टमेश बुध युक्त एवं शुक्र ग्रह स्वराशि में है ।

३ ई. सेनापति बापट (जन्मदिनांक : १२.११.१८८०, सवेरे ९.०० मि.)

सेनापति बापट महान क्रांतिकारी, नेता एवं सत्याग्रही थे । उन्होंने मुळशी सत्याग्रह का नेतृत्व किया; इसलिए जनता ने उन्हें ‘सेनापति’की पदवी दी । आरंभ के काल में वे शिक्षक थे । स्वतंत्रताप्राप्ति के पश्चात के काल में ‘भाववाढ/मंहगाई विरोधी आंदोलन’, ‘गोवामुक्ति आंदोलन’, ‘संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन’ इत्यादि आंदोलनों का उन्होंने नेतृत्व किया । उन्होंने स्वच्छता एवं समाजसेवा का व्रत का पालन जीवनभर किया । उनकी कुंडली में रवि-मंगल युति व्यय स्थान में तूल राशि है । पंचमेश गुरु पंचमात स्वराशि में है ।

३ उ. श्री. महादजी शिंदे (जन्मदिनांक : ३.१२.१७३०)

श्री. महादजी शिंदे, मराठों के शूर सरदार थे । अंग्रेज उन्हें आदर से ‘द ग्रेट मराठा’ कहते थे । पानीपत की तीसरी लढाई के उपरांत उन्होंने मराठा साम्राज्य को पुन: उत्साही बनाने का कार्य किया । इनकी कुंडली में रवि-मंगल युति तृतीय स्थान में मेष राशि, गुरु लाभ स्थानी स्वराशि में, शुक्र चतुर्थ स्थान स्वराशि में एवं शनि ग्रह भाग्य स्थान में उच्च राशि में है ।

३ ऊ. पेशवा बाजीराव प्रथम (श्रीमन्त पेशवा बाजीराव बल्लाळ भट्ट)
अथवा थोरले बाजीराव पेशवा (जन्मदिनांक : १८.८.१७००)

पेशवा बाजीराव प्रथम (श्रीमन्त पेशवा बाजीराव बल्लाळ भट्ट)  ने अपने ४० वर्षों के जीवनकाल में अनेक पराक्रम किए । उन्होंने अनेक लढाइयां लडीं । उनका फुर्तीलापन ही प्रभावी हथियार था । उनकी कुंडली में रवि-मंगल युति प्रथम स्थान में मेष राशि में, चंद्र स्वराशि में, शुक्र उच्च राशि में एवं गुरु तथा शनि, ये दोनों ग्रह नीच राशि में हैं ।’

३ ए. श्री. पी.वी. नरसिंहराव (जन्मदिनांक : २८.६.१९२१, सवेरे ११.३० मि., करीमनगर)

श्री. पी.वी. नरसिंहराव भारत के प्रधानमंत्री थे । वे आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री तथा अनेक विभागों के मंत्री भी रह चुके थे । उनकी मातृभाषा तेलुगू थी । उन्हें तेलुगू, तमिल, मराठी, हिंदी, संस्कृत, उडिया, बंगाली, गुजराती, अंग्रेजी, फ्रान्सीसी, अरबी, स्पैनिश, जर्मन एवं पर्शियन जैसी अनेक भाषाएं आती थीं । उनकी कुंडली में रवि-मंगल युति दशम में मिथुन राशि में हर्षल ग्रह का नवपंचम योग में है । दशमेश बुध ग्रह दशम में वर्गोत्तम नवमांशी है ।

(सर्व कुंडलियों का संदर्भ : ‘महाराष्ट्र का कुंडली-संग्रह’, (मराठी ग्रंथ) लेखक : श्री. म.दा. भट एवं श्री. व.दा. भट)

– श्रीमती प्राजक्ता जोशी, ज्योतिष फलित विशारद, वास्तु विशारद, अंक ज्योतिष विशारद, रत्नशास्त्र विशारद, अष्टकवर्ग विशारद, सर्टिफाइड डाऊसर, रमल पंडित, हस्ताक्षर मनोविश्लेषणशास्त्र विशारद, फोंडा, गोवा. (६.१.२०२१)

Leave a Comment