खाद्यपदार्थाें के संदर्भ में विवेक जागृत रखें !

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वैद्य मेघराज माधव पराडकर

‘चॉकलेट, बिस्किट, चिप्स, फरसान, सेव, चिवडा आदि पदार्थ खाने की अपेक्षा अल्प मात्रा में मनुक्का, छुहाडा (खारीक), काजू, अंजीर, अखरोट, जरदालू (जरदाळू) समान सूखा मेवा खाएं । यदि सूखा मेवा महंगा प्रतीत हो रहा हो, तो भूख के अनुसार गुड-मूंगफली, तिल-गुड, भूने हुए चने, गोंद अथवा मेथी के लड्डू समान पौष्टिक पदार्थ खाएं । पोषणमूल्यहीन, चिपचिपे, तेल से भरे तथा ‘प्रिजर्वेटिव (अन्नपदार्थ अधिक दिन बनाए रखने के लिए उपयोग किया गया रासायनिक पदार्थ)’ पदार्थाें का उपयोग किए गए तथा स्वास्थ बिगाडनेवाले पदार्थ खाने की अपेक्षा पौष्टिक, सात्त्विक तथा प्राकृतिक पदार्थ खाने चाहिए । चॉकलेट आदि पदार्थ कभी कभी खाना ठीक है; किंतु नियमित सेवन न करें ।’

– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा । (१५.८.२०२२)

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