अनुक्रमणिका
- १. लेख के विषय में स्पष्टीकरण
- २. पू. वैद्य विनय नीलकंठ भावे का परिचय
- ३. प्रतिबंधात्मक उपाय के रूप में उपयोग में लाने समान औषधियां
- ४. कोरोना के विविध लक्षणों में उपयुक्त औषधियां
- ५. कोरोना होकर चले जाने के पश्चात शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए उपयुक्त औषधियां
- ६. कुछ सूचनाएं
- ७.सारांश
- ८. औषधियों के विषय में अन्य जानकारी
- ९. बाजार से औषधि खरीदने के लिए मार्गदर्शक सूत्र
१. लेख के विषय में स्पष्टीकरण
१.अ. यह सर्व लेखन लोककल्याण के उद्देश्य से किया गया है । कोरोना महामारी के काल में डॉक्टर, वैद्य आदि उपलब्ध न होने पर लोगों के प्राण बचा पाएं, यही इसका उद्देश्य है । लोग डॉक्टर अथवा वैद्य के पास न जाते हुए अपने ही मन से औषधियां लेने के लिए प्रेरित करने के लिए यह लेखन नहीं किया है ।
१.आ. यहां औषधियों का जो मूल्य दिया है, उसका उद्देश्य यह है कि पाठक के लिए उसका आर्थिक नियोजन करना सरल हो । इसके पीछे किसी भी आस्थापन का (कंपनी का) विज्ञापन करना अथवा किसी भी दृष्टि से आर्थिक लाभ प्राप्त करने का उद्देश्य नहीं है ।
– (पू.) वैद्य विनय नीळकंठ भावे, मोर्डे, ता. संगमेश्वर, रत्नागिरी. (४.५.२०२१)
२. पू. वैद्य विनय नीलकंठ भावे का परिचय
पू. वैद्य विनय नीलकंठ भावेजी ‘वरसईकर वैद्य भावे’ के नाम से महाराष्ट्र एवं गोवा के वैद्यों में सुप्रसिद्ध हैं । उन्होंने अपने ‘श्री अनंतानंद औषधालय’ नामक आयुर्वेद की औषध निर्मिति आस्थापन के माध्यम से उत्कृष्ट औषधियां बनाकर अनेक वर्ष आयुर्वेद की सेवा की । पू. वैद्य विनय भावेजी सनातन के संत हैं ।
प्रस्तुत औषधियों के साथ शासन द्वारा प्राधिकृत की हुई वैद्यकीय चिकित्सा एवं औषधियां लेना टालें नहीं । अन्य सर्व उपाययोजनाओं का पालन करें, इसके साथ ही स्थल, काल एवं प्रकृति के अनुसार चिकित्सा में परिवर्तन हो सकता है । इसलिए योग्य वैद्यों की सलाह लें ।
३. प्रतिबंधात्मक उपाय के रूप में उपयोग में लाने समान औषधियां
३ अ. संशमनी वटी
इसमें गुलवेल, लोह भस्म, अभ्रक भस्म एवं सुवर्ण माक्षिक भस्म घटकद्रव्य होते हैं । संपूर्ण शरीर को रोग के विरुद्ध लडने के लिए बल देनेवाली ये औषधियां कोरोना के काल में सर्वत्र उपयोग में लाई जाती हैं । ज्वर न आए इसलिए, ज्वर आते समय तथा ज्वर के उपरांत आनेवाली कमजोरी दूर करने के लिए इन औषधियों का उपयोग होता है । ज्वर के कारण आनेवाली थकान में भी इसका उपयोग होता है । यह औषधि मलेरिया ज्वर में लाभदायक होती है । कुछ लोग प्रतिबंधात्मक उपाय के रूप में गुलवेल घनवटी लेते हैं । संशमनी वटी लेने पर गुलवेल घनवटी लेने की आवश्यकता नहीं । संशमनी वटी गुलवेल घनवटी की तुलना में अधिक परिणामकारक है ।
गोली का वजन : २५० मिलीग्राम
मात्रा : १ से २ गोलियां दिन में २ अथवा ३ बार (संक्रमण की तीव्रता के अनुसार) (१५ दिनों में ३० से ९० गोलियां)
अपने भाग में संक्रमण के ज्वरवाले रोगी हों, तो प्रतिबंधात्मक उपाय के रूप में संक्रमण होनेतक नियमितररूप से ये औषधियां ले सकते हैं । ये शक्तिवर्धक औषधियां हैं, इसलिए इनके हमेशा के उपयोग से कोई हानि नहीं होती ।
३.आ. महासुदर्शन वटी
इसकी जानकारी आगे दी है ।
गोली का वजन : ३०० मिलीग्राम
मात्रा : १ – १ गोली दिन में २ बार
३.इ. शृंगाराभ्र रस
यह औषधि फेफडों एवं हृदय की क्षमता बढानेवाली है । इन अवयवों की कार्यक्षमता, इसके साथ ही रोग प्रतिकारक क्षमता बढाने के लिए इन औषधियों का उपयोग होता है ।
गोली का वजन : २५० मिलीग्राम
मात्रा : १ – १ गोली दिन में २ बार (१५ दिनों के लिए ३० गोलियां) यह औषधि १५ दिनों तक लेने के पश्चात बंद कर सकते हैं ।
३.ई. गंधर्व हरीतकी वटी
इस औषधि के कारण पेट साफ होता है एवं शरीर में आम (न पचा हुआ अन्न) बाहर निकल जाने में सहायता होती है ।
गोली का वजन : ३०० मिलीग्राम
मात्रा : २ से ३ गोलियां रात में सोते समय सप्ताह में २ बार (१५ दिनों के लिए ४ से १२ गोलियां)
४. कोरोना के विविध लक्षणों में उपयुक्त औषधियां
ये औषधियां उन विशिष्ट लक्षणों में उपयोग करनी है ।
४.अ. तालीसादि चूर्ण
खांसी, गले में कफ आना, गले में खराश, गले में चुभन समान लगना जैसे लक्षणों में इस चूर्ण का उपयोग कर सकते हैं । इस औषधि में शक्कर की मात्रा अधिक होने से जिसे मधुमेह है, वे यह औषधि न लें और पर्यायी औषधि का उपयोग करें ।
मात्रा : दिन में २ – ३ बार १ चाय के चम्मच जितना (३ ग्राम) चूर्ण चुभलाकर खाएं अथवा १ चाय का चम्मचभर चूर्ण २ चम्मच मधु (शहद) में भली-भांति मिलाकर, उस मिश्रण में से थोडा-थोडा बार-बार चाटें । (१५ दिनों के लिए ९० से १३५ ग्राम)
४.आ. चंद्रामृत रस
इस औषधि में अभ्रक भस्म समान श्वसनसंस्था को बल देनेवाले घटकद्रव्य होते हैं । यह औषधि खांसी एवं श्वास लेने में कष्ट होना जैसे लक्षणों में उपयुक्त है ।
गोली का वजन : २५० मिलीग्राम
मात्रा : २ – २ गोलियां दिन में २ – ३ बार चुभलाकर खाएं । (१५ दिनों के लिए ६० से ९० गोलियां)
४.इ. शृंगाराभ्र रस
दम लगना, फेफडों की क्षमता न्यून होने से प्राणवायु का स्तर घटना, खांसी जैसे लक्षणों में, इसके साथ ही फेफडों एवं हृदय को बल देने के लिए इस औषधि का उपयोग होता है । यह औषधि रोग के मध्यम से तीव्र अवस्था में उपयोग के लिए उपयुक्त है ।
गोली का वजन : २५० मिलीग्राम
मात्रा : २ – २ गोलियां दिन में ३ बार (१५ दिनों के लिए ९० गोलियां)
४.ई. सुवर्ण मालिनी वसंत
इस औषधि में सुवर्ण भस्म होती है । आयुर्वेदानुसार सुवर्ण उत्तम विषहारक (अर्थात शरीर में जंतुओं के कारण निर्माण होनेवाला विष नष्ट करनेवाला) है । सुवर्ण मालिनी वसंत औषधि के सेवन से श्वसनसंस्था एवं अंतडियां, साथ ही कटी के (कमर के) भाग के अवयवों को बल मिलता है । संक्रमक रोगों की तीव्र अवस्था में जब विषाणुओं का प्रभाव बहुत बढ जाता है, ऐसे समय पर भी इस औषधि के अच्छे गुण आने के कुछ उदाहरण हैं । इन औषधियों के कारण मरणासन्न अवस्था में चले गए रोगियों के भी ठीक होने के उदाहरण हैं । इससे यह आयुर्वेद की एक ‘जीवनरक्षक’ (लाईफ सेविंग) औषधि है । इस औषधि के कारण भी प्राणवायु के स्तर को बढने में सहायता होती है ।
गोली का वजन : लगभग १०० मिलीग्राम
मात्रा : रोग की तीव्रता के अनुसार १ – १ गोली दिन में १ से ३ बार । गोली का चूर्ण कर उसे चम्मचभर मधु (शहद) में ठीक से मिलाकर लें । अचेत अवस्था के रोगी के होठों के अंदर की ओर, उसके मसूडों पर लगाएं । अनेक वैद्य यह औषधि कोरोना के आरंभ के काल में १ गोली दिन में २ से ३ बार लेने के लिए कहते हैं । रोग की तीव्रता अल्प होने पर मात्रा अल्प कर दिन में १ गोली कर दें । रोग से ठीक होने पर आगे ५ से १५ दिनों तक दिन में १ गोली लें । वैद्यकीय परीक्षण से कोरोना होना सिद्ध होने पर यह औषधि शुरू करने से, अगला धोखा टलने में सहायता होती है । (१५ दिनों के लिए ३० से ४५ गोलियां)
४.उ. महालक्ष्मी विलास रस
यह भी एक सुवर्णयुक्त औषधि है । यह औषधि हृदय एवं फेफडों को बल देनेवाली एवं शरीर का ओज (तेज) बढानेवाली है । प्राणवायु का स्तर बढाने में सहायक है । रोग की मध्यम एवं तीव्र अवस्थाओं में इसका उपयोग करें ।
गोली का वजन : अनुमान से १०० मिलीग्राम
मात्रा : सुवर्ण मालिनी वसंत औषधि की मात्रा समान (१५ दिनों के लिए ३० से ४५ गोलियां)
४.ऊ. त्रिभुवनकीर्ति रस
यह औषधि कफनाशक एवं ज्वर दूर करनेवाली है ।
गोली का वजन : २५० मिलीग्राम
मात्रा : १ – १ गोली दिन में ३ बार मधु (शहद) अथवा अदरक के रस के साथ लें । ज्वर उतर न रहा हो, तो प्रत्येक ३ घंटे में १ गोली लें । (कुल ६० से ८० गोलियां)
४.ए. रसपाचक वटी
यह औषधि शरीर के रस धातु की शुद्धि करनेवाली है । सतत आनेवाला और न उतरनेवाला ज्वर, यह अनेक बार रस धातु के दूषित होने के कारण आता है । कोरोना के लक्षणों में कई बार रक्त की गांठें होना जैसे लक्षण पाए जाते हैं । यह औषधि रक्त में गुठलियों की रोकथाम में सहायता करती है ।
गोली का वजन : ३०० मिलीग्राम
मात्रा : १ – १ गोली दिन में ३ बार । (१५ दिनों के लिए ४५ गोलियां)
यदि यह औषधि हाट में (बाजार में) न मिले तो इसके घटकद्रव्य आयुर्वेद के चूर्ण मिलनेवाली दुकान में मिल सकते हैं । वे घटकद्रव्य (चूर्ण) इसप्रकार हैं – इंद्रयव, पटोल एवं कुटकी । इनमें से प्रत्येक चूर्ण २०-२० ग्राम एकत्र मिलाकर उसमें से २ चिमटी भर इस औषधि की गोली के स्थान पर लें ।
४.ऐ. महासुदर्शन वटी
यह ज्वर पर एक अच्छी औषधि है । इससे पित्त न्यून होता है । यकृत (लीवर) बढा हो, तो उसके न्यून होने में भी इसका लाभ होता है । यह अत्यंत कढवी होने से कुछ को रक्त में शक्कर एवं मोटापा न्यून होने में इसका उपयोग किए जाने के उदाहरण हैं ।
गोली का वजन : ३०० मिलीग्राम
मात्रा : १ – १ गोली दिन में ३ बार । (१५ दिनों में ४५ गोलियां)
ये औषधीय गोलियां न मिलने से महासुदर्शन चूर्ण हाट (बाजार) में मिलता है । इसे ५० ग्राम लाएं और इसमें से चिमटी भर औषधिचूर्ण गोली के स्थान पर लें ।
४.ओ. जयमंगल रस
यह एक सुवर्णयुक्त जीवनरक्षक (लाईफ सेविंग) औषधि होने से १०३ अंश फेरन्हाईट से अधिक तीव्र ज्वर में उपयुक्त है ।
गोली का वजन : अनुमान से १०० मिलीग्राम
मात्रा : तीव्र ज्वर हो, तब १ – १ गोली दिन में २ से ३ बार । (कुल ५ गोलियां) कई बार ज्वर किसी भी औषधि से नहीं उतरता । ऐसे समय पर कुछ वैद्य रोगी को १ से २ चम्मच एरंडेल तेल देकर ऊपर से गरम पानी पीने के लिए देते हैं । इससे २ – ३ बार पतले दस्त (शौच) होते हैं और ज्वर उतर जाता है, ऐसा कुछ वैद्यों का अनुभव है । तदुपरांत जयमंगल रस औषधि देने पर ज्वर के पुन: आने की संभावना न्यून हो जाती है । पतले शौच होते समय शक्तिक्षय न हो, इसलिए गरम पानी पीते रहें । आवश्यकता लगने पर पानी में स्वाद अनुसार नमक एवं शक्कर (चीनी) मिला लें । २ – ३ बार पतले शौच होकर भूख लगने पर देसी घी एवं नमक डालकर,गरम-गरम पतला भात खाएं ।
५. कोरोना होकर चले जाने के पश्चात
शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए उपयुक्त औषधियां
कोरोना के लक्षण चले जाने पर आगे १५ दिनों से १ माह तक, ये औषधियां लें ।
५.अ. लक्ष्मी विलास गुटी
यह औषधि रोग के कारण क्षीण हुए हृदय एवं फेफडों को बल देनेवाली है । इससे शुक्रधातु (वीर्य) एवं ओज (तेज) बढता है । छाती में धडधडना न्यून होता है ।
गोली का वजन : १२५ मिलीग्राम
मात्रा : १ – १ गोली दिन में २ अथवा ३ बार ।
(१५ दिनों के लिए ३० से ४५ गोलियां)
५.आ. प्रभाकर वटी
यह औषधि रक्तवर्धक, इसके साथ ही हृदय एवं फेफडों को बल देनेवाली है ।
गोली का वजन : २५० मिलीग्राम
मात्रा : १ – १ गोली दिन में २ अथवा ३ बार ।
(१५ दिनों के लिए ३० से ४५ गोलियां)
५.इ. सारिवादी वटी
यह औषधि रक्त शुद्ध करनेवाली एवं सभी अवयवों को बल देनेवाली, साथ ही उष्णता न्यून करनेवाली है । मासिक धर्म के समय अधिक रक्तस्राव अथवा अधिक दिनोंतक रक्तस्राव हो रहा हो, इसके साथ ही गर्भाशय के विकारों पर भी इसका उपयोग होता है । इस औषधि का विशेष उपयोग कानों के विकारों में (उदा. कान बहना, कान में सतत भुनगे के गुनगुनाने समान आवाज आती रहना) होता है ।
गोली का वजन : २५० मिलीग्राम
मात्रा : १ – १ गोली दिन में २ बार । (१५ दिनों के लिए ३० गोलियां)
५.ई. नित्यानंद रस
रक्त की गुठलियां न बनें, इसके लिए यह औषधि उपयोगी है ।
गोली का वजन : २५० मिलीग्राम
मात्रा : १ – १ गोली दिन में २ बार । (१५ दिनों के लिए ३० गोलियां)
६. कुछ सूचनाएं
६.अ. उपरोक्त सभी औषधियां ३ से ७ आयुवर्ग के बच्चों में पाव की मात्रा में, तो ८ से १४ आयुवर्ग के बच्चों को आधी मात्रा में लें ।
६.आ. संभव हो तो सभी औषधियां चुभलाकर खाएं । इससे उनकी परिणामकारकता बढती है ।
६.इ. जिसे मधुमेह है, ऐसों को मधु (शहद) के साथ न लेते हुए औषधियां पानी के साथ लें ।
६.ई. यहां दी हुई औषधियों के साथ ऐलोपैथी अथवा होमियोपैथी औषधियां लेने में कोई हानि नहीं । केवल अन्य पैथी की औषधियां एवं आयुर्वेद की औषधियों में कम से कम १५ मिनट का अंतर रखें । औषधि संभव हो, तो खाली पेट लें; परंतु वैसा संभव न हो, तो खाने के पश्चात भी ले सकते हैं ।
६.उ. किसी वैद्य से कोरोना के संदर्भ में आयुर्वेद के उपचार हो रहे हों अथवा हम नियमित किसी वैद्य से औषधियां ले रहे हों, तो यहां दी हुई औषधि लेने से पूर्व उनसे परामर्श लें ।
६.ऊ. औषधि अधिक समय के लिए लेनी हो, इसके साथ ही इस लेख के संदर्भ में कोई शंका हो, तो आयुर्वेद के उपचार करनेवाले स्थानीय वैद्यों का मार्गदर्शन लें ।’
७.सारांश
७.आ. कोरोना के लक्षण हों तो | ||
७.आ.१. मंद लक्षण | ||
७.आ.१.अ. खांसी, गले में खराश, गले में वेदना | तालीसादी चूर्ण | १-१ चम्मच २-३ बार चुभला कर खाएं अथवा मधु में मिलाकर, बारंबार थोडा-थोडा चाटें । |
चंद्रामृत रस | २-२ गोलियां २ बार | |
७.आ.१.आ. जांच में कोरोनाबाधित निष्पन्न हुआ हो | सुवर्णमालिनी वसंत | १ गोली १ बार |
७.आ.१.इ. ज्वर (९९ से १०० अंश फेरेन्हाईट) | संशमनी वटी | २-२ गोली ३ बार |
महासुदर्शन वटी / रसपाचक वटी | १-१ गोली ३ बार | |
त्रिभुवनकीर्ति रस | १-१ गोली ३ बार | |
७.आ.२. मध्यम लक्षण | ||
७.आ.२.अ. खांसी, दम लगना, प्राणवायु का स्तर ९४ तक नीचे आना | तालीसादी चूर्ण | १-१ चम्मच २ से ३ बार चुभलाते हुए धीरे-धीरे खाएं अथवा शहद में मिलाकर बारंबार थोडा-थोडा चाटें । |
चंद्रामृत रस | २-२ गोलियां २ बार | |
शृंगाराभ्र रस | २-२ गोलियां ३ बार | |
सुवर्णमालिनी वसंत | १-१ गोलियां २ बार | |
महालक्ष्मी विलास रस | १-१ गोली २ बार | |
७.आ.२.आ. ज्वर (बुखार) (१०१ से १०३ अंश फेरेन्हाईट) | संशमनी वटी | २-२ गोलियां २ बार |
महासुदर्शन वटी / रसपाचक वटी | २-२ गोलियां ३ बार | |
त्रिभुवनकीर्ति रस | १-१ गोली प्रत्येक ३ घंटे में | |
एरंडेल तेल/गंधर्व हरितकी वटी / गंधर्व हरितकी चूर्ण | १ चम्मच / २ गोलियां / आधा से १ चम्मच गरम पानी के साथ रात में सोते समय, सप्ताह में २ बार | |
७.आ.३. तीव्र लक्षण | ||
७.आ.३.अ. प्राणवायु का स्तर ९४ से नीचे जाना, दम लगना | तालीसादी चूर्ण | १-१ चम्मच २ से ३ बार चुभलाकर खाएं अथवा शहद में मिलाकर बारंबार थोडा-थोडा चाटें । |
चंद्रामृत रस | २-२ गोलियां २ बार | |
शृंगाराभ्र रस | २-२ गोलियां ३ बार | |
सुवर्णमालिनी वसंत | १-१ गोलियां ३ बार | |
महालक्ष्मी विलास रस | १-१ गोली ३ बार | |
७.आ.३.आ. ताप (१०३ अंश फेरन्हाईट के ऊपर) | संशमनी वटी | २-२ गोलियां ३ बार |
महासुदर्शन वटी / रसपाचक वटी | २-२ गोलियां ३ बार | |
त्रिभुवनकीर्ति रस | १-१ गोली हर ३ घंटे में | |
एरंडेल तेल/गंधर्व हरितकी वटी / गंधर्व हरितकी चूर्ण | १-२ चम्मच / २-३ गोलियां /आधा से एक चम्मच गरम पानी के साथ केवल २ दिन (महत्त्वपूर्ण : २-३ बार पतले शौच हों, इतनी मात्रा पूर्वानुभव पर निर्धारित करें ।) | |
जयमंगल रस | १ गोली २-३ बार | |
७.इ. कोरोना होकर चले जाने के पश्चात शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए उपयुक्त औषधियां | ||
७.इ.१. हृदय एवं फेफडों को बल मिलने के लिए एवं थकान दूर होने के लिए | लक्ष्मी विलास गुटी | १-१ गोली २ अथवा ३ बार |
प्रभाकर वटी | १-१ गोली २ अथवा ३ बार | |
७.इ.२. रक्त में गांठें न हों, इसलिए | सारिवादी वटी / नित्यानंद रस | १-१ गोली २ बार |
लक्षण | औषधि का नाम | मात्रा |
---|---|---|
७.अ. प्रतिबंधात्मक उपाय के रूप में | ||
७.अ.१. घर में, आसपास अथवा सोसायटी में कोरोनाबाधित रोगी होने अथवा यात्रा करनी पड रही हो | संशमनी वटी | १-१ गोली ३ बार |
महासुदर्शन वटी | १-१ गोली २ बार | |
एरंडेल तेल/गंधर्व हरितकी वटी / गंधर्व हरितकी चूर्ण (अथवा पेट साफ होने के लिए कोई भी चूर्ण) | १ चम्मच / २ गोलियां / आधा से १ चम्मच गरम पानी के साथ रात में सोते समय, सप्ताह में २ बार | |
७.अ.२. बारंबार कोरोनाबाधित रोगियों से संपर्क न आता हो अथवा कोरोना बाधित क्षेत्र में जाना पड रहा हो | संशमनी वटी | २-२ गोली ३ बार |
महासुदर्शन वटी | १-१ गोली ३ बार | |
शृंगाराभ्र रस | १-१ गोली २ बार | |
गंधर्व हरितकी वटी | २ से ३ गोलियां रात में सोते समय, सप्ताह में २ बार |
– (पू.) वैद्य विनय नीळकंठ भावे, मोर्डे, ता. संगमेश्वर, रत्नागिरी. (४.५.२०२१)
८. औषधियों के विषय में अन्य जानकारी
८.अ. यहां दी हुई औषधियों में से जो चूर्ण हैं, उनके टिकने की अवधि उत्पादन दिनांक से २ वर्ष होती है । अन्य सभी गोलियां ५ वर्षाें से भी अधिक काल टिकनेवाली हैं । औषधि टिकने के लिए डिब्बी का ढक्कन कसकर लगाएं और डिब्बी को सूखे स्थान पर रखें ।
८.आ. यह औषधि केवल कोरोना में निर्माण होनेवाले लक्षणों में ही नहीं, अपितु अन्य समय पर भी ऐसे लक्षण निर्माण होने पर उनका उपयोग कर सकते हैं ।
८.इ. यहां दी हुई औषधियां अत्यंत सुरक्षित एवं दुष्परिणाम विरहित हैं । आजकल कुछ लोग ऐसा अपप्रचार करते हैं कि ‘धातुओं की भस्मयुक्त आयुर्वेद की औषधियों के कारण मूत्रपिंड अथवा यकृत खराब होता है’, इससे अनेक आधुनिक वैद्य अपने रोगियों से कहते हैं कि ‘आयुर्वेद की औषधियां न लें ।’ ‘शास्त्रीय पद्धति से बनाई गई किसी भी धातु की भस्मों से मूत्रपिंड अथवा यकृत खराब होता है, ऐसा कहना केवल अपप्रचार है । इसे शास्त्रीय आधार नहीं ।
८.ई. यहां दी हुई सभी औषधियां बाजार में मिलती हैं । किसी भी आस्थापन की औषधि लेने में कोई रोक-टोक नहीं ।
९. बाजार से औषधि खरीदने के लिए मार्गदर्शक सूत्र
९.अ. जो आर्थिक दृष्टि से सक्षम हैं, वे अपनी आवश्यकतानुसार औषधि लेकर रख सकते हैं ।
९.आ. जिसे आर्थिक दृष्टि से अडचन है, वे औषधि लेते समय आगे दिए सूत्रों का विचार कर वे कितनी औषधि खरीद सकते हैं, इस पर सोच-विचार कर निर्धारित करें ।
९.आ.१. ऊपर दी गई औषधियों की जो मात्रा दी है, वह एक व्यक्ति के लिए लगनेवाली सर्वसामान्य मात्रा है ।
९.आ.२. इसमें ‘अत्यंत आवश्यक औषधि’ खरीदने को प्रधानता दी जा सकती है ।
९.आ.३. यहां जो प्रधान ६ औषधियां दी गई हैं, वे भी प्राधान्यक्रमानुसार ही दी हैं, अर्थात पहले क्रमांक की जो औषधि है, वह सबसे अधिक प्रधान की एवं जीवनरक्षक (लाईफ सेविंग) के रूप में उपयोग करने समान है ।
९.आ.४. ऐन समय पर भागदौड न हो, इसलिए संभव हो, तो एक घर में न्यूनतम (कम से कम) प्राधान्य की औषधियों की प्रत्येक एक डिब्बी होनी चाहिए ।
– (पू.) वैद्य विनय नीळकंठ भावे, मोर्डे, ता. संगमेश्वर, रत्नागिरी. (४.५.२०२१)