ज्योतिषशास्त्र को झूठा बोलनेवाले बुद्धिवादियों को तमाचा !

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ज्योतिषशास्त्र को झूठा बोलनेवाले बुद्धिवादियों को तमाचा !

  • ज्योतिषशास्त्र विज्ञान की अपेक्षा श्रेष्ठ होने के बुद्धिवादियों के अनुभव अचूक
    भविष्य कथन करनेवाले वनवासी समाज के वासुदेवों का अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून करनेवाले अंनिस को करारा तमाचा !

भविष्य बतानेवाले जो वनवासी समाज के वासुदेव होते हैं, उन्हें ‘सरोदे जोशी’ कहते हैं । ये आर्थिकदृष्टि से निर्धन, पिछडे लोग तीर्थक्षेत्र में रहते हैं, गांव-गांव भ्रमण करते हैं । एक दिन एक सरोदे जोशी मेरे घर के सामने से जा रहे थे । मैंने उन्हें बुलाया । वह क्या बताते हैं, हमें इसकी जानकारी होनी चाहिए । तब उन्होंने पडोसी महिला से कहा, ‘‘तुम्हारे घर में हाल ही में एक सुहागिन महिला की मृत्यु हुई है । इसलिए तुम्हारे घर में कुछ ठीक नहीं चल रहा । घर में अडचनें हैं ।’’ यह सुनकर उस महिला को आश्चर्य हुआ; कारण हाल ही में उसकी सास परलोक सिधार गई थी । उनकी कुछ इच्छाएं अपूर्ण रह गईं थीं । महिला ने उस वासुदेव को १०० रुपये दिए । अब क्या कार्यवाही करेंगे ?

– प्रख्यात ज्योतिषी श्री.श्री. भट, डोंबिवली, ठाणे

 

अपराध जगत की ओर मुडने की संभावना है,
ऐसों को समय रहते ही सावधान करनेवाला शास्त्र ! – भूतपूर्व पुलिस महासंचालक

‘ज्योतिषशास्त्र मन और स्वभाव का भी वेध ले सकता है । इसलिए जाने-अनजाने में जिनके अपराध की ओर मुडने की संभावना हो, उन्हें समय रहते ही सावधान कर, इसके साथ ही जो पहले ही अपराधी जगत में प्रवेश कर चुके हैं, उन्हें अच्छे मार्ग पर लाने के लिए उनका मार्गदर्शन कर समाज में अपराध नियंत्रित करने में यह शास्त्र सहायता कर सकता है ।’

– तुकाराम काशिनाथ चौधरी, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महासंचालक, महाराष्ट्र. (‘ज्योतिर्विद्यालय’ इस संस्था के सुवर्ण महोत्सव निमित्त आयोजित कार्यक्रम में भाषण)

इस अवसर पर पुणे के डॉ. डी.डी. पानसे के हस्तसामुद्रिक शास्त्र द्वारा ‘अपराधियों का विश्लेषण’ इस विषय पर व्याख्यान हुआ था ।’ (२००१)

श्री. बाबा भांड

कृष्ण का (आयु के २५ वें वर्ष योगसामर्थ्य से अग्निसमाधि लेनेवाले महान योगी श्री कृष्णा महाराजजी ने) अग्निसमाधि लेना, यह उस काल की अतर्क्य घटना थी । लोग उसे आत्महत्या ही मानते थे । मेरे मन में भी शंका थी । इतने में ही मेरे एक मित्र ने मुझे बताया, ‘‘गांव में एक गुरुजी हैं और उनके पास संतों की कुंडलियां हैं ।’’ मैं कृष्ण का जन्मदिनांक, नाम एवं जन्मस्थल की जानकारी लेकर सवेरे के समय संभाजीनगर स्थित सिडको में मयुरेगुरुजी के पास गया । उनके यहां बहुत भीड थी । मेरा क्रमांक आने पर मैंने उनसे कहा, ‘‘यह हमारा लडका है । कुछ काम-धंधा नहीं करता । उसका योग बताएं ।’’ गुरुजी ने त्रोटक कुंडली की रचना की और मेरी ओर आश्चर्य से देखते हुए बोले, ‘‘यह लडका तो जीवित नहीं है ।’’ मैंने तुरंत मयुरेगुरुजी के चरण पकड लिए । मैं उनसे क्षमा मांगी और बताया, ‘‘मैं आपकी परीक्षा ले रहा था । यह मेरा भतीजा है, कृष्णा !’’ इस पर वे तुरंत बोले, ‘‘आप बाबा भांड हो क्या ?’’ मयुरेगुरुजी हंसे और बोले, ‘‘अच्छा हुआ आप आए । देखें तो सही हम दोनों का क्या मेल खाता है !’’ उन्होंने कुंडली बनाई और बोले, ‘‘कृष्णा के जीवन में गुरु की महादशा है ।’’ उसकी दिनांक और अवधि उन्होंने बताई । इस पर मुझे स्मरण हुआ, ‘कृष्णा ने साधना आरंभ की । तब से वह समाधि लेने तक की वह अवधि थी ।’ गुरुजी ने दूसरा सूत्र बताया, ‘‘इसका जन्म इसके काम तक ही सीमित है ।’’ उस अनुसार कृष्णा ने भी अपने अभंग में स्पष्ट लिखकर रखा था, ‘५०१ अभंग लिखने तक ही मेरा जन्म है । वह पूर्ण होने के पश्चात मैं निकल जाऊंगा ।’ अंत में एकदम ही धक्कादायक बात गुरुजी ने बताई । वह यह कि ‘‘इसके जीवन में अग्निप्रवेश-योग है ।’’ ये मेरे समान बुद्धिवादी मनुष्य के लिए (वास्तव में स्वयं को ‘बुद्धिवादी’ कहलवाना भी आज मुझे गलत लग रहा है ।) वह अत्यधिक विस्मयकारक है ।’

– श्री. बाबा भांड (श्री संत कृष्णा महाराजजी के काका), प्रसिद्ध साहित्यक एवं प्रकाशक, संभाजीनगर. (सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ द्वारा श्री. बाबा भांड की ली भेंट के कुछ सूत्र (१४.८.२०१४))

‘ज्योतिषशास्त्र माननेवाले कर्नाटक के जनता दल (निधर्मी) के तत्कालीन प्रमुख एच.डी. रेवण्णा विधानसभा के चुनावों से पूर्व अपना घर छोडकर किराए के मकान में रहने गए थे । विधानसभा चुनावों की घोषणा होते ही उन्हें एक ज्योतिषी ने सलाह दी थी कि ‘तुम्हें निश्चितरूप से जीतना हो, तो वास्तुशास्त्र समान ‘सुदैवी घर’में रहने के लिए जाएं ।’ (संग्रहित लेख २०१४)

भारतीयों के ज्योतिषशास्त्र का ज्ञान अत्यंत प्राचीन एवं मौलिक होने से उनके ग्रहण के विषय में अचूक भविष्यवाणी अचूक !

– महान विचारक बर्नियर

भारत के तत्कालीन सरन्यायाधीश पी. सतशिवम ने अपने १९.७.२०१३ को प्रथाअनुसार सवेरे ११ बजे होनेवाली नियोजित शपथविधि सवेरे ९.३० बजे आरंभ करवाई । इस विषय में उन्होंने राष्ट्रपति से विनती की थी । ‘सवेरे १०.३० से दोपहर १२ तक का यह काल ‘राहू’का है’, ऐसा उन्होंने राष्ट्रपति को बताया था । (संग्रहित लेख २०.७.२०१३)

 

वैद्यकीय शास्त्र समान ही गणित लगाकर
ज्योतिषशास्त्र भी प्रसूति की दिनांक बता सकता है,
यह सत्य बुद्धिवादियों को दांतों तले उंगली दबाने के लिए विवश कर देगा !

‘प्रा. श्याम मानव ने वर्ष १९८५ में आवाहन दिया था; मैंने उसे स्वीकार लिया । उन्हें मैंने बताया कि इस वर्ष ‘कन्या’का गुरु है, तब कन्यासक्षम जो दांपत्य हैं, उन्हें इस बार संतती होगी । यह मैंने भविष्य ही बता दिया है । अब इसे जांचना कैसे है ? मैंने कहा, ‘‘हम किसी भी प्रसूतिगृह में जाएंगे और वहां कितनी महिलाएं कन्या राशि की हैं, वह देखेंगे । चलेंगे क्या हमारे साथ देखने के लिए । वे उस समय नागपुर में थे । फिर मैंने कहा, हम नागपुर, नाशिक और पुणे के शासकीय रुग्णालयों में जाएंगे । आपको सत्यशोधन करना है ना ? हमारे पास इसकी प्रविष्टियां (रेकॉर्ड) रखी हैं । ऐसे हमारे पास लाखों पत्रिकाओं की प्रविष्टियां है । मेरा ‘रेकॉर्ड’ ऐसा है कि अमुक महिला के अमुक दिन कन्या हुई है । मैंने बार्शी के सम्मेलन में सार्वजनिकरूप से कहा था कि मैं अब तुम सभी की जन्मदिनांक बताऊंगा और वह भी ज्योतिष के आधार पर बताऊंगा । तुम्हें क्या करना है, तो मां के गर्भधारण की अंतिम मासिक धर्म की दिनांक बतानी है । वह यदि अश्विनी नक्षत्र की होगी, तो तुम्हारा जन्म अश्विनी नक्षत्र पर हुआ है । तुम्हारे डॉक्टर इसी पद्धति से दिनांक निकालते हैं । फिर तुम मुझे किस मुंह से कहोगे कि तुम्हारा उत्तर गलत है ?

१० नक्षत्रमास होने पर, अश्विनी नक्षत्र पर उसकी प्रसूति होती है । पत्रिका देखने पर वह कितने आगे-पीछे है, इसका हमारा गणित है ।’

– प्रख्यात ज्योतिषी श्री.श्री. भट, डोंबिवली, ठाणे.

 

कहां वर्षा का अचूक अनुमान लगाने में
सदैव ही असफल रहा मौसम पूर्वसूचना विभाग,
तो कहां वर्षभर पहले ही वर्षा का अचूक अनुमान बतानेवाला दाते पंचांग !

‘अब वर्षा का ही उदाहरण लें । वर्षा के संदर्भ में इस वर्ष मौसम पूर्वसूचना विभाग ने कितनी अनिश्चितता दर्शाई । अब आएगी, तब आएगी । वर्षा केरळ आ पहुंची । जब कुछ भी स्पष्ट नहीं था, तब दाते पंचांग में स्पष्ट लिखा था, १८.६.२०११ को वर्षा होगी । दैनिक ‘सकाळ’में प्रकाशित हुआ था कि मौसम पूर्वसूचना विभाग चार दिनों पश्चात का भविष्य नहीं बता सकता । उसकी तुलना में अपना पंचांग कहां है वह देखें । दाते पंचांग में डेढ वर्ष पूर्व ही बताया था कि १८ जून को वर्षा होगी । जो लोग सार्वजनिकरूप से मान्य करते हैं कि हम पांच-छ: दिनों के पश्चात का भविष्य नहीं बता सकते । उस मौसम पूर्वसूचना विभाग पर भविष्य बताने के लिए सरकार अरबों रुपये खर्च करती है । उस समय हमारा यह कहना है कि यदि ज्योतिषानुसार केवल २० प्रतिशत योग्य होता है, तब भी उसपर खर्च कितना आता है ? कोई भी सरकार यह बताए कि हमने ज्योतिष के लिए इतने पैसे खर्च किए । फिर आपको पूछने का अधिकार है कि आपका कितना सही आता है ? दूसरी ओर करोडों रुपये खर्च कर आप महाविद्यालय चलाते हो, अरबों रुपयों की प्रयोगशालाएं हैं । वहां सहस्रों लोग काम करते हैं । तब भी उनके ५० प्रतिशत काम गलत हो जाते हैं । परदेशी कहते हैं कि इन्होंने कोई शोधन नहीं किया । ५० वर्ष हो गए तब भी अब तक हमारा नोबेल पुरस्कार के लिए विचार तक नहीं होता । फिर ये प्रयोगशालाएं करती क्या हैं ? कुछ भी नहीं । जिन्हें तुम एक पैसा भी नहीं देते हो, उनसे तुम पूछते हो, तुम्हारा शास्त्र योग्य नहीं ? क्या आपको यह पूछने का अधिकार है ? पहले पैसे रखें, फिर हम जो उत्तर देते हैं वह योग्य आता है या नहीं यह देखें ।’

– प्रख्यात ज्योतिषी श्री.श्री. भट, डोंबिवली, ठाणे.
संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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