सौंदर्यवृद्धि के लिए आयुर्वेद

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१. टक्कल पडना (चाई)

  • इंद्रलुप्त (चाई) अथवा टक्कल : कडवे चिचडे के पत्तों के रस से मालिश करें ।
  • गुंजे (रक्ती) की जडें भिलावा के रस में घिसकर लेप लगाएं ।
  •  गुंजा शहद अगर घी में घिसकर लगाएं ।
  •  गुंजा, हस्तिदंत की राख एवं रसांजन का लेप लगाएं ।
  •  जास्वंद के फूल गोमूत्र में पीसकर लगाएं अथवा जास्वंद के फूल अथवा पत्तों को पीसकर तैयार किया गया लेप लगाएं ।
  •  मुलैठी, गुंजा, मनुका, तिल का तेल एवं बकरी का दूध एकत्र कर, उसका लेप टक्कल पर लगाएं ।

 

२. पसीना आना

अ. पसीने में दुर्गंध आ रही हो

कुष्ठ चूर्ण, जामुन के पत्ते एवं अर्जुन की छाल को कपडे से छानकर, संपूर्ण शरीर पर मालिश करें ।

आ. अधिक पसीना आ रहा हो

कुल्थी दाल का आटा संपूर्ण शरीर पर मलें ।

इ. पसीना आना बंद होने पर

भुने हुए चने, अजवायन एवं वेखंड का चूर्ण संपूर्ण शरीर पर मलें ।

 

३. केश पकना, त्वचा पर झुर्रियां पडना एवं वृद्धावस्था शीघ्र न आए, इस हेतु उपयोगी रसायन

अश्वगंधा

 

४. मुहासे

  • अर्जुन की छाल दूध में पीसकर लेप लगाएं ।
  • पुरानी तिल की पेंड गोमूत्र में मिलाकर  कालवून लेप लगाएं ।
  • मुहांसों में मवाद आ जाने पर आमहलदी गीली करके लगाने से वह धीरे से बाहर निकल जाता है ।
  • जायफल घिस कर लगाएं ।

 

५. मुखदुर्गंध

  • केशर का बीडा मुंह में रखने से दुर्गंध का नाश होता है ।

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