अनुक्रमणिका
- १. वृक्षारोपण करते समय यजुर्वेद की ऋचा कहना
- २. बाग अथवा वृक्षारोपण करने के लिए शुभ नक्षत्र
- ३. वृक्षारोपण के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण सूचना
- ४. किस दिशा में पौधे लगाएं ?
- ५. घर के समीप कौन-सी बेल अथवा वृक्ष लगाएं ?
- ६. किसी भी दिशा में कौन-से पेड न लगाएं और लगाने से उससे होनेवाले दुष्परिणाम
- ७. वृक्ष कब काटें ?
- ८. कोई भी वृक्ष यदि काटना हो तो क्या करें ?
१. वृक्षारोपण करते समय यजुर्वेद की ऋचा कहना
अपो देवीरुपसृज मधुमतीः, अयक्ष्माय प्रजाभ्य: ।
तासाम् आस्थानात् उज्जिहताम्, ओषधय: सुपिप्पला: ॥
– यजुर्वेद, अध्याय ११, कण्डिका ३८
अर्थ : हे अग्निदेवता, सभी निरोगी हों, इस हेतु आप आरोग्यदायी जलदेवता को लेकर आएं । जलदेवता द्वारा सींचित इस भूमि से फल-फूलों से समृद्ध वनस्पति उगने दें, ऐसी आपके चरणों में प्रार्थना है । वृक्षारोपण करते समय यजुर्वेद की यह ऋचा मनःपूर्वक कहने से वह वृक्ष दीर्घायुषी एवं फलसमृद्ध होता है । वृक्षारोपण करने के लिए किए गए गढ्ढे में मंत्रोच्चार सहित पानी प्रोक्षण करें । वृक्ष की जडें और उनके अग्रों पर भी मंत्र का पठन करते हुए पानी छिडकें ।
सौ. प्राजक्ता जोशी
२. बाग अथवा वृक्षारोपण करने के लिए शुभ नक्षत्र
घर के सर्व ओर बाग लगाना हो अथवा वृक्षारोपण करना हो, तो सदैव अश्विनी, रोहिणी, मृग, पुष्य, उत्तरा, हस्त, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, उत्तराषाढा, शततारका, उत्तरा भाद्रपदा और रेवती, इन शुभ नक्षत्रों पर करें ।
३. वृक्षारोपण के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण सूचना
स्मशान, मार्ग, तपस्वियों का आश्रम, नदियों का संगम, इन स्थानों पर उगी बेल-लताएं, आंधी से उखड गई बेल-लताएं, जो लताएं सूख चुकी हैं अथवा पौधे, रोगी व्यक्ति द्वारा लाए हुए फूल एवं फल के पौधे कभी भी न लगाएं ।
४. किस दिशा में पौधे लगाएं ?
पूर्व दिशा में औदुंबर, पश्चिम में पीपल और दक्षिण में औदुंबर का वृक्ष होना शुभदायक होता है । पूर्व दिशा में चमेली, चंपा, पीली केतकी, सफेद गुलाब, लाल फूल आनेवाले पौधे, नारियल, नीबू, सुपारी, जामुन और आम के पौधे भी लगाएं ।
५. घर के समीप कौन-सी बेल अथवा वृक्ष लगाएं ?
अ. बेल, शमी, अशोक, नागकेशर, चंपा, अनार जैसे वृक्ष एवं गुलाब, चमेली और केतकी जैसे फूल देनेवाली पौधे लगाना शुभदायक होता है ।
आ. केशर, अशोक, मालती, जपाकुसुम (जास्वंदी), चंदन, दालचीनी, नारियल एवं कटहल को घर की किसी भी दिशा में लगाएं, वे शुभदायक होते हैं ।
इ. तुलसी के पौधे और दुर्वा अधिक मात्रा में लगाने पर उसका सकारात्मक परिणाम होता है । तुलसी और नीम के पौधे वास्तु में अधिक होने से प्राणवायु अधिक मात्रा में मिलती है ।
ई. पारिजात, कण्हेर और नीले फूल युक्त बेल, उदा. गोकर्ण, कृष्णकमल आदि ईशान्य दिशा में होने से शुभ परिणाम होता है । इस दिशा में कमलपीठ और करंज होना शुभ है ।
उ. लॉन (हरियाली), छोटे आकार के जिनकी ऊंचाई नहीं बढती, औषधि गुणों से युक्त छोटे छोटी लताएं, सजावटी पौधे, सुगंधित पुष्पों के पौधे, उदा. जाई, जुही, शेवंती, गुलाबों के फूलों के ताटवे इत्यादि पूर्व अथवा उत्तर दिशा में लगाएं ।
ऊ.घरेलु वाटिका (बाग) उत्तर एवं वायव्य भाग में करें ।
ए. अमरूद का पेड उत्तर दिशा में लगाने से समृद्धि प्राप्त होती है ।
ऐ. सोनचाफा, मोगरा जैसे सफेद संगधित पुष्पों के पौधे वायव्य भाग में लगाएं । इससे मन प्रसन्न होता है ।
ओ. अनार के पौधे प्लॉट की उत्तर दिशा में किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के हस्त नक्षत्र में लगाएं । अनार के पेड में लक्ष्मी का वास होता है ।
औ. कढीपत्ता के पौधे पूर्व एवं आग्नेय दिशाओं में लगाएं ।
अं. बदाम के पौधे आग्नेय भाग में शुक्ल पक्ष के उत्तरा नक्षत्र में लगाने से सुख-समृद्धि आती है ।
क. औदुंबर वृक्ष दक्षिण दिशा में होने से शुभ फल मिलता है; कारण इस वृक्ष में गुरुतत्त्व होता है । इसलिए दक्षिण दिशा से आनेवाली यमतरंगें नष्ट होती हैं ।
ख. केले के पेड घर के प्रवेशद्वार अथवा कंपाउंड गेट जो आने-जानेवाले रास्ते से लगकर है, वहां न लगाएं । इस पेड में वातावरण की नकारात्मकता अवशोषित करने की क्षमता अधिक होने से वह नकारात्मकता वास्तु के सर्व ओर फैलती है ।
६. किसी भी दिशा में कौन-से पेड न लगाएं और लगाने से उससे होनेवाले दुष्परिणाम
अ. आग्नेय दिशा में औदुंबर, पाकर, लाल फूलों के अथवा कंटीले वृक्ष न लगाएं । इसलिए मृत्यु अथवा अन्य हानि होने की संभावना होती है ।
आ. पूर्व दिशा में पीपल, पश्चिम दिशा में बरगद, उत्तर में औदुंबर और दक्षिण में पाकर न लगाएं । ये अशुभ होता है । इससे व्यक्ति का उत्कर्ष नहीं होता ।
इ. पूर्व दिशा में पीपल वृक्ष लगाने से भय बढता है ।
ई. पश्चिम दिशा में बरगद लगाने से मालिक अथवा कुटुंबीय को कोई न कोई कष्ट होता ही है ।
उ. उत्तर दिशा में औदुंबर का वृक्ष लगाने से उस घर में रहनेवाले व्यक्ति को आंखों की बीमारियों की संभावना होती है ।
ऊ. घर के निकट पीले रंग के पुष्पों का वृक्ष होना अशुभ होता है ।
ए. घर के निकट बेर, जामुन, साल/शाल/साखूसराटे, नागफनीनिवडुंग अथवा किसी भी प्रकार के कंटीले पौधे न हों । इन वृक्षों के कांटे नकारात्मक ऊर्जा प्रसारित करते हैं । वे अनिष्ट शक्तियों के बलस्थान होते हैं । इसलिए अकारण ही शत्रूत्व निर्माण होकर कुटुंबियों में वादविवाद होता है । मन उद्विग्न होता है और घर में समृद्धि नहीं आती ।
ऐ. शमी, नीम और बेल, ये वृक्ष घर के पीछे कुछ अंतर पर होने चाहिए; परंतु घर के निकट अथवा घर के सामने न हों ।
ओ. क्षिरवृक्ष अर्थात जिस वृक्ष से चीक निकलता है, ऐसे वृक्ष लगाने से धननाश की संभावना होती है, उदा. रुई का वृक्ष, विशेषतः जांभळ्या रुई के वृक्ष वास्तु के आसपास कभी न लगाएं ।
औ. किसी भी वृक्ष की छाया दिन का एक प्रहर होने के उपरांत, अर्थात सवेरे ९ बजे के उपरांत घर पर न पडे ।
अं. नीलिकानिळंबी एवं दारू हरिद्र (हलदी) के वृक्ष (दारू हरिद्र यह हलदी का एक प्रकार है ।) घर की जगह में न लगाएं । ये वृक्ष खेत में लगाएं । इससे संपत्ति और संतती का नाश होता है ।
क. केला, चिकू, ईमली, सहजन, जामुन एवं पपीता जैसे अनेक बीजवाले फल लगाने से पैसा नहीं टिकता, आर्थिक खींचतान होती है; इसीलिए वह घर की जगह में न लगाएं ।
ख. घर के समीप पूर्व दिशा में बडे वृक्ष न लगाएं; कारण इससे घर में सूर्यप्रकाश नहीं आता । सूर्यप्रकाश न आने से घर के लोगों की रोगप्रतिकारक शक्ति क्षीण होती है ।
ग. प्लॉट में जामुन का पेड न लगाएं । जामुन के बीजों का रक्त में शक्कर अल्प करने के लिए औषधीय उपयोग करते हैं, अर्थात रक्त की शक्कर (मिठास) अल्प होती है । इसलिए जामुन का वृक्ष यदि वास्तु में होगा, तो कुटुंब में वादविवाद होते हैं ।
७. वृक्ष कब काटें ?
भाद्रपद अथवा माघ माह में कोई भी वृक्ष काट सकते हैं । सिंह अथवा मकर राशि में सूर्य के रहते कभी भी वृक्ष न काटें । पुनर्वसु, अनुराधा, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढा, स्वाती एवं श्रवण, ये नक्षत्र वृक्ष काटने के लिए शुभदायी हैं ।
८. कोई भी वृक्ष यदि काटना हो तो क्या करें ?
कोई भी वृक्ष यदि निकालना हो तो प्रथम शासन की अनुमति लें । अनुमति मिलने के उपरात वृक्ष काटने के एक दिन पहले रात को उस वृक्ष को नैवेद्य दिखकर क्षमायाचना करें । ये वृक्ष, कुछ अपरिहार्य कारणवश आपको निकालना पड रहा है, इसके लिए मुझे क्षमा करें । आपके स्थान पर एक वृक्ष मैं निश्चितरूप से लगाऊंगा, ऐसा कहकर संकल्प करें । अगले दिन वृक्ष की पूजा कर उत्तर अथवा पूर्व दिशा से वृक्ष काटें । वृक्ष काटने के पश्चात वह पूर्व अथवा उत्तर दिशा में गिरे, यह देखें ।
– श्रीमती प्राजक्ता जोशी, वास्तु विशारद, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, ज्योतिष विभागप्रमुख, गोवा.