रामनवमी पूजाविधि

Article also available in :

श्रीराम की पूजा करते समय

१. प्रभु श्रीराम का जन्म माध्यान्हकाल अर्थात दो. १२ बजे मनाया जाता है ।

२. प्रभु श्रीराम की मूर्ति की अथवा प्रतिमा, हमें जो भी संभव हो, उसका पंचोपचार अथवा षोडशोपचार पूजन करें ।

३. दोपहर १२ बजे शंखनाद कर ‘प्रभु श्रीरामचंद्र की जय ! ऐसा जयघोष करें और तदुपरांत श्रीराम का झूलागीत लगाएं । (महाराष्ट्र में रामनवमी पर भगवान राम अथवा भगवान कृष्ण पर जन्म पर विशेष झूलागीत लगाने की प्रथा है । इसे ‘पालना’ कहते हैं ।)

४. झूलागीत होने के पश्चात पूजन प्रारंभ करें ।

५. नैवेद्य अर्थात भोग में सोंठ और शक्कर का एकत्रित मिश्रण रख सकते हैं । तदुपरांत उसे प्रसादरूप में सभी में बांटें ।

६. श्रीराम के लिए तुलसी और चंपा के फूलों का हार बनाएं ।

७. पूजन के उपरांत श्रीराम की आरती करें ।

 

पूजा की तैयारी

१. बर्तन

आचमन की सामग्री (तांबे का पूर्ण पात्र, पंचपात्री (छोटे गिलास जैसा पात्र), कलश (लोटा), आचमनी) निरांजन, पूजा की थाली, समई, समई के नीचे रखी जानेवाली छोटी-सी थाली, उदबत्तीदानी और उसके नीचे छोटी थाली, घंटी ।

२. अन्य साहित्य

अक्षता, हलदी-कुंकू, सुपारियां, पान के पत्ते – ५, छुट्टे पैसे, तुलसी, उदबत्ती, फूलबाती एवं समई की वाती, माचिस, गंध, नारियल, फूलों की अथवा तुलसी की माला (एकत्रित), बैठने के लिए पाट, फल, सोंठ का नैवेद्य, रंगोली ।

३. पूजक की तैयारी

पूजक शुचिर्भूत वस्त्र परिधान करे और उपरण अपने बाएं कंधे पर भली-भांति तह कर ठीक से ले । पूजक पूजा के लिए आते समय हाथ पोछने के लिए अपने साथ एक कपडा लाए ।

 

पूजा का स्वरूप

आचमन

पूजक भगवान को हाथ जोडकर प्रणाम करे । तत्पश्चात प्रार्थना कर पूजा आरंभ करे ।

आगे दिए ३ नामों का उच्चारण करने पर प्रत्येक नाम के अंत में बाएं हाथ की आचमनी से दाएं हाथ पर पानी लेकर पिए ।

१. श्री केशवाय नमः ।

२. श्री नारायणाय नमः ।

३. श्री माधवाय नमः ।

४. ‘श्री गोविंदाय नमः’ का उच्चारण कर हथेली पर पानी लेकर ताम्रपात्र में छोडे ।

अब आगे के नामों का क्रमानुसार उच्चारण करे । –

५. विष्णवे नमः ।, ६. मधुसूदनाय नमः ।, ७. त्रिविक्रमाय नमः ।, ८. वामनाय नमः ।, ९. श्रीधराय नमः ।, १०. हृषीकेशाय नमः ।, ११. पद्मनाभाय नमः ।, १२. दामोदराय नमः ।, १३. संकर्षणाय नमः ।, १४. वासुदेवाय नमः ।, १५. प्रद्मुम्नाय नमः ।, १६. अनिरुद्धाय नमः ।, १७. पुरुषोत्तमाय नमः ।, १८. अधोक्षजाय नमः ।, १९. नारसिंहाय नमः ।, २०. अच्युताय नमः ।, २१. जनार्दनाय नमः ।, २२. उपेंद्राय नमः ।, २३. हरये नमः ।, २४. श्रीकृष्णाय नमः।

पुन: एक बार आचमन करें ।

पूजक स्वयं को कुंकू लगाए । तदुपरांत हाथ जोडकर शांत मन से आगे दिए देवताओं का स्मरण करे !

देवताओं का स्मरण

श्रीमन्महागणाधिपतये नमः । (गणों के नायक श्री गणपति को मैं नमस्कार करता हूं ।) इष्टदेवताभ्यो नमः । (मेरे आराध्य देवता को मैं नमस्कार करता हूं।)

कुलदेवताभ्यो नमः । (कुलदेवता को मैं नमस्कार करता हूं ।)

ग्रामदेवताभ्यो नमः । (ग्रामदेवता को मैं नमस्कार करता हूं ।)

स्थानदेवताभ्यो नमः । (यहां के स्थान देवता को मैं नमस्कार करता हूं ।)

वास्तुदेवताभ्यो नमः । यहां के वास्तुदेवता को मैं नमस्कार करता हूं ।)

आदित्यादिनवग्रहदेवताभ्यो नमः । सूर्यादि नौ ग्रहदेवताओं को मैं नमस्कार करता हूं ।)

सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः । (सर्व देवताओं को मैं नमस्कार करता हूं ।)

सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः । (सर्व ब्राह्मणों को (ब्रह्म जाननेवालों को) मैं नमस्कार करता हूं ।)

अविघ्नमस्तु । (सर्व संकटों का नाश हो ।)

अपनी आंखों पर पानी लगाकर आगे दिया देशकाल बोलें ।

देशकाल

श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य ब्रह्मणो द्वितीये परार्धे विष्णुपदे श्रीश्‍वेत-वाराहकल्पे वैवस्वत मन्वंतरे अष्टाविंशति-तमे युगे युगचतुष्के कलियुगे प्रथम चरणे जंबुद्वीपे भरतवर्षे भरतखंडे दक्षिणापथे राम क्षेत्रे बौद्धावतारे आर्यावर्तदेशे अस्मिन्वर्तमाने व्यावहारिके क्रोधी नाम संवत्सरे, उत्तरायणे, वसंतऋतौ, चैत्रमासे, शुक्लपक्षे, नवम्यां तिथौ, बुध वासरे, आश्लेषा दिवस नक्षत्रे, शूल योगे, कौलव करणे, कर्क स्थिते वर्तमाने श्रीचंद्रे, मेष स्थिते वर्तमाने श्रीसूर्ये, मेष स्थिते वर्तमाने श्रीदेवगुरौ, कुंभ स्थिते वर्तमाने श्रीशनैश्‍चरे, शेषेषु सर्वग्रहेषु यथायथं राशिस्थानानि स्थितेषु एवं ग्रह गुणविशेषेण विशिष्टायां शुभपुण्यतिथौ.

(जिन्हें उपरोक्त देशकाल कहना कठिन हो रहा हो, वे आगे दिया श्लोक बोलें ।)

तिथीर्गुरुस्तथा वारं नक्षत्रं गुरुरेवच ।
योगश्च करणं चैव सर्वं गुरुमयंजगत् ॥

ह (दायें हाथ में अक्षत लेकर आगे दिया संकल्प बोलें ।)

संकल्प : मम आत्मनः श्रुति-स्मृति-पुराणोक्त-फल-प्राप्त्यर्थं श्री परमेश्वरप्रीत्यर्थम् अद्य दिने श्रीरामनवमीनिमित्तेन अस्माकं सकुटुंबानां सपरिवाराणां क्षेमस्थैर्य-आयुः-आरोग्य-ऐश्वय-अभिवृद्धिपूर्वकं प्रभु श्रीरामचंद्रदेवता-अखंड-कृपाप्रसाद-सिद्ध्यर्थं गंधादिपंचोपचारैः पूजनम् अहं करिष्ये ॥ तत्रादौ निर्विघ्नता सिद्ध्यर्थं गंधादि पंचोपचारैः पूजनम् अहं करिष्ये ॥ तत्रादौ निर्विघ्नता सिद्ध्यर्थं महागणपतिस्मरणं करिष्ये ॥ शरीरशुद्ध्यर्थं दशवारं विष्णुस्मरणं करिष्ये ॥ कलश-घंटा-दीप-पूजनं करिष्ये ॥

(‘करिष्ये’ बोलने के पश्चात प्रत्येक बार बाएं हाथ से आचमनी भरकर पानी दाएं हाथ पर छोडें ।

श्रीगणेशस्मरण

वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

श्री गणेशाय नम: चिंतयामि ।

श्रीविष्णुस्मरण

‘विष्णवे नमो’ ऐसे ९ बार बोलें और दसवीं बार ‘विष्णवे नमः’ बोलें ।

कलशपूजन

कलशदेवताभ्यो नमः । कलशदेवता को नमस्कार करता हूं ।)

सर्वोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पं समर्पयामि ॥ (सर्व पूजा के लिए चंदन, फूल और अक्षत अर्पण करता हूं ।)

(कलश पर चंदन, फूल और अक्षत चढाएं ।)

घंटापूजन

घंटिकायै नमः । (घंटी को नमस्कार हो ।)

सर्वोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पं समर्पयामि । (सर्व पूजा के लिए चंदन, फूल और अक्षत अर्पण करता हूं ।)

(घंटी को चंदन, फूल और अक्षत चढाएं ।)

दीपपूजन

दीपदेवताभ्यो नमः । (दीपक देवता को नमस्कार करता हूं ।)

सर्वोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पं समर्पयामि ।(सर्व पूजा के लिए चंदन, फूल और अक्षत अर्पण करता हूं ।)

(समई को चंदन, फूल और अक्षत चढाएं ।)

पूजा स्थलशुद्धि

दाएं हाथ में तुलसीपत्र लें । उस पर आचमनी से पानी डालें और वह पानी ‘पुंडरिकाक्षाय नमः ।’ कहते हुए तुलसीपत्र से पूजासामग्री तथा अपनी देह पर प्रोक्षण करें ।)

तुलसीपत्र लोटे में छोड दें ।

हाथ जोडकर आगे दिया श्लोक बोलें –

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।

रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । ध्यायामि ॥

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । आवाहयामि ॥ (अक्षता चढाएं ।)

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । विलेपनार्थे चंदनं समर्पयामि ॥ (गंध लगाएं ।)

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । हरिद्रा-कुंकुमं समर्पयामि ॥ (हलदी-कुंकू चढाएं ।)

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । अलंकारार्थे अक्षतान् समर्पयामि ॥ (अक्षता चढाएं ।)

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । पुष्पं समर्पयामि ॥ (पुष्प चढाएं ।)

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । तुलसीपत्रं समर्पयामि ॥ (तुलसी चढाएं ।)

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । धूपं समर्पयामि ॥ (उदबत्ती दिखाएं ।)

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । दीपं समर्पयामि ॥ (दीप से आरती उतारें ।)

दाएं हाथ में दो तुलसीपत्र लें । तदुपरांत आचमनी से जल डालें और वह पानी सामने रखे नैवेद्य पर प्रोक्षण करें । एक तुलसीपत्र नैवेद्य पर रखें ।

दूसरा तुलसीपत्र उसीप्रकार दाएं हाथ में रखें और बायां हाथ अपनी छाती पर रखकर आगे दिया मंत्र बोलें –

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । पुरतस्थापित खाद्योपहार नैवेद्यं निवेदयामि ।

ॐ प्राणाय स्वाहा । ॐ अपानाय स्वाहा । ॐ व्यानाय स्वाहा ।

ॐ उदानाय स्वाहा । ॐ समानाय स्वाहा । ॐ ब्रह्मणे स्वाहा ।

मंत्रों द्वारा नैवेद्य दिखाएं । आगे दिए मंत्रों द्वारा अनुक्रम पान का बीडा और नारियल एवं फलों पर पानी छोडें ।

प्रभु श्री रामचंद्राय नमः । मुखवासार्थे पूगीफलतांबूलं समपर्यामि । फलार्थे नारिकेलफलं समपर्यामि ।

प्रार्थना

आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम् । पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर ॥ हे परमेश्वर, मैं नहीं जानता कि ‘आपका आवाहन कैसे करूं, आपकी उपासना कैसे करूं, आपकी पूजा कैसे करूं । आप मुझे क्षमा करें ।)

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर । यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ।
(हे देवेश्वर, मंत्र, क्रिया अथवा भक्ति नहीं है, ऐसा मैं हूं तथा मेरी यह पूजा आप परिपूर्ण मान लीजिए । )

रूपं देहि जयं देहि यशा देहि द्विषा जहि । पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे ॥

कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।

करोमि यद्यत् सकलं परस्मै नारायणायेति समर्पयामि ॥ (हे गुरुदेव, शरीर से, वाणी से, मन से, (अन्य) इंद्रियों से, बुद्धि से, आत्मा से अथवा प्रकृतिस्वभावानुसार मैं जो जो करता हूं, वह मैं आपको अर्पण कर रहा हूं ।)
(यह कहकर दाएं हाथ में अक्षत लेकर आगे दिया मंत्र बोलें और प्रीयताम् कहते हुए पानी डालकर लोटे में डालें ।

अनेन कृत पूजनेन प्रभु श्री रामचंद्रदेवता प्रीयताम् ॥ (किए गए इस पूजन से सद्गुरु प्रसन्न हों ।)

तदुपरांत आरंभ में बताए अनुसार आचमन करें और कृतज्ञता व्यक्त करें ।

1 thought on “रामनवमी पूजाविधि”

Leave a Comment