सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस
१. आक्षेप : कुछ विरोधक ऐसी टीका-टिप्पणी कर रहे हैं कि ‘सनातन समाज में तीसरे महायुद्ध के संदर्भ में बताकर भय निर्माण कर रही है, ऐसी अवैज्ञानिक जानकारी मत फैलाएं ।’
खंडन : ऐसी टिप्पणी से यह ध्यान में आता है कि उन्होंने इस स्तंभ को प्रकाशित करने का मुख्य उद्देश्य ही समझकर नहीं लिया है । स्थूलरूप से देखा जाए तो शहरों में अपार भीड-भाड के कारण निर्माण हुई समस्याएं, वर्तमान में कोरोना संसर्ग का संकट, विश्व के विविध देशों में बढता तनाव, भारत की चीन और पाकिस्तान के साथ निर्माण हुई युद्धजन्य स्थिति, इन सभी बातों से ध्यान में आता है कि भविष्य में बडे शहरों को अनेक संकटों का सामना करना पड सकता है । इतना ही नहीं, अनेक संतों और नॉस्ट्रॅडॅमस जैसे भविष्यवेत्ता ने भी भावी आपत्काल के विषय में बार-बार बताकर मानवजाति को सतर्क किया है । इन सर्व संकटों में साधक सुरक्षित रहें, इसलिए सनातन संस्था ने आपत्काल की पूर्वतैयारी के संदर्भ में सूचना दी है । ये सभी सूचनाएं पूर्णत: ऐच्छिक हैं । इसमें सनातन संस्था का किसी से आग्रह नहीं है ।
२. आक्षेप : कुछ लोगों ने प्रश्न किया है, ‘सनातन संस्था एक ओर कह रही है कि आपत्काल आएगा और साथ ही ध्वनिचित्रीकरण के उपकरण अर्पण देने का भी आवाहन करती है, ऐसा कैसे ?’
खंडन : कोरोना महामारी, आर्थिक महामंदी और सीमा पर युद्धजन्य स्थिति, ये आपत्काल के लक्षण हम आज अनुभव कर रहे हैं । अर्थात आपत्काल आ ही गया है । जब तक इस आपत्काल की तीव्रता नहीं बढती, तब तक अध्यात्मप्रसार करने का अवसर है । अध्यात्मप्रसार करना, यह सनातन संस्था का मुख्य कार्य है । कोरोना के संकट के कारण ‘ऑनलाईन’के माध्यम से अध्यात्मप्रसार वेग से हो रहा है । इसमें ऑनलाईन सत्संग, चर्चासत्र, हिन्दू अधिवेशन, शिविर निरंतर चल रहे हैं । यह कार्य तब तक चलता रहेगा, जब तक आपत्काल की तीव्रता बढती नहीं । इसलिए इन वस्तुओं की शीघ्र आवश्यकता होने के कारण सनातन संस्था ने अर्पण करने का आवाहन किया है ।’