माता-भगिनियों का शौर्य जागृत होने के उपरांत ही वास्तविक रूप से महिला
सबलीकरण होगा ! – सद्गुरु (सुश्री) स्वाती खाडये, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था.
मुंबई – देश में महिलाओं पर बढते अत्याचारों के पीछे विविध कारण हैं । इनमें चलचित्रों के माध्यम से प्रसारित हो रही वासनांधता और अश्लीलता यह एक प्रमुख कारण है । वर्ष 2021 इस एक वर्ष में महिलाओं पर अत्याचार की 31 सहस्र घटनाएं घटी हैं । अर्थात प्रतिदिन 84 अत्याचार की घटनाएं घटी हैं । यह अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण है । भारत को वीर, लडाकू क्रांतिकारी महिलाओं की बडी धरोहर मिली है । हमारी माता-भगिनियों का शौर्य जागृत होने के उपरांत ही वास्तविक रूप से महिला सबलीकरण हो सकता है । शौर्यजागरण के लिए और महिलाओं पर होनेवाले अत्याचारों को रोकने के लिए अब महिलाओं को स्वयं प्रशिक्षण लेकर स्वरक्षा के लिए सक्षम बनना चाहिए, ऐसा आवाहन सनातन संस्था की धर्मप्रसारक संत सद्गुरु (सुश्री) स्वाती खाडये ने किया । सनातन संस्था द्वारा महिला दिन के निमित्त ‘महिलाओं का सबलीकरण हो और भारतीय संस्कृति में महिलाओं का श्रेष्ठत्व पुनर्स्थापित हो’, इस उद्देश्य से जागृति करने के लिए आयोजित किए गए ‘जागर स्त्रीशक्ति का’ इस ‘ऑनलाइन’ व्याख्यान में वे बोल रही थीं । यह कार्यक्रम सनातन संस्था के ‘यू-ट्यूब’ चैनल द्वारा 13 सहस्र से अधिक दर्शकों ने देखा ।
सद्गुरु (सुश्री) स्वाती खाडयेजी ने आगे कहा कि, छत्रपति शहाजीराजे की अनुपस्थिति में राजमाता जिजाऊ ने पूर्ण राज्यकारोबार देखा और छत्रपति शिवाजी महाराज पर ‘हिन्दवी स्वराज्य’ निर्मिति के संस्कार किए । यदि घर-घर में राजमाता जिजाऊ का निर्माण हुआ, तो उनके गर्भ से घर-घर में शिवाजी महाराज का ही जन्म होगा । धर्माचरण के संबंध में मार्गदर्शन करते हुए उन्होेंने कहा कि, मस्तक पर कुमकुम लगाने से आज्ञाचक्र में स्थित दुर्गादेवी का तत्त्व जागृत होता है । सात्त्विक वस्त्र परिधान करने से आध्यात्मिक सुरक्षा कवच निर्माण होता है, ऐसा शास्त्र कहता है । धर्माचरण कर दुर्गातत्त्व तथा आध्यात्मिक शक्ति का लाभ उठाएं । भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सार्थ अभिमान रखें !
इस कार्यक्रम को दर्शकों का उर्त्स्फूत प्रतिसाद मिला । सहस्त्रों महिलाओं ने ‘व्याख्यान अत्यधिक प्रेरणादायी था’, ‘ऐसे व्याख्यान बार-बार होने चाहिए’, ऐसे कमेंट्स कमेंट्स बॉक्स में किए ।
आपका नम्र,
श्री. चेतन राजहंस,
राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था.