तत्त्व एवं गुणों के अनुसार ब्रह्मांड के स्तर पर कार्य चल रहा है । जब पृथ्वी पर सत्त्व, रज एवं तम, इन त्रिगुणों का समतोल बिगड जाता है, अर्थात सत्त्वगुण कम होकर रज-तम की मात्रा बढ जाती है, तब पृथ्वी पर प्राकृतिक एवं भौतिक आपदाएं आती हैं । प्रथम अतिवृष्टि, अनावृष्टि, भूकंप, ज्वालामुखी का उद्रेक, सुनामी जैसे वातावरण के संदर्भ में आपदाएं निर्माण होती हैं । तदुपरांत कीडे, कीटक आदि के स्तर पर आक्रमण होते हैं । कालांतर में पशु-पक्षियों के स्तर पर उपद्रव होना आरंभ होता है । तदुपरांत मानवी आक्रमणों का आरंभ होता है । इसमें शत्रुराष्ट्रों के आक्रमण, दो राष्ट्रों की आपस में लडाइयां होना एवं कालांतर में महायुद्ध होना, इन जैसे संकटों की शृंखला निर्माण होती है । ये संकट ही मानव के विनाश के लिए कारणीभूत होते हैं । अब भी वही हो रहा है !
‘वर्तमान में देश एवं धर्म के दृष्टिकोण से आपातकाल चल रहा है । प्राकृतिक आपत्तियां सतत आना, देशद्रोही एवं धर्मद्रोही की प्रबलता बढना, राजकीय अस्थिरता निर्माण करनेवाली घटनाएं होना, समाज, राष्ट्र एवं धर्म के हित के शुभ कार्य में विघ्न आना इत्यादि आपातकाल के भौतिक लक्षण हैं । ऐसे काल में सामान्य नागरिकों का दैनंदिन जीवन संघर्षशील होता है !
आपातकाल में बादल, भूकंप आदि के कारण बिजली आपूर्ति बंद हो जाती है । पेट्रोल, डीजल की कमतरता निर्माण होकर यातायात व्यवस्था बिखर जाती है । इसलिए गैस, खाने-पीने की वस्तुएं आदि अनेक मास (महिने) नहीं मिलतीं अथवा मिलती हैं तो उसकी ‘रेशनिंग’ होती है । आपातकाल में डॉक्टर, वैद्य, औषधियां, रुग्णालय उपलब्ध होना असंभव ही होता है । आपातकाल का सामना करने के लिए शारीरिक, मानसिक, कौटुंबिक, आर्थिक, आध्यात्मिक स्तरों पर पूर्वतैयारी करना आवश्यक है !
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
युद्धकाल की तैयारी एवं उस विषय में प्रबोधन करें !
आज अनेक संत एवं अवतारी पुरुष भावी संकटकाल के संदर्भ में बता रहे हैं । इससे उसकी तीव्रता ध्यान में आएगी । गुरुस्तर के संतों में काल के परे जाने की क्षमता होती है; इसलिए वे काल की आहट पहचान कर समाज को आनेवाले भीषण काल के विषय में जागरूक करते रहते हैं । यही कार्य शिष्य स्तर के भक्तों के करने पर गुरु का मन जानकर कार्य करने जैसा होता है । आनेवाले महाभीषण युद्धकाल की तैयारी करना, इस संदर्भ में अन्यों का प्रबोधन करना एवं इस युद्धकाल में समाजबंधुओं की रक्षा करना, यह गुरु को अभिप्रेत कालानुसार आज्ञापालन होगा !
– (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था
आपातकाल की भयावहता एवं भक्ति का महत्त्व
ध्यान में लाकर देनेवाली परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रीतिमय वाणी !
‘तीसरे महायुद्ध में कोई देश जीते अथवा किसी देश की हानि न हो’, ऐसा विचार मेरे मन में नहीं आता, अपितु ‘सात्त्विक व्यक्ति जीवित रहे’, इतना ही विचार आता है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
आपातकाल की भयावहता जानकर साधना करें !
वर्ष २००० से ही ‘कालमहिमा के अनुसार शीघ्र ही आपातकाल आनेवाला है’, इसका भान साधना करनेवालों को है । अब मंद आपातकाल आरंभ हो गया है, शीघ्र ही मध्यम एवं तदुपरांत तीव्र आपातकाल का आरंभ होगा ! वर्ष २०१९ के उपरांत तीसरे महायुद्ध का आरंभ होनेवाला है, ऐसा नाडीभविष्य बतानेवाले एवं द्रष्टा साधु-संत ने कहा है । प्रथम वह महायुद्ध मानसिक स्तर पर होगा । किसी भी दो राष्ट्र में महायुद्ध पहले मानसिक स्तर पर होता है, उदा. कोरिया-अमेरिका संघर्ष, चीन-अमेरिका संघर्ष । तदुपरांत भौतिक स्तर पर आपातकाल आरंभ होता है । उसके लिए अब अत्यंत अल्प अवधि रह गई है । ‘सूखे के साथ गीला भी जलता है’, इस सिद्धांत के अनुसार सज्जन, साधक आदि को भी आपातकाल की आंच आएगी ! ‘आपातकाल में अपने प्राण बचाने के लिए प्रत्येक जन साधना एवं धर्माचरण करने के लिए प्रवृत्त हो’, यही ईश्वरचरणों में प्रार्थना है ! भयावह एवं देश की आर्थिक स्थिति को जर्जर बनानेवाले आपातकाल का सामना करने के लिए मानव को प्रत्येक क्षण तैयार रहना चाहिए । आपातकाल में टिकने के लिए धर्माचरण एवं भगवान की भक्ति किए बिना पर्याय नहीं !
मानव एवं सृष्टि की रक्षा के लिए सतर्क करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवले !
त्रिकालज्ञानी संतों ने बताया ही है कि आगे भीषण आपातकाल है एवं उसमें जगभर की भारी लोकसंख्या नष्ट होनेवाली है । इसके साथ ही अनिष्ट शक्तियों का प्रकोप बढे हुए कलियुग में आपातकाल में तीसरा महायुद्ध छिड जाएगा; परंतु आपातकाल की भीषणता एवं उससे तर जाने के लिए सभी स्तरों पर उपाययोजना बताकर साधकों सहित समाज को जागृत करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवले एवं सनातन संस्था एकमेव हैं ! परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को मानवजाति की रक्षा एवं कल्याण के साथ-साथ ही सृष्टि की भी चिंता है । इसलिए भावी आपातकाल के संकट की दृष्टि से वे सभी को सतर्क कर रहे हैं । उनके श्रीचरणों में कोटिशः कृतज्ञता !