महर्षि द्वारा सप्तर्षि जीवनाडीपट्टी से आपातकाल एवं तीसरे महायुद्ध के विषय में साधकों को जागृत करना

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पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्

गत कुछ वर्षाें से भारतभूमि के संत-महात्मा, सिद्धपुरुष, ज्योतिष्यशास्त्र के जानकार, नाडीपट्टीवाचक एवं कुछ द्रष्टाओं ने ‘वर्ष २०२० से वर्ष २०२५, यह काल कितना भयावह होनेवाला है’, इसके संकेत दिए हैं । सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने समय-समय पर किए मार्गदर्शन से इस विषय में साधकों को सावधान किया है । धर्म एवं ईश्वर पर श्रद्धा रखनेवाले साधक संत वाणी के अनुसार कृति करने का प्रयत्न कर रहे हैं । दिव्य पुरुषों ने आनेवाले भयावह आपातकाल के विषय में साधकों को बताने के कारण उनकी ईश्वर के प्रति भक्ति बढाने में सहायता हो रही है एवं साधकों की रक्षा भी हो रही है । वर्ष २०१५ से गुरुदेवजी की (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की) कृपा से साधकों को सप्तर्षि जीवनाडीपट्टी से ऋषिलोक का ज्ञान मिल रहा है । सप्तर्षियों ने सप्तर्षि जीवनाडीपट्टी के माध्यम से आनेवाले आपातकाल एवं तीसरे महायुद्ध के विषय में साधकों के लिए बताए गए कुछ सूत्र आगे दिए हैं । – श्री. विनायक शानभाग (आध्यात्मिक स्तर ६६ प्रतिशत), चेन्नई, तमिलनाडु. (७.५.२०२२)

 

१. सप्तर्षि जीवनाडीपट्टिका वाचन क्रमांक १९५ (२०.१२.२०२१)
में सप्तर्षियों द्वारा आनेवाले आपातकाल के विषय में बताए सूत्र

१.अ. जग में कितने ही देश स्वयं को शक्तिशाली समझते हैं; परंतु आनेवाले काल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण अनेक देश नष्ट हो जाएंगे । आनेवाले आपातकाल में पलक झपकते ही लाखों लोगों की मृत्यु हो जाएगी ।

१.आ. हिन्दू राष्ट्र आने से पूर्व श्रीकृष्ण सर्वत्र युद्ध करवाएंगे और भगवान शिव सर्वत्र व्याधि लाएंगे । युद्ध एवं व्याधियों के कारण दुर्जनों का नाश होने पर हिन्दू राष्ट्र आएगा ।

– सप्तर्षि (पू. डॉ. ॐ उलगनाथन् के माध्यम से)

 

२. सप्तर्षि जीवनाडीपट्टिका वाचन क्रमांक १९८ (१५.४.२०२२)
में सप्तर्षियों ने श्रीलंका पर आए आपातकाल के विषय में बताए सूत्र

२.अ. ‘वर्तमान में रावणनगरी श्रीलंका की क्या स्थिति हो गई है ?’, यह आपको पता ही होगा । उसका वर्तमान एवं भविष्य, दोनों ही अंधकारमय है ।

२.आ. वहां लोगों को भोजन बनाने के लिए सामग्री उपलब्ध नहीं है । गाडियां हैं; परंतु इंधन नहीं । सुख-सुविधाएं देनेवाले यंत्र एवं घर हैं; परंतु घंटों तक बिजली नहीं । ऐसा दृश्य आगे सर्वत्र दिखाई देगा ।’

– सप्तर्षि (पू. डॉ. ॐ उलगनाथन् के माध्यम से)

 

३. सप्तर्षि जीवनाडीपट्टिका वाचन क्रमांक
१९० (२१.१०.२०२१) में सप्तर्षियों ने प्राकृतिक आपदाओं के बताए कारण

श्री. विनायक शानभाग

३.अ. चैतन्ययुक्त स्थान ही काल के प्रवाह में टिके रहेंगे !

‘तांत्रिक अपने इष्टदेवता के मंदिर बनाते हैं । कुछ काल में ऐसे मंदिर प्रसिद्ध होते हैं; परंतु काल के प्रवाह में ऐसे मंदिर नहीं टिकते । जिन मंदिरों में चैतन्य है, वही स्थान टिके रहनेवाले हैं ।

३.आ. भगवान पर श्रद्धा न रखनेवालों के लिए रुग्णालयों एवं यमलोक के द्वार खुल जाएंगे !

जो मनुष्य भगवान के मंदिर के प्रवेशद्वार तक पहुंचकर भी भगवान के दर्शन नहीं लेता, अर्थात जिसकी भगवान पर श्रद्धा नहीं, ऐसों के लिए रुग्णालय एवं यमलोक के प्रवेशद्वार खुल जाएंगे ।

३.इ. कोरोना के उपरांत इस जग में एक और बडी व्याधि
आनेवाली है । इस व्याधि का आरंभ भी विदेश से होनेवाला है ।

केरल में पहले आई जलप्रलय में बचावकार्य का प्रातिनिधिक छायाचित्र

३.ई. वामाचार के कारण अशुद्ध हुई भूमि को प्रकृति ही शुद्ध करेगी !

केरल राज्य में गत दो वर्षाें से प्रकृति का प्रकोप बहुत बढ गया है । ‘बेमौसम वर्षा, चट्टानों का ढहना, बाढ आना, अनेक प्रयत्न करने के उपरांत भी कोरोना समान व्याधि न्यून न होना’, ऐसे अनेक कष्ट वहां की प्रजा भोग रही है । इसका कारण है वहां का वामाचार (वेदों में जो मान्य नहीं, ऐसे आचार) भारी मात्रा में हो रहे हैं । वामाचार एवं गाय का रक्त भारी मात्रा में बहाने के कारण वहां की भूमि अशुद्ध हो गई है । (केरल राज्य में सबसे अधिक गोमांस का भक्षण होता है । – संकलक) अब प्रकृति ही भूमि की शुद्धि कर रही है ।

३.उ. भारी मात्रा में होनेवाले भूकंप एवं आंधी-तूफान !

आनेवाले काल में ऊंची-ऊंची इमारतें नृत्य करने (भूकंप के कारण हिलने) लगेंगी । अबतक लोगों ने घर एवं मार्ग पर ही केवल बाढ एवं आंधी-तूफान के कारण पानी आते देखा है । अब लोगों की ऊंची-उंची इमारतों तक बाढ एवं तूफानी वर्षा का पानी आनेवाला है ।

३.ऊ. समुद्र के नीचे विद्यमान जगत का विनाश करनेवाला ज्वालामुखी जागृत होना

समुद्र के नीचे अनेक अग्निपर्वत (ज्वालामुखी) हैं । आनेवाले काल में उनका विस्फोट होगा । समुद्र के अंदर अग्नि, तेल, रत्न एवं वनस्पति हैं । उससे हमें औषधियां मिलती हैं; परंतु उसी समुद्र के अंदर ज्वालामुखी है, जो जग का विनाश करेगा ।

३.ए. विनाशकारी जागतिक महायुद्ध होनेवाला है !

आनेवाले काल में अग्नि की वर्षा होगी, अर्थात जागतिक महायुद्ध होगा । ऐसे दिन आएंगे कि भूतल पर लोग भगवान से ‘बचाओ, बचाओ’, ऐसे पुकारेंगे । (अत्यंत भयावह स्थिति होनेवाली है, ऐसा महर्षिजी को कहना है ।’ – संकलक)

३.ऐ. मनुष्य के अधर्माचरण करना आरंभ करने पर भगवान उसका नाश करता है !

भूमि अर्थात ‘शक्ति’ एवं आकाश अर्थात ‘शिव’ ! मनुष्य भूमि के, अर्थात शक्ति की गोद में वास कर रहा है एवं आकाश का, अर्थात शिव की छाया में रहता है; परंतु जब मनुष्य अधर्माचरण करने लगता है, तब भूमि एवं आकाश को मानव का नाश करने के लिए कुछ क्षण भी पर्याप्त होते हैं ।

३.ओ. आनेवाले काल में लोग कीडे-मकौडों समान मरेंगे ।

 

४. सप्तर्षि जीवनाडीपट्टिका वाचन क्रमांक १९४ (१५.१२.२०२१) में
सप्तर्षियों ने भूकंप, ज्वालामुखी, बाढ एवं व्याधि के विषय में बताए सूत्र

४.अ. भूमि से भयानक शब्द सुनाई देंगे । (महाभयंकर भूकंप होगा । – संकलक)

४.आ. पृथ्वी पर अग्नि की नदियां बहेंगी । (भारी मात्रा में ज्वालामुखी फटेंगे और दहकता लावा अग्नि की नदियों समान बहेगा । – संकलक)

४.इ. आनेवाले काल में जलप्रलय बाढ समान नहीं, अपितु ऐसा प्रतीत होगा कि समुद्र ही भूमि पर आ गया है ।

४.ई. युद्ध के समय किए जानेवाले अस्त्रों के उपयोग से आकाश में विचित्र दृश्य दिखाई देंगे । एक ओर मिसाईल छूट रही है, तो दूसरी ओर विमान यहां से वहां जा रहा है, ऐसा दृश्य होगा ।

कोरोना संसर्ग के काल में रुग्णालय में अत्यंत अत्यवस्थ स्थिति के रोगियों पर हो रहे उपचार

४.उ. अब ‘ॲमिक्रॉन’ नामक विषाणु आया है; परंतु उसमें शक्ति नहीं । कुछ ही दिनों में एक और रोग आनेवाला है । केवल उस एक रोग में ही ५ प्रकार के भिन्न-भिन्न रोग एकत्र होंगे । इस रोग के कारण जग में हाहाकार मच जाएगा ।

५. सप्तर्षि जीवनाडीपट्टिका वाचन क्रमांक १९६
(३.२.२०२२) में आगे साधकों को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के
प्रत्येक वाक्य की प्रचीति आएगी, ऐसा सप्तर्षियों का कहना

५.अ. विश्व में महायुद्ध होनेवाला है । यह युद्ध कभी भी आरंभ हो सकता है । जागतिक स्तर पर वैसी परिस्थिति निर्माण हो रही है ।

५.आ. एकाएक आकाश से बडी मात्रा में बिजली गिरेगी । अनेक लोग मरेंगे, अनेक प्राणी मरेंगे, इसके साथ ही भारी मात्रा में घर उद्धस्त होंगे ।

५.इ. समुद्र के नीचे विद्यमान ज्वालामुखियों का विस्फोट होगा ।

५.ई. समुद्र कभी भी अपनी मर्यादाएं लांघ सकता है । अनेक स्थानों पर समुद्र भूमि को निगल लेगा ।

५.उ. आनेवाले ५ वर्षाें में एक समय ऐसा होगा कि लोगों को प्रतीत होने लगेगा कि ‘अब क्या नए युग का आरंभ होनेवाला है ?’ पृथ्वी पर प्रलय समान स्थिति होगी ।

५.ऊ. भगवान ने जिसे जन्म दिया है, वह प्रत्येक जीव जन्म से ही हिन्दू ही होता है । उस जीव पर होनेवाले विरुद्ध संस्कारों के कारण वह जीव धर्मांतरित होता है । आनेवाले काल में धर्मपरिर्वन करनेवाले एवं धर्मपरिवर्तन को प्रोत्साहन देनेवाले देश भी नष्ट होंगे ।

५.ए. अनेक साधकों ने गुरुदेवजी के (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के) बताए अनुसार आपातकाल की तैयारी की है । कुछ साधक स्थानांतरित भी हुए हैं । आगे साधकों को गुरुदेवजी के प्रत्येक वाक्य की प्रचीति भी आएगी ।

 

६. सप्तर्षि जीवनाडीपट्टिका वाचन क्रमांक १९७ (७.३.२०२२) में सप्तर्षियों ने
होनेवाले महायुद्ध एवं उससे उद्भव होनेवाली बुरी स्थिति के विषय में बताए सूत्र

रशिया द्वारा किए आक्रमण में भस्मसात युक्रेन

६.अ. युक्रेन एवं रशिया का युद्ध न्यायसंमत युद्ध न होना

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने गत अनेक वर्षाें से महायुद्ध के विषय में बताया है । हम सप्तर्षियों ने भी नाडीपट्टी में अनेक बार इसका उल्लेख किया है । अब वैसा काल समीप आ गया है । रशिया के युक्रेन पर किए आक्रमण के कारण ‘युक्रेन में अनेक लोगों को घर छोडने पडे, लाखों लोगों को अन्न नहीं मिल रहा, पीने का पानी नहीं’, ऐसा दृश्य दिख रहा है । राजनेताओं के अहंकार के कारण रशिया एवं युक्रेन में युद्ध शुरु हो गया है । यह धर्मयुद्ध अथवा न्यायसंमत युद्ध नहीं । हाथी-हाथी के साथ युद्ध करे, तो ठीक है; परंतु हाथी चींटी से युद्ध करे, तो क्या यह योग्य होगा ?

६.आ. युद्ध चरण दर चरण बढता जाएगा और भगवान के भक्तों को अधर्म के
विषय में चिढ निर्माण होगी, तब उनका धर्मसंस्थापना के कार्य में कुछ योगदान होगा

वर्तमान में रशिया एवं युक्रेन में युद्ध शुरू है । अब श्रीकृष्ण रथ पर आरूढ होकर निकले हैं । शीघ्र ही विश्व में महायुद्ध का आरंभ होनेवाला है । जग में कुछ राष्ट्रों में युद्ध शुरू हो गया है, तो कुछ राष्ट्रों में युद्धजन्य स्थिति है । युद्ध चरण दर चरण आगे बढता जाएगा । भगवान के भक्तों को अधर्म के विषय में चिढ उत्पन्न होने पर उनसे धर्म के लिए खरा कार्य, अर्थात धर्मसंस्थापना के कार्य में हाथभार लगनेवाला है ।

६.इ. विदेशों से भारतीय विदेश छोडकर भारत में आएंगे, तब विदेशों में हाहाकार मच उठेगा

भारतीय अनेक देशों में जाकर बस गए हैं । युद्ध आरंभ होने पर उन्हें भारत का महत्त्व ध्यान में आएगा । उन्हें लगने लगेगा कि ‘भारत में अपने गांव में अपना एक घर होगा तो अच्छा होगा ।’, भारतीय विदेश छोडकर भारत लौटने पर विदेशों में भी हाहाकार मच जाएगा; इसलिए कि उन देशों में भारतीय महत्त्वपूर्ण काम कर रहे हैं ।

६.ई. आर्थिक स्थिति अत्यंत बिगडना

आगे ऐसी स्थिति आएगी कि सरकारी नौकरों को वेतन देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं होंगे । इतना ही नहीं, अपितु निवृत्ति के पश्चात दिया जानेवाला निवृत्तिवेतन भी सरकार नहीं देगी । ‘प्रॉविडंट फंड’के पैसे भी नहीं मिलेंगे । सरकार के पास पैसे नहीं होंगे, तो वह लोगों को कैसे पैसे देगी ?’

– सप्तर्षि (पू. डॉ. ॐ उलगनाथन् के माध्यम से)

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