सनातन का ‘घर-घर रोपण’ अभियान
‘घर के घर ही में शाक-तरकारी का रोपण करने के लिए कुछ भी खरीदना नहीं पडता । तेल के खाली डिब्बे, पुराने टब अथवा प्लास्टिक के पुराने बर्तन, रंग (पेंट) की बाल्टियां, अनाज की बोरियां, पुराने टायर, कुछ भी न मिले तो छिद्र कर प्लास्टिक की थैलियों में शाक-तरकारी का रोपण सहजता से कर सकते हैं । शहर में मिट्टी न मिलती हो, तो वह भी आगे दी हुई पद्धति से बना सकते हैं । नारियल की जटाएं, सूखे पत्ते और घास-फूस, घरों का गीला कचरा एकत्र कर फैलाकर रखने से लगभग २ माह में खाद मिट्टी (ह्यूमस) बन जाती है । मेथी के दाने, राई (सरसों), धनिया, चना, चवली इत्यादि सभी के घरों में उपलब्ध होती है । इन्हें बीज के रूप में उपयोग कर सकते हैं । हाट (बाजार से) लाया गया पालक अथवा पुदीना, कई बार उनमें कुछ जडसहित होते हैं जिसे मिट्टी में खोंसने पर उनसे नए पौधे आते हैं । अदरक, प्याज, आलू, शकरकंद, सूरन, अरबी जिनमें अंकुर आ गए, उनसे नया रोपण करना सहज संभव है ।’