विकार दूर होने के लिए आवश्यक देवताओं के तत्त्वों के अनुसार दिए कुछ विकारों पर नामजप – २

Article also available in :

सद्गुरु (डॉ.) मुकुल गाडगीळ

‘कोई विकार दूर होने हेतु दुर्गादेवी, राम, कृष्ण, दत्त, गणपति, हनुमान एवं शिव, इन ७ मुख्य देवताओं में से कौनसे देवता का तत्त्व कितनी मात्रा में आवश्यक है ?’, यह ध्यान से खोज कर उस अनुसार मैंने कुछ विकारों पर जप बनाया है । मैंने प्रथम ऐसा जप ‘कोरोना विषाणुओं’की बाधा दूर करने के लिए ढूंढा था । उसकी परिणामकारकता ध्यान में आने पर मुझे अन्य विकारों पर भी जप ढूंढने की प्रेरणा मिली । यह जप अर्थात आवश्यकतानुसार विविध देवताओं के एकत्रित जप है । मैं ये जप साधकों को उनके विकारों पर दे रहा था । साधकों ने बताया कि उन जपों का उन्हें अच्छा लाभ हो रहा है । कुछ महीनों पूर्व कुछ विकार, उन पर जप एवं साधकों के वह जप करने पर उन्हें हुई अनुभूतियां दैनिक ‘सनातन प्रभात’ में प्रकाशित की गई थीं । अब कुछ अन्य विकार एवं उन पर जप यहां दिए हैं । ये नामजप गत ३ माह से कुछ साधकों को दिए हैं । वे उन्हें हुई अनुभूतियां शीघ्र से शीघ्र ग्रंथों के लिए लिखकर इस लेख में दिए गए इ-मेल द्वारा अथवा डाक के पते पर भेजें ।

 

विकार नामजप
१. अच्छे आरोग्य के लिए श्री गणेशाय नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।
२. रक्त की ‘सी रिएक्टिव प्रोटीन’की मात्रा बढना, छाती में कफ का संसर्ग होना और पित्त के लाल चकत्ते उभरना श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।
३. रक्त की ‘हिमोग्लोबिन’ न्यून होना श्री हनुमते नम: । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री गणेशाय नम: । श्री गणेशाय नम: । श्री गणेशाय नम: । श्री गणेशाय नम: ।
४. रक्त की ‘युरिक एसिड’ बढना श्री गणेशाय नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।
५. रक्त में बढा ‘पोटेशियम’ अधिकतम स्तर से न्यून होने हेतु श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: ।
६. गर्भाशय में गांठ (सिस्ट) होना श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।
७. ‘सायटिका’ का कष्ट (नस दब जाना) श्री दुर्गादेव्यै नम: । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।
८. शौच के गुठलीनुमा हो जाने से शौच न होना एवं उससे पेट फूलना श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय ।
९. शरीर पर सूजन आना एवं वजन बढना श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।
१०. शरीर पर फुंसियां आना श्री गुरुदेव दत्त । श्री गणेशाय नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: ।
११. केश झडना श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: ।
१२. थायरॉईड श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय ।
१३. ‘गैंगरीन’ होना श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।
१४. अलर्जी श्री गणेशाय नम: । ॐ नम: शिवाय ।
१५. पीलिया ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । श्री दुर्गादेव्यै नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री गुरुदेव दत्त ।
१६. ‘एक्जिमा’ नामक त्वचारोग ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री गुरुदेव दत्त ।श्री गुरुदेव दत्त । श्री गणेशाय नम: ।
१७. ‘सोरायसिस’ नामक त्वचारोग श्री हनुमते नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री गुरुदेव दत्त । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री गणेशाय नम: ।
१८. उष्णता से आठवें एवं नवें द्वार पर फुंसियां आना श्री गुरुदेव दत्त । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।
१९. घाव शीघ्र भरने हेतु श्री दुर्गादेव्यै नम: । श्री गणेशाय नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।
२०. अस्थिभंग (फैक्चर) शीघ्र जुडने हेतु श्री गणेशाय नम: । श्री हनुमते नम: । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।
२१. ‘एसिडिटी’ बढना श्री गणेशाय नम: । श्रीराम जय राम जय जय राम । श्री हनुमते नम: । ॐ नम: शिवाय । ॐ नम: शिवाय ।

टिप्पणी : किसी व्याधि के लिए दिया हुआ नामजप यदि उसी क्रम से किया गया, तो वह एक नामजप होगा । इस प्रकार यह नामजप नियोजित कालावधि तक निरंतर करना ।

– (सद्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, गोवा.

साधकों को यहां उल्लेख किए गए विकारों में से कोई विकार हो, तो उसे दूर करने के लिए यदि उन्हें लगे कि ‘उस संदर्भ में दिया गया नामजप करके देखें’, तो वे वह १ मास (महिना) प्रतिदिन १ घंटा प्रयोग के रूप में करके देखें ।

इस नामजप के संदर्भ में आनेवाली अनुभूति साधक [email protected] इस इ-मेल पते पर अथवा आगे दिए डाक के पते पर भेजें ।

साधकों की ये अनुभूतियां ग्रंथ में लेने की दृष्टि से, इसके साथ ही नामजप की योग्यता प्रमाणित होने के लिए भी उपयुक्त होंगी ।

डाक पता : सनातन आश्रम, २४/बी रामनाथी, बांदोडा, फोंडा, गोवा. पिनकोड ४०३४०१.

1 thought on “विकार दूर होने के लिए आवश्यक देवताओं के तत्त्वों के अनुसार दिए कुछ विकारों पर नामजप – २”

Leave a Comment