अनुक्रमणिका
१. पेशाब न होती हो
धनिया एवं गोखरू का काढा देशी घी डालकर लें ।
२. कठिनाई से पेशाब हो रही हो
मूत्रकृच्छ्र में दिए जानेवाले द्रव्य में गोखरू श्रेष्ठ द्रव्य है ।
३. पेशाब की मात्रा बढने पर
अजवाइन एवं तिल एकत्र कर लें ।
४. मूत्रमार्ग की पथरी
१. इंद्रजव चूर्ण तृणपंचमूल काढे के साथ दें ।
२. कुलथी का काढा + शरपुंख का चूर्ण २ ग्राम सैंधव डालकर पिएं ।
३. गोखरू का चूर्ण एवं शहद भेढ के दूध के साथ ७ दिन लें ।
४. कुशावलेह : कुशमुळे, कासमूळ, गन्ने का मूल, शरमूळ, खस । प्रत्येक ४०० ग्राम लेकर २० लीटर पानी में उबालकर ५ लीटर रहने तक काढा बनाएं और उसमें ककडी के बीज, सफेद कद्दू के बीज, खरबूज के बीज, मुलैठी एवं आंवला डालें ।
५. मूत्राशय के विकार, मूत्रमार्ग की पथरी एवं प्रमेहनाशक
गिलोय सत्त्व, वंशलोचन, वरुण की छाल, प्रियंगुसाल, इलायची, नागकेशर. प्रत्येक १ तोला डालकर उसका अवलेह बनाएं ।
६. मूत्राशय में सूजन सहित ज्वर आने पर
धनिया एवं सोंठ का पानी पिएं ।