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पृथ्वी, आप, तेज, वायु एवं आकाश इन पंचमहाभूतों के आधार से सृष्टि की उत्पत्ति हुई और उसका चलन भी चल रहा है । गाय इन पंचमहाभूतों की माता है । काल के प्रवाह में उसकी ही अवहेलना होने से आज सर्वत्र सभी प्रकार का गंभीर प्रदूषण बढा है । समय रहते ही इसे रोकना हो, तो उसके लिए गोरक्षा, गोपालन एवं गो-उत्पादों के संवर्धन के बिना अन्य कोई विकल्प नहीं हैं ।
१. वेदों द्वारा वर्णित गाय का महत्त्व
‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड’ के अनुसार विश्व के ग्रंथालय के सर्वप्रथम ग्रंथ वेद हैं । ऐसे वेदों ने हिन्दुओं के ५ सांस्कृतिक मानबिंदुओं में जननी, जन्मभूमि, गंगा एवं गायत्री के साथ ‘गोमाता’ को अनन्यसाधारण स्थान दिया है । वेदों में गोमाता के विषय में निम्न उल्लेख मिलते हैं ।
गोस्तु मात्रा न विद्यते ।
– यजुर्वेद, अध्याय २३, कण्डिका ४८
अर्थ : गाय के मिलनेवाले लाभों की तुलना अन्य पशुओं से मिलनेवाले लाभों से नहीं हो सकती ।
२. गाय के कारण पंचमहाभूतों की प्रायः पर्यावरण की शुद्धि !
‘त्वंमातासर्वदेवानाम् ।’ अर्थात ‘गाय सभी देवताओं की माता है’, ऐसा कहा जाता है । सृष्टि के उत्पत्ति काल में मनुष्य के हित के लिए पृथ्वी, आप, तेज, वायु एवं आकाश इन ५ तत्त्वरूपी देवताओं की निर्मिति की । गाय इन पंचतत्त्वों की माता है; क्योंकि गोमाता, भूमि, जल एवं वायु की निम्न प्रकार से शुद्धि करती है ।
३. पंचमहाभूत निर्मित मनुष्य शरीर को गाय से होनेवाले लाभ !
३ अ. गोमूत्र
यह पवित्रता उत्पन्न करनेवाला है । गोमूत्र कुछ रोगों को सीधे नष्ट करता है, तो शरीरकी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाकर कुछ रोगों को नष्ट करता है ।
३ आ. गाय का दूध
यह बुद्धिवर्धक, चपलतावर्धक (स्फूर्तिदायक), रोगप्रतिरोधक और शरीर को पोषण करने के लिए संवर्धक है ।
३ इ. गाय का घी, छाछ एवं पंचगव्य
ये सभी पदार्थ गाय के माध्यम से मनुष्य को प्राप्त ईश्वरनिर्मित उत्तम आहार हैं ।
४. गाय से होनेवाले लाभ समझकर सभी को उसके पालन की प्रतिज्ञा लेना समय की मांग !
रक्षामि धेनुं नित्यं पालयामि धेनुं सदा ।
ध्यायामिधेनुं सम्यक् वन्दे धेनुमातरम् ।।
अर्थ : हम गोमाता की सदैव रक्षा करेंगे । हम सदैव गोपालन करेंगे, साथ ही गोसंवर्धन एवं गोपालन के विषय में निरंतर चिंतन करेंगे । हे गोमाता, हम आपके वंदनीय स्वरूप को जनमानस में पुनः प्रस्थापित
करेंगे ।’