अनुक्रमणिका
१. त्रिफला गुग्गुल
त्रिफला
फोडा, नाडीव्रण, गंडमाळा.(गलगंड, लसिका ग्रंथी का रोग (goitre), भगंदर, सूज, गुल्म एवं बवासीर के मस्से – त्रिफला गुग्गुल
२.अग्निमुख चूर्ण !
कुष्ठ ८ भाग, चित्रक ७, हिरडा ६, अजवायन ५, कपूरकचरी ४, पिंपली ३, वेखंड २, हींग १ भाग चूर्ण डोस ४ ग्राम
पेट फूलना, अजीर्ण, पेद दर्द, दांतों में वेदना, खांसी, दमा
३. बच्छनाग (वत्सनाभ) पानी में घिसकर उसका लेप दें ।
कफ, गठिया, आमवात, सायटिका, सिरदर्द, सूजन, ज्वर, त्वचारोग
४. गिलोय
गिलोय
गिलोय का रस, सोंठ का काढा, मनुका का काढा अथवा मुलैठी के काढे सहित लें ।
वातरक्त, गठिया अथवा आमवात
५. खजूर अथवा छुआरा
मूर्छा, सायटिका, भ्रम, क्षय, ज्वर, कृशता, अतिसार (जुलाब), खांसी, रक्तपित्त एवं हृदय की दुबर्लता
६. पुदिने का रस एवं अदरक का रस, प्रत्येक १ चम्मच सैंधव नमक डालकर पिएं ।
अतिसार (जुलाब), पेट दर्द, खांसी
७. आमहलदी
आमहलदी
कफ, व्रण (जखम), खांसी, दमा, हिचकी, ज्वर, शूल (पेटदर्द), खाज-खुजली, दाद (स्केबीज), मुखरोग एवं रक्तदोषों पर उपयोगी
८. कुष्ठादी तेल
कुष्ठ, हिंग, वेखंड, देवदारू, सौंफ, सोंठ, सैंधव समभाग चूर्ण का १ भाग, तेल ४ भाग एवं बकरी का मूत्र १६ भाग, इसे औटाकर तेल तैयार करें ।
कानों में वेदना होने पर, पक्षाघात, कंपवात (Parkinson’s disease), सायटिका
९. सफेद कद्दू (कूष्मांड)
सफेद कद्दू (कूष्मांड)
मानसरोग, मनोदौर्बल्य, स्मरणशक्ति कम होना, पेशाब कम होना, पेशाब में जलन होना, अपस्मार (मिर्गी), पीलिया (jaundice) आम्लपित्त (अम्लता), उन्माद (anxiety)
१०. भूनिबादिक्वाथ काढा !
काडेचिराईता, कुटकी, अडुसा, कडवा चिचडा, नीम, चंदन एवं त्रिफला का काढा बनाएं । ३० से ६० मिलीलीटर दो बार दें ।
पित्तज्वर, विषमज्वर, आम्लपित्त, खाज-खुजली एवं त्वचाविकार