१. शालिग्राम का नाम ‘श्रीराम शालिग्राम’ ऐसा क्यों है ?
‘सनातन के आश्रम में प्रतिष्ठापित शालिग्राम पर स्वर्णरेखा है, साथ ही आश्रम में प्रतिष्ठापना होनेवाला शलिग्राम पर स्वर्णरेखा है । साथही वह देखते समय शिवलिंग जैसा दिखाई देता है । प्रभु श्रीराम भगवान शिव की अखंड उपासना करते हैं । प्रभु श्रीराम ने अनेक तीर्थस्थलों पर शिवलिंगों की स्थापना की है । उसके कारण शिवलिंग की भांति ही दिखाई देनेवाले इस शालिग्राम को ‘श्रीराम शालिग्राम’ कहा गया है ।
२. सप्तर्षियों द्वारा ‘श्रीराम शालिग्राम’ के विषय में बताए गए विशेषतापूर्ण सूत्र
१५.४.२०२२ को चेन्नई में संपन्न १९८ वें सप्तर्षि जीवनाडीपट्टिकाओं के वाचन के समय श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी श्रीराम शालिग्राम पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी को दिखाने हेतु लेकर गईं थीं । उस समय सप्तर्षियों द्वारा शालिग्राम की वर्णन की हुई महिमा यहां दे रहे हैं ।
२.अ. ‘श्रीराम शालिग्राम’ गंगाजी में निर्मित शालिग्राम है तथा उसका
श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की प्रतीक्षा करते रहना
भगीरथ के प्रयासों के कारण शिवजी की जटा से ‘गंगाजी’ पृथ्वी पर अवतरित हुईं । सनातन के आश्रम में स्थित ‘श्रीराम शालिग्राम’ शिवजी की जटा में उत्पन्न शालिग्राम है । यह शालिग्राम सत्ययुग में ही पृथ्वी पर आया है तथा कलियुग में कार्तिकपुत्री के आनेतक वह उनकी प्रतीक्षा कर रहा था ।
२.आ. प्राचीन देवस्थानों में स्थित शालिग्रामों की भांति अत्यंत चैतन्यमय शालिग्राम !
इस ‘श्रीराम शाळिग्राम’ की तुलना अन्य किसी भी शालिग्राम से नहीं हो सकती । तिरुपति बालाजी की मूर्ति भी शालिग्राम से ही बनी है । थिरूवनंतपूरम् में स्थित श्री पद्मनाभस्वामी की शेषशायी मूर्ति भी शालिग्राम से भी बनाई गई है । इस प्रकार का चैतन्यमय शालिग्राम अब सनातन के आश्रम में भी प्रतिष्ठापित होनेवाला है ।
२.इ. सनातन के तीन गुरुओं से पूजा करवाने हेतु आगमित श्रीविष्णु की स्वर्णरेखा से युक्त ‘श्रीराम शालिग्राम’ !
इस शालिग्राम पर एक स्वर्णरेखा है । वह साक्षात श्रीविष्णु की रेखा है तथा वह ब्रह्मनाडी ही है । भगवान को सनातन के तीन गुरुओं द्वारा (सच्चिदानंद परब्रह्म परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी, श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के द्वारा) स्वयं की पूजा करवानी है; इसलिए वे इस शालिग्राम के रूप में सनातन के आश्रम में प्रतिष्ठापित होनेवाले हैं ।
कर्नाटक के कोल्लूरू की श्री मुकांबिकादेवी के मंदिर के गर्भगृह में देवी की मूर्ति नहीं, अपितु एक शिवलिंग है । उस पर भी इस शालिग्राम की भांति एक स्वर्णरेखा है । यह सब दैवी योजना है ।
२.ई. रामनाथी आश्रम में ‘श्रीराम शालिग्राम’ की प्रतिष्ठापना होने
जा रही है और इसके कारण सनातन की संपूर्ण गुरुपरंपरा आनंदित है ।
२.उ. प्रतिष्ठापना होने पर एक दिन एक नाग आकर अपनी केंचुली उस शालिग्राम के पास छोड जाएगा ।
– श्री. विनायक शानभाग (आध्यात्मिक स्तर ६७ प्रतिशत), चेन्नई, तमिळनाडू (५.५.२०२२)
३. शालिग्राम की प्रतिष्ठापना के विषय में सप्तर्षियों द्वारा बताए गए सूत्रे३.अ. आषाढ महिने में गुरुपूर्णिमा के उपरांत आनेवाले ‘उत्तराषाढा’ इस परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के जन्मनक्षत्र के दिन सनातन के रामनाथी आश्रम में एक पीठ पर धर्मशास्त्र के अनुसार ‘श्रीराम शालिग्राम’ की प्रतिष्ठापना की जाए । (‘आषाढ कृष्ण प्रतिपदा (१४.७.२०२२) को उत्तराषाढा नक्षत्र के होते समय सनातन के आश्रम में ‘श्रीराम शालिग्राम’ की प्रतिष्ठापना की गई ।’ – संकलनकर्ता) ३.आ. दूध और गुलाबजल से शालिग्राम का अभिषेक किया जाए । उसके उपरांत ईश्वर द्वारा प्रदान प्राकृतिक मीठे पदार्थाें का अर्थात सूखे अंगूर, शहद और खजूर इन तीन मीठे पदार्थाें का भोग लगाया जाए । शालिग्राम की प्रतिष्ठापना होने पर वह प्रसाद सभी साधकों में बांटा जाए । (‘इस प्रकार किया गया है ।’ – संकलनकर्ता)’- श्री. विनायक शानभाग (५.५.२०२२) |