‘तडका देकर बनाए पोहे, यह अल्पाहार में अधिक खाया जानेवाला पदार्थ है । कुछ लोगों को तडका देकर बनाए पोहे खाने से गले एवं छाती में जलन एवं मितली आने जैसे कष्ट होते हैं । इसलिए ‘तडके के पोहों से पित्त होता है’, ऐसी उनकी समझ है । आयुर्वेद के अनुसार केवल पोहे पित्तकारक नहीं । खट्टा, अधिक नमकीन, तीखा एवं तैलीय पदार्थ खाने से पित्त होता है । अनेक बार तडकेवाले पोहे बनाते समय काफी तेल का उपयोग किया जाता है । यह तेल इतना होता है कि पोहे खाने के पश्चात भी प्लेट में भरपूर तेल लगा दिखाई देता है । कई बार, तो पोहे मुठ्ठी में लेकर निचाडने पर उससे तेल निकलेगा, इतने तेल का उपयोग किया होता है । इसी कारण पित्त होता है । यदि पोहे बनाते समय अत्यंत अल्प मात्रा में तेल का उपयोग किया जाए, तो पित्त का कष्ट नहीं होता । अत्यल्प तेल का उपयोग कर भी उत्तम स्वाद के पोहे बना सकते हैं । जिसे बनाना नहीं आता, वे किसी कुशल गृहिणी से सीख लेंगे, तो घर के सदस्यों का पित्त का कष्ट दूर होने में काफी सहायता होगी ।’
– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (१२.९.२०२२)