अनुक्रमणिका
(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले, सनातन संस्था.
‘आगे आनेवाले आपातकाल में आधुनिक वैद्य एवं उनकी औषधियां उपलब्ध नहीं होंगी । तब ‘किस रोग पर क्या उपाय करने हैं’, यह समझ पाना कठिन होगा । तब यह समझ में आए; इसलिए साधक यह लेख संग्रही रखें एवं इसमें बताए अनुसार नामजप करें । इससे बीमारी अल्प होने में सहायता होगी ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले (३०.६.२०२२)
‘कोई विकार दूर होने के लिए दुर्गादेवी, राम, कृष्ण, दत्त, गणपति, हनुमान एवं शिव, इन ७ मुख्य देवताओं मे से किस देवता का तत्त्व कितनी मात्रा में आवश्यक है ?’, यह ध्यान में ढूंढकर मैंने कुछ विकारों पर जप बनाए हैं । सर्वप्रथम मैंने ‘कोरोना विषाणुओं’की बाधा दूर करने के लिए इसप्रकार जप ढूंढा था । वह परिणामकारक होने की बात ध्यान में आने पर मुझे अन्य विकारों पर भी जप ढूंढने की प्रेरणा मिली । यह जप आवश्यकतानुसार विविध देवताओं का एकत्रित जप है । ये जप मैं साधकों को उनके विकारों पर दे रहा हूं । एवं उन जपों से उन्हें अच्छा लाभ हो रहा हैै । कुछ माह पूर्व कुछ विकार, उन पर जप एवं साधकों को जप करने से हुई अनुभूतियां पढें https://www.sanatan.org/mr/chanting-and-mantra प्रस्तुत लेख में कुछ अन्य विकार एवं उनपर जप यहां दिए हैं । ये नामजप गत कुछ माह से कुछ साधकों को दिए हैं । साधक उन्हें हुई अनुभूतियां शीघ्र से शीघ्र ग्रंथ के लिए लिखकर इस लेख के अंत में दिए हुए इ-मेल पते पर अथवा डाक के पते पर भेजें ।
टिप्पणी १ – किसी विकार के लिए दिया गया नामजप उस क्रम में बोलने पर, वह एक नामजप होता है । ऐसे यह नामजप नियोजित अवधि तक पुन:पुन: करना है ।
टिप्पणी २ – ‘मस्तिष्क के विशिष्ट भाग की चेताकोशा अर्थात ‘न्यूरॉन्स’ अकार्यरत होने पर, उस भाग से की जानेवाली संबंधित कृति नहीं होती । यहां ‘बोल न पाना; परंतु गाना संभव’, ऐसे उदाहरण दिए हैं । इस संदर्भ में विवेचन आगे दिएनुसार है ।
१. बोल न पानेवाले के लिए गाना संभव होना
२. बाएं मस्तिष्क (ब्रेन) का आगे का भाग बोलने से संबंधित क्षेत्र की (ब्रोकाज एरिया) चेतापेशी अकार्यरत होने से व्यक्ति के बोलने पर परिणाम होता है । उसे अन्यों का बोलना समझ में आता है; परंतु वह व्याकरण की दृष्टि से योग्य, अर्थात क्रियापद, क्रियाविशेषण, विशेषण इत्यादि का उपयोग कर बोल नहीं पाता । फिर भी वह कुछ अर्थपूर्ण शब्दों का उच्चारण कर सकता है । उसका बोलना ‘टेलीग्राफिक स्पीच’ समान होता है । गायन दाएं मस्तिष्क से संबंधित विषय है । इसलिए ‘ब्रोकाज एरिया’ में चेताकोशा अकार्यरत होने पर भी उसकी गायनक्षमता अबाधित रहती है । यहां ‘गायनक्षमता’ अर्थात विशेषरूप से ‘मेलडी’ (चाल, संगीत-रचना की मुख्य धुन, आलापी) गाने की क्षमता अबाधित रहती है ।’ – आधुनिक वैद्य दुर्गेश सामंत (२.७.२०२२)
विकारों पर ध्यान से नामजप ढूंढते समय सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळ
विकार | लागू होनेवाले कुछ नामजपों का एकत्रित नामजप (टिप्पणी१) |
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१. हर्पीस होना | श्री दुर्गादेव्यै नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
२. जोडों में वेदना | श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
३. गर्भाशय में रक्त की गांठें होकर गर्भाशय में सूजन आना | श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । |
४. प्राणशक्ति अल्प होना | श्री गणेशाय नमः। श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । |
५. मासिक धर्म के समय रक्तस्राव अधिक मात्रा में होना | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । श्री गुरुदेव दत्त । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
६. क्षयरोग (टी.बी.) होना | श्री गुरुदेव दत्त । श्री गणेशाय नम: । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । |
७. शरीर में चर्बी की गांठें होना | श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
८. घाव में जंतुसंसंर्ग होना | श्री गुरुदेव दत्त । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
९. आंखों में गुहेरी होना | श्री गणेशाय नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
१०. ‘पाईल्स’ का कष्ट | श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । |
११. ऑटो इम्यून डिसऑर्डर (अपनी प्रतिकारशक्ति द्वारा अपने ही शरीर पर आक्रमण होना) | श्री गणेशाय नम: । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
१२. स्नायु की क्षमता घटना | श्री गणेशाय नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । |
१३. मूत्राशय में गांठ होना (गांठ कर्करोग की थी, यह विलंब से पता चला) | श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
१४. वेरिकोज वेन्स | श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
१५. कर्करोग | श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । श्री गणेशाय नम: । |
१६. रक्त का कर्करोग | श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री गुरुदेव दत्त । |
१७. मल्टीपल स्क्लेरोसिस (मध्यवर्ती मज्जासंस्था दुर्बल होना) | श्री दुर्गादेव्यै नम: । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । श्री गुरुदेव दत्त । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
१८. शौच साफ न होना | श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । |
१९. मस्तिष्क के कुछ भाग के ‘न्यूरॉन्स’ अकार्यरत होना (मस्तिष्क का कुछ भाग काम न करने से उस भाग से संबंधित कृति न कर पाना, उदा. बोल न पान; परंतु गाना संभव) (टिप्पणी २) | श्री गणेशाय नम: । श्री गणेशाय नम: । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । |
२०. अनिष्ट शक्तियों के कष्ट के कारण मासिक धर्म न आना | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । श्री गणेशाय नम: । |
टिप्पणी : किसी व्याधि के लिए दिया हुआ नामजप यदि उसी क्रम से किया गया, तो वह एक नामजप होगा । इस प्रकार यह नामजप नियोजित कालावधि तक निरंतर करना ।
१. उपरोक्त विकारों में से कुछ विकारों के संदर्भ में
बताए जपों के विषय में साधकों को आए विशेष अनुभव
१ अ. हर्पीस (शिंगल्स) होना
अगस्त २०२१ में एक साधिका को गर्दन से लेकर पीठ तक हर्पीस हुई । मैंने उसे इस विकार पर जप दिया । हर्पीस होनेपर अत्यधिक वेदना एवं दाह होता है । यह विकार ठीक होने में सामान्यत: १ माह (महिना) लगता है, ऐसा वैद्यों का अनुभव है । मैंने जो नामजप दिया था, उसे साधिका प्रतिदिन १ घंटा करती थी । इसलिए उसे बहुत अधिक वेदना एवं जलन (दाह) नहीं हुई । इसके साथ ही ५ वें दिन से उसका यह विकार ठीक होना भी आरंभ हो गया । ऐसा ही अनुभव अन्य ४ साधकों को भी आया । उनका भी यह विकार ५ वें दिन ठीक होने लगा ।
१ आ. क्षयरोग (टी.बी.) होना
अगस्त २०११ में एक साधिका को (वय ६७ वर्ष) क्षयरोग होने का निदान हुआ । कुछ समय पूर्व ही उसे ‘कोरोना’का संसर्ग हुआ था एवं अब क्षयरोग होने से वह बहुत घबरा गई थी । वह प्रौढ भी थीं । मैंने उन्हें क्षयरोग ठीक होने के लिए नामजप दिया । वे औषधियां लेने के साथ-साथ प्रतिदिन २ घंटे नामजप भी करती थीं । २ माह नामजप करने से उनका क्षयरोग भारी मात्रा में न्यून हो गया । इसके साथ ही उनकी मन की स्थिति में भी बहुत सुधार हुआ । उनका धीरज और आत्मविश्वास बढा कि अब वे ठीक हो जाएंगी । आगे ४ माह और उन्होंने औषधोपचार के साथ ही नामजप करने पर कुल ६ माह में उनका क्षयरोग पूर्णरूप से ठीक हो गया । सामान्यत: क्षयरोग ठीक होने में ६ से ९ माह लगते हैं । ‘साधिका का क्षयरोग नामजप के कारण शीघ्र पूर्णरूप से ठीक हो गया’, ऐसा दिखाई दिया ।
१ इ. घाव में जंतुसंसर्ग होना
सितंबर २०२१ में एक साधक को गिरने के कारण उनकी आंखों के समीप घाव हो गया था । उस घाव से मवाद (जंतूसंसर्ग) बहना आरंभ हो गया था । ‘घाव में जंतुसंसर्ग न हो’, इस हेतु मैंने उसे जप दिया । वह उसने प्रतिदिन २ घंटे किया । अगले ही दिन से उसके घाव से जंतुसंसर्ग न्यून होने लगा एवं ४ दिनों में वह घाव ठीक हो गया । इसलिए आंखों के लिए उत्पन्न संकट टल गया ।
१ ई. ऑटो इम्यून डिसॉर्डर (अपनी ही प्रतिकार शक्ति द्वारा अपने शरीरपर आक्रमण होना)
१. सितंबर २०२१ में एक साधक इस विकार से पीडित था । इस विकार के कारण उसकी अंतडियों में अल्सर हो गया था । इसलिए उसके शौच में रक्त गिरता था । वह खाने में न तो मीठा और न ही तीखा पदार्थ खा सकता था । केवल चावल की कंजी पर था । इसलिए वह कमजोर होने लगा । उसे आयुर्वेदीय औषधियां भी चल रही थीं; परंतु कोई लाभ नहीं हो रहा था । मैंने उसे इस विकार पर नामजप दिया । साधक वह नामजप प्रतिदिन १ घंटा करता । इसके परिणामस्वरूप उसे एक माह में परिवर्तन ध्यान में आने लगा । उसके शौच के माध्यम से रक्त गिरना बंद हो गया । अब उसने कुछ-कुछ अन्य अन्नपदार्थ भी खाने आरंभ कर दिए । कुल मिलाकर ३ माह में उसका वह विकार पूर्णरूप से दूर हो गया ।
२. एका साधिका को इस विकार के कारण संपूर्ण शरीर में अनेक घाव हो गए थे । वे घाव इतने थे कि उन्हें कपडे पहनने में भी कठिनाई होती थी । इस विकार पर कोई भी वैद्यकीय उपचार लागू नहीं हो रहे थे, इसलिए उसे बहुत निराशा आ गई थी । उसे मैंने इस विकार पर नामजप दिया । इसके परिणामस्वरूप एक माह में ही उसके शरीर के सभी घाव भर आए एवं वह ठीक हो गई । तदुपरांत उसे पुन: कभी घाव नहीं हुए ।
१ उ. कर्करोग
एक शुभचिंतक के युवा लडके को ‘बोन मैरो कैन्सर’(हड्डियों का कर्करोग) हो गया था । यह कर्करोग उसके शरीर में ५५ प्रतिशत फैल गया था । मैंने उस शुभचिंतक को कर्करोग पर नामजप दिया । उन्होंने वह नामजप अपने बेटे के लिए १ माह प्रतिदिन २ घंटे किया । तदुपरांत उन्होंने बेटे की पुन: वैद्यकीय जांच की, तब उसका कर्करोग ५५ प्रतिशत से ०.५ प्रतिशत तक आ गया था । तब डॉक्टर आश्चर्यचकित हो गए एवं वे शुभचिंतक से बोले, ‘‘यदि कर्करोग ०.०५ प्रतिशत तक आ गया, तो आपको ‘बोन मैरो रिप्लेसमेंट’ नहीं करना होगा एवं आपके १२-१३ लाख रुपयों का व्यय (खर्च) बच जाएगा ।’’ यह समझने के पश्चात मैंने उस शुभचिंतक को कर्करोग पर जप प्रतिदिन २ घंटों के स्थान पर ३ घंटे करने के लिए कहा ।
१ ऊ. मल्टीपल स्क्लेरोसिस (मध्यवर्ती मज्जासंस्था दुर्बल होना)
एक साधक को यह विकार आयु के २८ वें वर्ष से गत १४ वर्षाे से है । इस विकार में उसके पैरों में झिनझिनी आना, चींटियां आना, चुभन-सी होना, जलन समान लगना एवं सुन्न पडना, ऐसा हो रहा था एवं तत्पश्चात ये लक्षण अन्य अवयवों में फैल रहे थे । यह एक तीव्र स्वरूप का विकार है । इस विकार के लक्षण इस साधक को दिन में अनुभव होते थे एवं रात में उसकी तीव्रता बढ जाती थी । मैंने उसे इस विकार पर अक्टूबर २०२१ में नामजप दिया । उसने ‘नामजप कब करना है ?’, इसका नियोजन किया उसने नामजप के ३० मिनटों के सत्र करना सुनिश्चित किया । विकार के लक्षण दिखाई देते ही वह ३० मिनट नामजप करता था । इसकारण उसके विकार के लक्षण कम होने लगे और उसे १ से २ घंटे आराम मिलता था । लक्षणों के पुन: आरंभ होने पर वह ३० मिनट नामजप करता था । अनेक बार उसे शाम को अथवा रात को यह नामजप करना पडता था । इसप्रकार उसने यह विकार दूर होने के लिए लगन से प्रयत्न किए । इसकारण उसने देखा कि दिनोंदिन उसके उस विकार के लक्षण निर्माण होने की बारंबारता घटने लगी एवं २ माह में लक्षणों की तीव्रता भी बहुत घट गई ।
२. जपों का महत्त्व
आपाकाल में औषधियां, डॉक्टर इत्यादि की कमतरता होगी, तब इन जपों का अच्छा उपयोग होगा ।
३. कृतज्ञता
परात्पर गुरु डॉक्टरजी की कृपा से मैं ये जप ढूंढ पाया और उन जपों की अच्छा परिणाम भी ध्यान में आया । इसलिए मैं परात्पर गुरु डॉक्टरजी के श्रीचरणों में कोटिशः कृतज्ञ हूं ।
– (सद्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (३०.६.२०२२)
साधकों को यहां दिए विकारों में से कोई विकार हो, तो उसे दूर करने के लिए ‘उस संदर्भ में दिया नामजप कर देखें’, और लगे तो वह नामजप १ मास (महिना) प्रतिदिन १ घंटा प्रयोग करके देखें । इस नामजप के संदर्भ में आनेवाली अनुभूतियां साधक [email protected] इस ई-मेल पते पर अथवा आगे दिए गए डाक पते पर भेजेंं । साधकों की ये अनुभूतियां ग्रंथ में लेने की दृष्टि से, इसके साथ ही नामजप योग्यता सिद्ध होने में भी उपयुक्त होगी ।