‘विश्व में घडनेवाली घटनाएं ईश्वरीय नियोजनानुसार घटित होती हैं । यह ईश्वरीय नियोजन संतों की समझ में आता है एवं कुछ स्थूूल-सूक्ष्म अनुमानों के आधार पर भविष्यवक्ता भी समझते हैं । उसके अनुसार वे भविष्य बताते हैं । सबकुछ भगवान के नियोजनानुसार भले ही होता हो, तब भी भगवान ने मानव के क्रियमाण के लिए कुछ भाग आरक्षित किया है । यदि मानव अपने क्रियमाण का अच्छे कार्यों के लिए उपयोग करता है, तो कई बार अनबन टल जाती है, उदा. समाज के साधना करने से सात्त्विकता बढती है एवं तमगुण न्यून होकर इससे होनेवाले दुष्परिणाम अपनेआप टलते हैं ।
कुछ वर्षों से अनेक संत और भविष्यवक्ताओं ने कहा था, ‘वर्ष २०२३ तक हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ।’ वर्तमान विश्व की स्थिति को देखें, तो गत कुछ वर्षों से विश्व तृतीय विश्वयुद्ध के द्वार पर खडा है । कभी भी युद्ध होकर अनेक देश उद़्ध्वस्त (विनाश) हो सकते हैं । ऐसा भले ही हो, तब भी अनेक संत यह नरसंहार टालने के लिए आध्यात्मिक स्तर पर प्रयास कर रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं । इसकी स्थूल में से प्रतीति इस प्रकार है – ‘गत ३ – ४ वर्षों में अनेक देशों में युद्धजन्य स्थिति निर्मित होकर वह शांत हो गई है ।’ इसी कारण वर्तमान काल में आनेवाला आपातकाल भी कुछ समयावधि के लिए थोडा आगे गया है । वर्ष २०२५ तक हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी ।
पूर्वानुमान से संतों ने बताया हुआ आपातकाल भले ही आगे गया हो, तब भी उसका आरंभ कभी भी हो सकता है । कोरोना जैसी महामारी के माध्यम से हमने इसका अनुभव लिया ही है । तीसरे विश्वयुद्ध का आरंभ कभी भी हो सकता है । इसलिए साधक आपातकाल की तैयारी जारी रखें ।’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था. (१.१२.२०२१)