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छींकें सभी लोगों को आती हैं । यदि किसी को एक अथवा दो छींकें आती हों, तो वह अवस्था सामान्य मानी जाती है, परंतु यदि ये छींकें पुन:-पुन: आने लगें अथवा यदि सतत छींकें आने लगें तो वह एक समस्या बन जाती है । बार-बार छींकने से हम अस्वस्थ हो जाते हैं । चिडचिडाहट होती है । छींकने से अनेकों के सिर में वेदना होती है । यदि बार-बार छींकें आ रही हों, तो उसे रोकने के लिए घरेलु उपाय कर देखें ।
१. ठंडी हवा भी छींकों का कारण हो सकती है !
‘कई बार सवेरे उठने पर नाक बंद होती है और भरपूर छींके आती हैं । तब कई लोग यह सोचकर घबरा जाते हैं कि ‘कहीं मुझे ‘कोरोना’, तो नहीं हो गया है ना !’ ‘छींकें आने का कारण प्रत्येक बार कोरोना ही होता है’, ऐसा नहीं है । रात्रि की ठंडी हवा के कारण नाक बंद होना, यह भी एक प्राथमिक कारण हो सकता है । ठंडी हवा के कारण नाक की अस्थीविवरों से (सायनस से) प्रवाहित होनेवाला द्रव जमा हो जाता है । अत: श्वसनमार्ग की यह रुकावट दूर हो, इसलिए छींकें आती हैं । कई बार सोते समय मुंह खुला रहता है और नाक बंद होने से मुंह से श्वासोच्छ्वास शुरू रहता है । ऐसे समय पर ठंडी हवा लगने से गला लाल हो जाता है ।
२. छींके आते रहने पर किए जानेवाले उपाय
अ. सवेरे उठने पर छींके आती हों, गला लाल हो जाता है और जबडों के जोडों के मूल पर दबाने पर वेदना हो, तो नाक, कान के साथ ही जबडों के जोडों के मूल भाग पर सेंक दें । सेंक देने के लिए गरम थैली (हीटिंग पैड) का उपयोग करें । पानी की भाप लेने की तुलना में इसप्रकार से सूखा सेंक देने से अधिक लाभ होता है । तदुपरांत नाक छिनकने पर बंद नाक से द्रव पदार्थ बाहर निकल जाता है । श्वसनमार्ग की रुकावट दूर होने पर छींकें आना रुक जाता है ।
आ. राई (सरसों) के तेल की 2-3 बूंदें नाक में डालें । तेल ऊपर की दिशा में खींचने के लिए गहरी सांस लें । इससे छींकें आनी थम जाती हैं । यह एक अत्यंत प्रभावी उपाय है ।
३. प्रतिबंधात्मक उपाय
छींकें आएं ही नहीं, इसके लिए रात में सोते समय सिर पर से चादर ओढकर सोएं । कान में रुई के फोये डालें । नाक में अंदर की ओर से तेल लगाएं । रात में सोते समय दूध अथवा पानी पीना टालें । यदि पानी पीना ही हो, तो घूंटभर पानी पीएं ।’