ग्वालियर – आज व्यक्ति, परिवार, कार्यालय, समाज हर जगह पर तनाव है । तनाव के कारण व्यक्ति दु:खी होता है और जीवन का आनंद नहीं ले पाता । आजकल छात्रों में भी तनाव दिखाई देता है । ऐसे में अध्यापकों के द्वारा छात्रों में व्यक्तित्व विकास संभव है। तनाव निर्मूलन हेतु व्यक्तित्व के दोष पर प्रभाव करें ऐसा गुण बढाने की आवश्यकता है । इसलिए अध्यापक और छात्रों में इस विषय में दिशादर्शन करने का प्रयास सनातन संस्था कर रही है, ऐसा प्रतिपादन सनातन संस्था की श्रीमती वैदेही पेठकर जी ने किया । यहां के वीरांगना लक्ष्मीबाई स्मारक उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित ‘तनावमुक्त जीवन हेतु अध्यात्म’, इस विषय पर अध्यापकों को संबोधित कर रही थी। इस समय विद्यालय के प्राचार्य श्री. जगदीश श्रीवास, वीरांगना लक्ष्मीबाई समिति के सहसचिव श्री. हेमंत खेडेकर, समिति के कोषाध्यक्ष श्री. विष्णु उमड़ेकर इनके साथ 25 से अधिक अध्यापक उपस्थित थे ।
श्रीमती पेठकरजी ने बताया कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी हमारे स्वास्थ्य के लिए शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक अंग के साथ आध्यात्मिक अंग आवश्यक है, यह स्पष्ट किया है । ऐसे में अपने ऊर्जावान मन को तनाव में ना रखते हुए यदि हम आध्यात्मिक अंग को विकसित करने के लिए के अपने कुलदेवी का स्मरण करेंगे, तो मनकी ऊर्जा व्यय ना होते हुए बढेगी और जीवन आनंदमय होगा ।
इस समय वीरांगणा लक्ष्मीबाई शिक्षा समिति के सहसचिव श्री. हेमंत खेडेकर ने कहा की, आज विश्व और भारत की वर्तमान परिस्थिति में परिवर्तन के लिए सनातन संस्था का बडा योगदान होगा । सनातन संस्कृति के आदान-प्रदान का आपका कार्य सराहनीय हैं । वीरांगना लक्ष्मीबाई स्मारक उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य श्री. जगदीश श्रीवास ने कहा की, आध्यात्मिक दृष्टीसे अपने व्यवहार एवं जीवन को साधना एवं विचारों के माध्यम से कैसे परिवर्तन कैसे करें ? छात्रों की समस्या को कैसे दूर कर सकते हैं । हम अपने जीवन को संस्कार से कितना महत्त्वपूर्ण बना सकते है, इसके लिए आज सनातन संस्था द्वारा सराहनीय मार्गदर्शन हुआ ।