सनातन संस्था द्वारा नई देहली, नोएडा, मथुरा (उत्तर प्रदेश)
एवं फरीदाबाद (हरियाणा) में चैतन्यमय वातावरण में गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाया गया
देहली – माया के भवसागर से शिष्य और भक्त को धीरे से बाहर निकालनेवाले, उनसे आवश्यक साधना करवानेवाले और कठिन समय में उन्हें निरपेक्ष प्रेम का आधार देकर संकटमुक्त करानेवाले गुरु ही होते हैं । ऐसे परमपूजनीय गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन होता है ‘गुरुपूर्णिमा’ ! इसी कृतज्ञभाव से और चैतन्यमय वातावरण में सनातन संस्था द्वारा संपूर्ण देश के १५३ स्थानों पर भावपूर्ण वातावरण में ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ मनाया गया । इसमें देहली, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु, ये राज्य अंतर्भूत हैं । महोत्सव के आरंभ में श्री व्यासपूजन और प.पू. भक्तराज महाराजजी की प्रतिमा का पूजन किया गया ।
सर्वत्र के गुरुपूर्णिमा महोत्सवों में मान्यवर वक्ताओं ने ‘धर्मनिष्ठ समाज की निर्मिति एवं धर्माधारित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की आवश्यकता’ विषय पर मार्गदर्शन किया । इन महोत्सवों में उपस्थित जिज्ञासुओं के लिए प्रस्तुत किए गए स्वरक्षा प्रशिक्षण के प्रदर्शन विशेष आकर्षण के केंद्र रहे । इन महोत्सवों में धर्म, अध्यात्म, साधना, बालसंस्कार, आचारधर्म, आयुर्वेद, प्राथमिक चिकित्सा, हिन्दू राष्ट्र आदि विभिन्न विषयों पर आधारित ग्रंथों की प्रदर्शनी, साथ ही राष्ट्र-धर्म विषय से संबंधित फलक प्रदर्शनी लगाई गई थी ।
इस वर्ष सनातन संस्था की ओर से मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड, तमिल, तेलुगु, गुजराती, बांग्ला एवं उडिया इन ९ भाषाओं में ‘ऑनलाइन’ पद्धति से भी गुरुपूर्णिमा महोत्सव संपन्न हुए । इस माध्यम से संपूर्ण देश के सहस्रों श्रद्धालुओं ने ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ का लाभ उठाया ।
२. सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित ग्रथों का लोकार्पण
नई देहली के गुरुपूर्णिमा महोत्सव में सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के करकमलों से सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा संकलित ‘परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजीकी उनके गुरुदेवजी से हुई भेंट तथा उनका गुरु से सीखना’, इस ग्रंथ का लोकार्पण किया गया ।
फरीदाबाद में अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी स्पिरिच्युअल वर्कशॉप्स इन 1992’ तथा ‘एफर्ट्स एट द स्पिरिच्युअल लेवल फॉर रिमूवल ऑफ पर्सनैलिटी डिफेक्ट्स’ ग्रंथ का लोकार्पण सनातन संस्था के संत पू. संजीव कुमारजी के करकमलों से किया गया ।
नोएडा के गुरुपूर्णिमा महोत्सव में अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित ‘सीकर्स रिवील यूनिक फैसेट्स ऑफ परात्पर गुरु डॉ. आठवले’ तथा ‘हाउ टू प्रोग्रेस फास्टर स्पिरिच्युअली थ्रू सत्सेवा ?’ इन ग्रंथों का लोकार्पण सनातन संस्था की संत पू. माला कुमारजी के करकमलों से किया गया ।
२. केवल हिन्दू राष्ट्र में ही उत्तम शिक्षाप्रणाली का पालन हो सकता है !–जगदीशचंद्र
चौधरी, मुख्य संस्थापक तथा निदेशक, बालाजी ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन, हरियाणा
फरीदाबाद (हरियाणा) – ‘‘आज सर्वांगीण शिक्षा की चर्चा की जाती है; परंतु आज की शिक्षा छात्रों को भौतिकता की दिशा में ले जा रही है, जिसमें पूर्णता और स्वतंत्रता का अभाव है । भारतीय शिक्षापद्धति मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है; इसलिए केवल हिन्दू राष्ट्र में ही उत्तम शिक्षाप्रणाली का पालन हो सकता है ।’’ ‘बालाजी ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन’ के मुख्य संस्थापक तथा निदेशक श्री. जगदीशचंद्र चौधरी ने ऐसा प्रतिपादन किया ।
फरीदाबाद में समिति के प्रवक्ता श्री. नरेंद्र सुर्वे तथा नोएडा की गुरुपूर्णिमा में सनातन संस्था की प्रवक्ता कु. कृतिका खत्री ने उपस्थित जिज्ञासुओं का मार्गदर्शन किया ।
मथुरा के श्रीजी गार्डन सोसाइटी में कु. अक्षिता वार्ष्णेय ने उपस्थित जिज्ञासुओं का मार्गदर्शन किया ।
३. उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत क्षेत्र में गुरुपूर्णिमा के
उपलक्ष्य में जिज्ञासुओं ने ‘ऑनलाइन’ बैठकों का दिया उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर !
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – समाज के अधिकाधिक लोगों को गुरुपूर्णिमा का लाभ मिले, साथ ही गुरुपूर्णिमा का महत्त्व समाज तक पहुंचाने के कार्य में समाज का भी सहभाग हो; इस उद्देश्य से उत्तर एवं पूर्वाेत्तर भारत क्षेत्र के जिज्ञासुओं के लिए ‘ऑनलाइन’ पद्धति से बैठकों का आयोजन किया गया । इसके अंतर्गत अधिवक्ताओं, पत्रकारों, हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों, धर्मप्रेमियों और जिज्ञासुओं के लिए ‘ऑनलाइन’ बैठकें की गईं । इन बैठकों में उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड, बंगाल, असम आदि राज्यों के जिज्ञासु जुडे थे । इन बैठकों में ‘जीवन में गुरु का महत्त्व तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की दृष्टि से साधना का महत्त्व’ विषय पर मार्गदर्शन किया गया, साथ ही इस कार्य में सम्मिलित होने का आवाहन किया गया ।
४. क्षणिकाएं
१. अनेक अधिवक्ताओं ने गुरुपूर्णिमा के प्रसार तथा प्रसिद्धि की सेवा में भाग लिया ।
२. अनेक धर्मप्रेमी छुट्टी लेकर सेवा में सम्मिलित हुए ।
५. विशेषतापूर्ण
‘धर्मकार्य में हम यदि एक कदम आगे बढाते हैं, तो ईश्वर हमारी सहायता करते हैं’, इस विषय में वाराणसी के श्री. वीरेंद्र वर्मा ने अपना अनुभव बताते हुए कहा, ‘‘मैंने गुरुपूर्णिमा की सेवा के लिए छुट्टी मांगी थी, तब कार्यालय से मुझे यह कहा गया कि यदि मुझे छुट्टी चाहिए, तो नौकरी छोडनी पडेगी । तब मैंने, ‘भले ही मेरी नौकरी चली जाए; परंतु गुरुपूर्णिमा की सेवा मुझे करनी ही है’, यह निश्चय कर नौकरी से त्यागपत्र दे दिया । उसी दिन मुझे मेरे घर के निकट ही उससे अधिक अच्छी नौकरी मिल गई ।’’
६. ९ भाषाओं में ‘ऑनलाइन’ पद्धति से गुरुपूर्णिमा महोत्सव संपन्न !इस वर्ष सनातन संस्था द्वारा हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी, कन्नड, तमिल, तेलुगु, गुजराती, बांग्ला एवं ओडिया, इन ९ भाषाओं में ‘ऑनलाइन’ पद्धति से भी गुरुपूर्णिमा महोत्सव संपन्न हुए । इस माध्यम से संपूर्ण देश के सहस्रों श्रद्धालुओं ने ‘गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ का लाभ उठाया । |