घर के घर ही में धनिया और पुदीना का रोपण

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श्री. राजन लोहगांवकर

 

१. धनिया

अ. धनिया बोने की विविध पद्धतियां

‘धनिया भले ही बीजों से होता है, तब भी इन बीजों को हमें किसी रोपवाटिका से खरीद कर लाने की आवश्यकता नहीं होती । अपनी रसोई में ही ये बीज होते हैं । धनिया बोने की विविध पद्धतियां हैं । कोई उसे चप्पल से अथवा कोई बेलन से रगड कर, उसे दो भाग में विभाजित करने के पश्चात बोता है, तो कोई साबुत ही बोता है । कोई विभाजित अथवा साबुत धनिया १० से १२ घंटे पानी में भिगोकर फिर बोते हैं, तो कोई सूखा ही बोता है । जिसे जिस पद्धति में सफलता मिली थी, वही उसके लिए योग्य पद्धति, अर्थात इसके लिए एक ही ऐसी पद्धति योग्य है’, ऐसा कुछ नहीं; परंतु सर्वसाधारणत: धनिया हलके ही रगडकर उसके दो भाग करने से उसके दो भाग करके ही बोए जाते हैंं । रगडते समय केवल यह ध्यान रहे कि अधिक जोर लगाने से बीज को हानि हो ।

१ आ. धनिया रोपण

धनिया की जडें मिट्टी में बहुत नीचे नहीं जाती । इसलिए ६ इंच गहरा गमला अथवा खोका, जो भी उपलब्ध हो पर्याप्त है । जिसमें आप धनिया का रोपण करनेवाले हैं, उसमें अधिक पानी बह जाने की सुविधा कर लें । ऊपर दो से ढाई इंच जगह छोडकर गमला पॉटिंग मिक्स से (जैविक खाद डाली हुई मिट्टी से) भर लें । (टिप्पणी) गमला भरने के पश्चात थोडा पानी बह जाने के पश्चात पूरी मिट्टी गीली करें । यह गमला १ दिन वैसे ही रखें । अगले दिन ध्यानपूर्वक दो भाग किया हुआ धनिया समतल किए हुए पृष्ठभाग पर भली-भांति फैला दें । कतार बनानी हो, तो कतार में अथवा पूरे गमले भर में जैसे चाहिए वैसे धनिया फैला दें । उस पर आधे से पौन इंच की पॉटिंग मिक्स की सतह देकर सब धनिया ढक दें । संभव हो, तो टोंटीदार पात्र से पानी दें । धनिया पर से मिट्टी न हटे, इसका ध्यान रखें । मिट्टी में सदा नमी बनी रहे, इसका ध्यान रखें । सूखी लगी तो पानी डालें । वह भी टोंटीदार पात्र से ही । धनिया लगने और अंकुरित होने में समय लगता है । कभी-कभी १५ से २० दिन भी लगते हैं । इसलिए तब धैर्य रखें । इस काल में मिट्टी में नमी बनी रहे, केवल इतना ध्यान रखें ।

(टिप्पणी – ‘पॉटिंग मिक्स’के स्थान पर प्राकृतिक पद्धति से जीवामृत का उपयोग कर पत्ते एवं घासफूस को गलाकर बनी ह्यूमस भी (उर्वर मिट्टी भी) उपयोग की जा सकती है । – संकलक)

१ इ. वर्षा में बागवानी करते समय ध्यान में रखने योग्य सूत्र

वर्षा अधिक हो, तब उस काल में धनिया आने में समय लगता है । इस काल में सूर्य के दर्शन भी नहीं होते और हवा भी तेज चलती है । इससे धनिया के पौधे आ जाने पर भी वे आडे गिर जाते हैं । इसलिए वर्षा में धनिया रोपण का प्रयत्न करने में कोई हानि नहीं । हां, यदि असफलता मिली तब मौसम बदलते ही अथवा वर्षा ऋतु कम होते ही पुन: प्रयत्न करें ।

१ ई. रोपण के उपरांत का व्यवस्थापन

अंकुर आने पर नियमित पानी दें । ‘पॉटिंग मिक्स’में जितनी खाद डाली है, उतनी पर्याप्त होती है; परंतु यदि लगे ही तो ‘कंपोस्ट टी (एकप्रकार की जैविक खाद)’, जीवामृत इत्यादि जो कुछ भी संभव है, वह संभवत: द्रव स्वरूप में दें । गोबर अथवा गोबर की ‘स्लरी (पतला घोल)’ नहीं । अंकुर ऊपर आने से ३ – ४ सप्ताह में गमला भली-भांति भर आएगा । प्रतिदिन आवश्यक उतना धनिया खोट लें । नए पत्ते आते रहेंगे । ऐसे ३ – ४ बार होने पर फूल आने लगेंगे । फूल आने आरंभ होना अर्थात पौधों का निर्धारित कार्य पूर्ण होने का समय आ गया है । बाद में जैसे चाहें पौधों को अपना जीवनकाल पूरा करने दें । फूलों से ही फल, अर्थात धनिया तैयार होगा । पूर्ण तैयार हुआ धनिया अगले रोपण के लिए थोडा अलग रखकर शेष रसोईघर में रोज के उपयोग के लिए ले सकते हैं । तदुपरांत सभी पौधे निकालकर कंपोस्ट में डालें । मिट्टी भली-भांति खुली कर लें । २ – ३ दिन वैसे ही खुली रखकर फिर ही उपयोग में लें; परंतु इसी मिट्टी में धनिया लगाना टालें । धनिया पर बहुत कीडे नहीं लगते । इसलिए इस पर कीटकनाशकों का छिडकाव इत्यादि कुछ करने की आवश्यकता नहीं होती ।

 

२. पुदीना

२ अ. समसे सरल है पुदिना का रोपण

पुदिना समान सरल फसल कोई नहीं । गमले में यह फसल लेना अत्यंत सरल है । मैं तो कहूंगा कि यह काम घर के छोटे बच्चों को दें । इससे उनमें बागवानी में रुचि भी निर्माण होगी । पुदीना रोपण में सफलता मिलने की संभावना ९९ प्रतिशत से भी अधिक है । इसका परिणाम ८ से १० दिनों में ही दिखाई देने लगता है । इसलिए नए सीखनेवालों को बागवानी में रस निर्माण होने के लिए वे पुदीना रोपण से आरंभ कर सकते हैं ।

२ आ. रोपण के लिए योग्य पुदिना की डंडिया चुनना

पुदिना के बीज रोपवाटिका में मिलते हैं, तब भी खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं । बाजार से जब हम पुदिना का गुच्छ लाते हैं, तब उसमें से ही बॉलपेन की रिफिल अथवा उदबत्ती की मोटाई जितने मटमैले रंग की डंडिया अलग निकाल कर रख दें । उसके बडे पत्ते निकाल दें । ऐसी डंडियों पर निचले भाग के पत्ते कडे हो चुके होते हैं । क्वचित प्रसंगों में कीडे हो जाने से पत्तों पर छिद्र भी होते हैं । ऐसे पत्ते निकालकर फेंक दें । सिरे के छोटे पत्ते इन डंडियों पर वैसे ही रहने दें ।

२ इ. पुदीना खेती के २ पर्याय

अब हमारे सामने दो पर्याय होंगे । एक तो इन डंडियों को गिलास में लेकर उन पर सीधे धूप न पडे, परंतु सूर्यप्रकाश मिले, ऐसे स्थान पर रखें । एक दिन छोड पानी बदलें । डंडियों को संभवत: धक्का न लगे, अर्थात डंडियों की गठ्ठी हाथ में रखकर गिलास आडा कर, पानी निकाल दें और हलके हाथों से गिलास में पुन: पानी डालें । ५ – ६ दिनों में डंडियों के सिरे पर नन्हें पत्ते दिखाई देने लगेंगे और गिलास में जो डंडियों का दूसरा सिरा है उसमें छोटी-छोटी सफेद जडें दिखाई देने लगेंगी । ये छोटे पौधे अब गमले में लगाएं । दूसरा पर्याय है चुनी हुई डंडियां अर्थात चुनकर एक ओर रखी डंडियां सीधे मिट्टी में खोंस दें । शेष काम डंडियां और मिट्टी एकदूसरे की सहायता से करेंगे ।

२ ई. गमले का योग्य आकार

पुदिना के पौधों की जडें बहुत गहरी नहीं जाती । इसलिए लगभग ६ इंच गहरा गमले काफी होता है । पुदीना वर्षा में आंगन में उगनेवाली घास समान आडा फैलता है इसलिए गमले का व्यास अधिक होना श्रेयस्कर है । अत: गमले के स्थान पर फैला हुआ टब इत्यादि लेना श्रेयस्कर होगा ।

२ उ. गमले में डंडी खोंसने की पद्धति

गमला सदा की भांति ‘पॉटींग मिक्स’से भरकर व्यवस्थित उस पर छिडकाव कर लें । उसमें जडें निकली हुई डंडियां अथवा दूसरा पर्याय चुननेवाले हैं, तो डंडियां उंगली से गढ्ढा करके उनमें खोंसें । नवीन पल्लव अधिक और शीघ्र आने के लिए मिट्टी की सतह पर ४५ अंश के कोन में तिरछी खोंसें । ऐसे समय पर डंडी का आधा भाग मिट्टी में जाने दें । ऐसा करने से अधिक जडें आती हैं और नए पत्ते आने से पुदीना अधिक मात्रा में मिलेगा ।

२ ऊ. पानी और अन्य व्यवस्थापन

मिट्टी सूखी लगे तो ‘स्प्रे’ से पानी देते रहें । लगभग १ से सवा माह में गमला भर जाएगा । हमारी आवश्यकतानुसार पुदिना के पत्ते खोट लें । यदि संभव हो, तो ऊपर के सिरे काट लें । ऐसा करने से नए-नए पत्ते आते रहेंगे ।’

– श्री. राजन लोहगांवकर, टिटवाळा

 

३. हरा धनिया और पुदीना के रोपण के प्रात्यक्षिक –  video

(रोपण कैसे करें , यह समझने के लिए यूट्यूब पर कुछ वीडियो के अंश पाठकों की सुविधा के लिए यहां दे रहे हैं । इस वीडियो में कुछ भाग उपरोक्त लेख में दी हुई जानकारी से भिन्न हो सकता है । इसे पाठक ध्यान में लें ।)

३ अ. हरा धनिया रोपण –  video

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